डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 28 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक…
अटल से जो नहीं टला ! विकास नारायण राय अटल बिहारी वाजपेयी (1924-2018) को युग पुरुष घोषित करने की होड़ के बीच उनका एक सरसरी सम्यक मूल्यांकन भी संभव है|…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 27 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 26 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक…
ये इमरजेन्सी नहीं,लोकतंत्र का मित्र बनकर लोकतंत्र की हत्या का खेल है ! (पुण्य प्रसून वाजपेयी) ‘क्या ये संभव है कि आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम ना लें ?’ ‘आप…
वीरेंद्र यादव बाबा साहेब आम्बेडकर के अधिग्रहण की मुहिम के बाद अब भगवा ताकतों के निशाने पर प्रेमचंद हैं. आरएसएस के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ ने अपने 5 अगस्त (2018) के अंक को…
बाबरी-मस्जिद राममंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट अब बौद्धों के दावे की भी सुनवाई होगी। दरअसल, अयोध्या के निवासी विनीत कुमार मौर्य ने दावा किया है कि विवादित ज़मीन पर दरअसल मंदिर या…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 25 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक…
प्रकाश के रे दुआओं और ख़्वाबों से पुरनम है जेरूसलम की हवा कारखानाई शहरों की हवा की मानिंद. यहाँ साँस लेना मुश्किल है. गाहे-बगाहे तारीख़ की खेप आती रहती है और…
चंचल समाजवादी आंदोलन का अचानक भसक जाना हम जैसों की कमर ही नही तोड़ दी , बल्कि समूची सियासत की ही छीछालेदर कर दी । सियासत के फलने फूलने और असल अमल तक…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 24 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक…
नेल्सन मंडेला की जन्मशती तकरीबन साढ़े तीन सौ साल की अल्पमत गोराशाही के बाद अप्रैल 1994 में दक्षिण अफ्रीका के प्रथम जनतांत्रिक चुनाव के समय वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा ने जोहानसबर्ग और प्रिटोरिया…
कभी-कभार कुछ रचनाएं कालजयी हो जाती हैं जो बरसों तक व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिए प्रेरणा का काम करती हैं। ”इनविक्टस” ऐसी ही एक कविता है, जिसे अंग्रेज़ कवि विलियम अर्नेस्ट हेनली (1849-1903)…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 23 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 22 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक…
प्रकाश के रे साल 661 में इस्लाम के चौथे खलीफा हजरत अली की हत्या के करीब छह माह बाद जेरूसलम की अल-अक्सा मस्जिद में मजहब के बड़े-बुजुर्गों की मौजूदगी में मुआविया को…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 21 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक…
एल. एस. हरदेनिया इस बात में कोई संदेह नहीं कि आपातकाल हमारे देश के इतिहास के एक काले अध्याय के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र और लोकत्र की…
रामशरण जोशी, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और टिप्पणीकार हैं। उन्होंने राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी लंबा वक़्त बिताया है। वे केंद्रीय हिंदी संस्थान के अध्यक्ष रहे और कई अन्य संस्थानों से भी जुड़ाव…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 20 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक…
चश्मदीद पत्रकार की कहानी, इमरजेंसी की कहानी- 3 सुशील कुमार सिंह फिर हमने इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी देखी। इससे पहले किसी ने इस घटना की कल्पना भी नहीं की होगी, हालांकि…
चश्मदीद पत्रकार की ज़बानी, इमरजेंसी की कहानी-2 सुशील कुमार सिंह सब तरफ अब इमरजेंसी की कहानियां थीं। आजादी के बाद देश इन्हें पहली बार सुन रहा था। कितने लोग पकड़े…
चश्मदीद पत्रकार की ज़ुबानी, इमरजेंसी की कहानी.. सुशील कुमार सिंह दिल्ली की शक्ल बदलने में सबसे ज्यादा तीन चीजों का हाथ रहा है। एशियाड 1982, मेट्रो का आगमन और 2010 के…
अभिषेक श्रीवास्तव / डूंगरपुर से लौटकर आज से कोई दस साल पहले दिल्ली से पत्रकारों का एक दल वागड़ क्षेत्र की यात्रा पर एक संस्था के बुलावे पर गया था। वह संस्था डूंगरपुर, बांसवाड़ा…
अभिषेक श्रीवास्तव / डूंगरपुर से लौटकर पहाड़ी के नीचे मोटरसाइकिलें छोड़ कर हम पैदल ही कांटेदार रास्तों पर ऊपर चल दिए। थावरचंद और मोहन ने बाहर से ही सोमाजी को आवाज लगाई। एक…