तीसरी लहर: कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ के बाद भी डेल्टा वैरिएंट से सुरक्षा नहीं!


जिस तरह से डेल्टा वैरीयंट पूरे विश्व में डर का विषय बना हुआ है वैसे में भारत को भी सतर्कता की जरूरत है और वैक्सीनेशन की रफ्तार और तेज करने को जरूरत है। भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल है। जहां डेल्टा वैरीयंट अपने कदम जमा रहा हैं और जब इंग्लैंड जैसे देश में वैक्सीनेशन के बाद भी यह वैरियंट लोगो को संक्रमित कर रहा है तो भारत में तो आबादी के आधे लोगों का भी वैक्सीनेशन नही हो पाया है।


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डेल्टा वैरिएंट विश्व स्तर पर घूमने वाले कोरोना वायरस का प्रमुख रूप बन गया है और पूरी दुनिया में महामारी की तीसरी लहर लाने को तैयार है। इस वायरस से 4.4 मिलियन से अधिक लोगों मर चुके हैं। जिसमें 130,000 से अधिक यूके के लोग शामिल हैं। इस वैरिएंट की पुष्टि पहली बार भारत में हुई थी। जो अब इंग्लैंड में एक खतरनाक रूप लेता नज़र आ रहा है। शुक्रवार को वैज्ञानिकों ने कहा है कि इंग्लैंड में पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों को (यानी दोनो डोज़ के बाद) अत्यंत संक्रामक डेल्टा वैरिएंट के साथ अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

भर्ती हुए लोगों में करीब आधे लोग वैक्सीनेटेड..

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने अपने नवीनतम COVID-19 अपडेट में भी चेतावनी दी थी कि जिन लोगों को टीका लगाया गया है। डेल्टा वैरिएंट उन्हें भी संक्रमित कर सकता है और वो भी डेल्टा स्ट्रेन को आसानी से फैला सकते हैं।  पीएचई ने कहा कि 19 जुलाई से 2 अगस्त तक, डेल्टा वैरिएंट के साथ अस्पताल में भर्ती हुए 1,467 लोगों में से 55.1% का टीकाकरण नहीं हुआ था, जबकि 34.9 % या 512 लोगों को दोनो डोज़ लगी थीं।

पीएचई के अनुसार, कुछ प्रारंभिक निष्कर्ष संकेत करते हैं कि डेल्टा से संक्रमित होने वाले लोगों में वायरस का स्तर बिना टीकाकरण वाले लोगों में पाए जाने वाले स्तरों के समान हो सकता है। इस मामले पर अभी अध्ययन चल रहा है।

वैक्सीनेशन से पूरी तरह नहीं होता जोखिम समाप्त..

यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुख्य कार्यकारी जेनी हैरीज़ ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने के आंकड़े दिखाते हैं कि “एक बार फिर यह कितना महत्वपूर्ण हो गया कि हम सभी वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के लिए आगे आए। वैक्सीनेशन ही हमारे पास खुद को और अपने प्रियजनों को इस गंभीर बीमारी से सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा साधन है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए की वैक्सीनेशन से इस बीमारी का जोखिम समाप्त नहीं होता। वैक्सीनेशन के बाद भी COVID-19 से अस्वस्थ होना और दूसरों को संक्रमित करना संभव है।”

भारत में भी मंडरा रहा है खतरा…

यूके की लगभग 75 प्रतिशत वयस्क आबादी को अब तक दो शॉट मिले हैं। बात करे भारत की तो यहां पिछली लहर में ही वैक्सीनेशन के बाद भी कुछ लोग संक्रमित हो गए थे।  जिस तरह से डेल्टा वैरिएंट पूरे विश्व में डर का विषय बना हुआ है वैसे में भारत को भी सतर्कता की जरूरत है और वैक्सीनेशन की रफ्तार और तेज करने को जरूरत है। भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल है। जहां डेल्टा वैरिएंट अपने कदम जमा रहा हैं और जब इंग्लैंड जैसे देश में वैक्सीनेशन के बाद भी यह वैरियंट लोगो को संक्रमित कर रहा है तो भारत में तो आबादी के आधे लोगों का भी वैक्सीनेशन नही हो पाया है।

भारत में वैक्सीनेशन शहरों में तो हो रहा लेकिन उसमें भी कई दिक्कतें हैं। एक तो वैक्सीनेशन की जरूरत के मुताबिक डोज़ राज्यों को मिल नही पा रही है, जिस कारण वैक्सीनेशन की रफ्तार में भी कमी है। वैक्सीनेशन का स्लॉट बुक करना भी एक चुनौती की तरह हैं। वैक्सीन लगने के बाद भी इस महामारी से पूरी तरह सुरक्षा नही पाई जा सकती और बच्चे तो अभी इस वैक्सीनेशन प्रक्रिया से कोसो दूर हैं। ऐसे में तीसरी लहर और इस खरारनाक जानलेवा डेल्टा वैरीअंट से खुद और अपने परिजनों , बच्चो को बचाने के लिए सुरक्षा की जरूरत हैं। लेकिन भारत में दूसरी लहर के बाद जिस तरह से लोग बेफिक्र हो कर घूम रहे वह खतरे का आमंत्रण है। लोग भूल गये हैं कि लापरवाही से आप किसी खास को हमेशा के लिए के खो सकते हैं ।


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