हसिबा खेलिबा रहिबा रंग काम क्रोध न करिबा संग हसिबा खेलिबा गाइबा गीत दिढ करि राखि अपना चीत हसिबा खेलिबा धरिबा ध्यान अहनिसि कथिबा ब्रह्म गियान हसै-खेलै न करै मन भंग ते निहचल…
दो दिन पहले शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की शहादत का दिन था। आज भगत सिंह के संपादक और क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की पुण्य तिथि है। एक पत्रकार के बतौर राष्ट्रीय आंदोलन में…
जश्न-ए-भगत सिंह–9 23 मार्च, यानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत का दिन। मीडिया विजिल बीते एक हफ़्ते से ‘जश्न-ए-भगत सिंह’ नाम से एक शृंखला चला रहा है जिसमें भगत सिंह के तमाम…
जश्न-ए-भगत सिंह-7 इस लेख का शीर्षक दो मसलों को जोड़कर बनाया गया है। लेनिन के आदर्शों पर भगत सिंह के भरोसे और ख़ुद को फाँसी नहीं गोली से उड़ाने की लिखित अपील। भगत…
जश्न-ए-भगत सिंह–5 इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है (असेम्बली बम काण्ड पर यह अपील भगतसिंह द्वारा जनवरी, 1930 में हाई कोर्ट में की गयी थी। इसी अपील…
जश्न-ए-भगत सिंह-4 विद्यार्थी और राजनीति इस बात का बड़ा भारी शोर सुना जा रहा है कि पढ़ने वाले नौजवान(विद्यार्थी) राजनीतिक या पोलिटिकल कामों में हिस्सा न लें। पंजाब सरकार की राय बिल्कुल ही…
जश्न-ए-भगत सिंह–3 धर्म और हमारा स्वतन्त्रता संग्राम अमृतसर में 11-12-13 अप्रैल को राजनीतिक कान्फ्रेंस हुई और साथ ही युवकों की भी कान्फ्रेंस हुई। दो-तीन सवालों पर इसमें बड़ा झगड़ा और बहस हुई। उनमें…
जश्न-ए-भगत सिंह–2 क़ौम के नाम संदेश प्रिय साथियों, इस समय हमारा आन्दोलन अत्यन्त महत्वपूर्ण परिस्थितियों में से गुज़र रहा है। एक साल के कठोर संग्राम के बाद गोलमेज़ कान्फ्रेन्स ने हमारे सामने शासन-विधान…
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत को सिर्फ़ आज़ाद…
मुफ़्ती के फ़तवे… “मुफ़्तियों को शरीयत के आईने में लोगों को राह दिखाने की जो ज़िम्मेदारी मिली थी उसमें धीरे-धीरे राजनीति प्रमुख होती चली गई। चिन्तन(क़ियास) का स्थान रूढिवादी सोच ने ले लिया”…
अभिषेक श्रीवास्तव दुनिया की हर जंग किसी की हार और किसी की जीत पर खत्म होती है। चुनावी जंग की खासियत यह है कि इसमें जीतने और हारने वाले दोनों पक्षों पर बात…
`कमांडर इन चीफ` चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में शिव वर्मा ” लिखने-पढ़ने के मामले में आज़ाद की सीमाएँ थीं। उनके पास कॉलेज या स्कूल का अंग्रेजी का सर्टीफिकेट नहीं था और…
एक विज्ञापन में अमिताभ बच्चन कच्छ के रण में गधों को देखने के लिए जो दूरबीन लटकाने की बात करते हैं, उसका आविष्कार इटली के वैज्ञानिक गैलिलियो ने किया था। गैलीलियो अपने युग…
योरप के मशहूर दार्शनिक स्लावोज़ जिज़ेक ने चैनल 4 को दिए अपने लंबे साक्षात्कार में फेक न्यूज़ यानी फर्जी खबरों पर एक दिलचस्प बात कही है जो आजकल विवादों में है। उनका कहना…
प्रेमारण्य मेँ भोर हुई. पूर्व का आकाश प्रेम की प्रतीक लालिमा से अरुणिम हो उठा. भक्तगण सहित संत वैलंटाइन की पूजा अर्चना के उपरांत प्रेमानंद स्वामी ने संक्षिप्त प्रवचन मेँ बताया, “प्राचीन काल…
मद्रास प्रेसीडेंसी में 1927 में एक G.O. पास किया था जिसके द्वारा सरकारी मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में पिछड़ी जातियों को आरक्षण प्रदान किया गया था. भारत का संविधान लागू होने के बाद…
पंकज श्रीवास्तव इतिहास की नज़र में तथ्य सर्वाधिक पवित्र होते हैं। नए तथ्यों के आने से इतिहास में बदलाव भी होता है। बदलाव का आधार किसी की इच्छा या राजनीतिक ज़रूरत हो तो…
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव अद्भुत है मीडिया और उसमें काम कर रहे तथाकथित पत्रकार। वरना बसपा और मायावती जैसी कद्दावर ताकत को ही इस बार के चुनाव में लड़ाई से बाहर कैसे कर देता!!!…
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की मानद अध्यक्ष और राजस्थान में आदिवासियों के लिए लंबा ज़मीनी संघर्ष करने वाली सीपीआई (एम.एल) नेता श्रीलता स्वामीनाथन का उदयपुर में 5 फरवरी की सुबह देहांत हो…
हिन्दू राष्ट्रवादी आरंभ से ही वैदिक विश्व-दृष्टि और आधुनिक विज्ञान के बीच मौलिक एकता के दावे करते आ रहे हैं। अगर आधुनिक विज्ञान हमारे ऋषियों को ज्ञात वैदिक आध्यात्मिक ज्ञान के महासागर…
इस तस्वीर में महात्मा गाँधी के साथ उनके रक्त से सनी मिट्टी भी दिख रही है। आज़ाद भारत की पहली आतंकवादी कार्रवाई थी गाँधी जी की हत्या। इस हत्या को ‘जायज़’ ठहराने के…
पृथ्वीराज चौहान को तराइन के मैदान में वीरगति मिली थी। इस हार के ग़म को कम करने के लिए चंदबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’ लिखकर उनके पराक्रम का बखान किया । जनता में यही…
‘वह भी कोई देश है महाराज ‘ जैसे मशहूर यात्रा वृतांत और ‘नगरवधुएँ अख़बार नहीं पढ़ती हैं’ जैसेे कथासंग्रह के रचयिता, अलबेले लेखक और पत्रकार अनिल यादव की अगली किताब ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा…
तटस्थता पत्तरकारिता की सजावट है, उससे भी अधिक पाखंड है ! …अयोध्या आंदोलन के नेताओं के लिए न्यायपालिका नौटंकी कंपनी थी, उनका नारा था “बंद करो यह न्याय का नाटक जन्मभूमि का खोलो फाटक”.…
भाऊ कहिन-1 अपनी सम्मोहक भाषा और बेचैन करने वाले अंदाज़ के लिए मशहूर वरिष्ठ हिंदी पत्रकार राघवेंद्र दुबे उर्फ़ भाऊ आजकल अपने फ़ेसबुक पेज पर तमाम दिलचस्प अनुभव लिख रहे हैं। इनमें पत्रकारों…