अखबार ने समाचार संगठनों - इंडिया टुडे, एनडीटीवी, न्यूज 18, दि इंडियन एक्सप्रेस, फर्स्ट पोस्ट, मुंबई मिरर और एएनआई का नाम लेकर और अन्य के बारे में लिखा है कि इन्होंने नियमित रूप…
राफेल करार से जुड़े दस्तावेज जनहित में प्रकाशित किए गए। ‘दि हिंदू’ अखबार किसी को भी यह नहीं बताने वाला कि उसे किन गोपनीय सूत्रों से सूचनाएं मिली। हम सूत्रों की रक्षा के…
मसूद का बेटा मरने के बाद अब सकुशल गिरफ्तार किया गया है तो मरे कौन? मोबाइल फोन? कौन बताएगा? कैसे पता चलेगा?
5 मार्च का भारत बंद किन मांगों के समर्थन में किया गया, जानिए..
मीडिया विजिल ने क़ानूनी प्रावधानों का उल्लेख करके चेताया गया था कि राजचिन्ह के ऐसे अपमान पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
गोदी मीडिया तो लाचार है, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में ऐसी तस्वीर क्यों नहीं आ रही है और आई होती तो गोदी मीडिया छोड़ता?
क्या आप जानते हैं भारत के राजचिन्ह पर केन्ट प्यूरीफायर लिखकर टीवी पर दिखाने की सजा क्या है?
भारत बंद करने का सबसे बड़ा मुद्दा है- विभागवार 13 प्वाइंट रोस्टर।
मोबाइल की सक्रियता मोबाइल टावर से होती है। और जो इलाका बताया जा रहा है, वहाँ आसपास के इलाके में तमाम लोग रहते हैं। तो क्या वे सभी आतंकवादी हुए।
कन्वेंशन में माँग की गई कि मौजूदा कृषि संकट और किसानों की समस्या पर विचार के लिए संसद का तीन दिवसीय विशेष अधिवेशन बुलाया जाए।
इस मामले में सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री की खूब निन्दा हुई है। द टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर खबर छापी है। आपके अखबार में है?
इस समय भारत के युद्धोन्मादी मीडिया को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है।
प्रधानमंत्री द्वारा रफाल की चर्चा राजनैतिक बहस को आकार देने की कोशिश है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भाजपा का अभियान है।
युद्ध का जो माहौल बना था उसकी इमरान खान ने हवा निकाल दी।
रिहाई मंच ने देवबंद के बाद पटना से सामाजिक कार्यकर्ता उदयन राय की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए इसे राजनीतिक कार्रवाई करार दिया
चैनलों पर जो देख रहे हैं, वह सनक का संसार है। उन्माद का संसार है। इनकी यही फितरत हो गई है। पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है।
पाकिस्तान का पक्ष कहां-कितना है। उसके बिना युद्ध की खबरें इन अखबारों से कितनी और कैसी मिलेंगी।
बिना स्रोत बताए सैकड़ों आतंकियों को मारने का कमाल
चैनलों की भाषा और उनके स्क्रीन वीडियो गेम में बदल चुके हैं.
अपराधियों के सरगना के तार भाजपा से जुड़े हों तो आज के अखबार कैसे राजनीति से अलग रहें?
बड़े बड़े पत्रकार क्यो इस झूठ को फैलाने में लगे हैं कि पुलवामा के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान को टमाटर निर्यात बन्द किए जाने से वहाँ टमाटर महंगा हो गया है। इस तरह…
कल सुप्रीम कोर्ट की खबर पहले पन्ने पर नहीं थी और आज प्रधानमंत्री का चुनावी भाषण है (सात दिन बाद)। मैंने पूरी खबर बता दी
कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश पहले पन्ने पर नहीं ; इनमें दैनिक जागरण, अमर उजाला, नभाटा, राजस्थान पत्रिका संजय कुमार सिंह वकील तारिक अदीब की अर्जी पर सुनवाई…
इस मामले में खबर छपी कि फाइल चार महीने से दबी पड़ी थी. यह सही न भी हो तो जरूरत के अनुसार समय पर फैसला लिया गया होता तो जवानों का काफिला इतना…
कई मीडिया संस्थानों में ये खबर वेब पोर्टल पर आने के बाद हटा ली गई थी। कुछ पत्रकारों ने भी इस खबर को ट्वीट करने के बाद हटा ली। बहरहाल प्रसून तो प्रसून…