आग में घी डालती भाजपा (सरकार) और ख़बर छापकर प्रचार पाते अखबार!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


वंशवाद के विरोधीइंडिया समूह के दक्षिण भारतीय नेता के बेटे को हिन्दी पट्टी में स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे

 

अडानी समूह को मिल रहे सरकारी समर्थन से संबंधित गार्जियन और फाइनेशियल टाइम्स की खबरों की चर्चा लगभग नहीं करने वाले मेरे अखबारों में इंडिया समूह के एक नेता के एक बेटे के बयान की चर्चा आज दूसरे दिन भी पहले पन्ने पर है जबकि बयान हिन्दी या अंग्रेजी का नहीं है, हिन्दी पट्टी के पाठकों के लिए नहीं था और राजनीतिक तो नहीं ही है। एक ऐसे मौके पर दिया गया था जहां वक्ता को अपने विचार रखने थे और उसने वही कहा है जो करने के लिए उसके दादा जाने जाते हैं। यह सब मैं कल बता चुका हूं। फिर भी आज के शीर्षक पढ़ने-जानने और गौर करने लायक हैं। 

 

1.इंडियन एक्सप्रेस 

सनातन धर्म (पर) टिप्पणी :  इंडिया ब्लॉक ने अलग आवाज में अपनी बात रखी, स्टालिन के बेटे अपनी बात पर कायम

 

2.टाइम्स ऑफ इंडिया 

सनातनटिप्पणी पर कांग्रेस बंटी हुई है, भाजपा ने आग में घी डाला 

तृणमूल ने खुद को अलग किया, ज्यादातर विपक्षी दल शांत हैं 

 

3.हिन्दुस्तान टाइम्स 

भाजपा ने हमला तेज किया तो सनातनविवाद गर्माया  

 

4.अमर उजाला 

अब खरगे के बेटे ने कहा, ऐसा धर्म बीमारी के समान 

उपशीर्षक है, सनातन पर बिगड़े बोल : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे को मिला कांग्रेस अध्यक्ष के बेटे का साथ। इसके साथ एक छोटी खबर का शीर्षक है, माफी मांगें राहुल, सोनिया समेत विपक्षी नेता।

मतलब शर्त लगा दें (?) कि इंडिया समूह में रहना है तो ऐसी बातें नहीं करनी है जिससे अनुराग ठाकुरों को माफी मांगने की मांग करने का मौका मिले। कहने की जरूरत नहीं है कि इसमें अनुराग ठाकुर तो राजनीति कर रहे होंगे या अपनी नौकरी बजा रहे होंगे। अखबार को इसमें क्या जनहित या खबर दिखा होगा यह सोचने वाली बात है। इसी तरह एक और खबर है, सनातन धर्म को नुकसान पहुंचाने में जुटी कांग्रेस : हिमंत। यह कैसे संभव है और इसमें कांग्रेस कहां से आ गई यह मैं तो नहीं समझ पा रहा हूं, हिमंत भाई को जरूर पता होगा क्योंकि वे कांग्रेस में रहे हैं वाशिंग मशीन पार्टी में रहने का लाभ उठा रहे हैं।

5.नवोदय टाइम्स 

सनातनी बयान पर तूफान शीर्षक से यह मामला लीड है। उपशीर्षक है, जूनियर स्टालिन ने कहा – मैं बार-बार कहूंगा, भाजपा ने हिन्दू विरोधी कहा। 

अंग्रेजी के मेरे दो अखबारों द हिन्दू और द टेलीग्राफ में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर सिंगल कॉलम में एक छोटी सी खबर है, मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर। कहने की जरूरत नहीं है कि संपादकों के खिलाफ इस खबर को अखबारों में प्रमुखता मिलनी चाहिये थी पर चार लाइन के शीर्षक वाली यह खबर  डेटलाइन और पेज12 समेत 71 शब्दों में पूरी हो गई है। एक तरफ तो अखबारों में संपादकों के खिलाफ एफआईआर की खबर नहीं के बराबर छपी है (अमर उजाला में है) दूसरी ओर सनातन धर्म की खबर को वही संपादक तूल दे रहे हैं। संभव है एडिटर्स गिल्ड में जो हों वो तूल न दे रहे हों और जो तूल दे रहे हैं वो एडिटर्स गिल्ड में न हों पर जो है सो यही है। 

मेरा मानना है कि जो भी कहा गया है उससे सनातन धर्म, सनातनियों या सनातन का बाल भी बांका नहीं होने वाला है। फिर इस पर इतना बवाल कॉलम सेंटीमीटर या फुटेज क्योंसिर्फ इसीलिए ना कि सत्तारूढ़ पार्टी यही चाहती है और नहीं चाहती है कि सेबी की जांच के बारे में भूल चुके सेबी प्रमुख के एनडीटीवी में नौकरी करते रहने को हमलोग याद करें, उसकी चर्चा हो। बेरोजगारी के इस समय में रिटायरमेंट के बाद सरकारी अफसरों (और जजों / सरकारी वकीलों को भी) नौकरी तथा कमाने के मौके देने की संभावनाओं और व्यवस्थाओं पर चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए। क्यों नहीं ये नौकरियां उन लोगों के लिए आरक्षित या प्राथमिकता वाली कर देनी चाहिये जिन्हें पेंशन नहीं मिलती, सीजीएचएस के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलती हैं और जो ईमानदारी से तथा ज्यादा योग्यता के साथ काम कर सकते हैं। सुधार की जरूरत सिर्फ पद्म पुरस्कारों की पात्रता में नहीं थी। 

अखबारों और चैनलों की जो हालत है वह सबको मालूम है और इसके साथ यह भी तथ्य है कि बहुत सारे रिटायर संपादक (और पत्रकार) खर्चा चलाने के लिए छिट-पुट काम कर रहे हैं। इसमें हालत यह है कि अमर उजाला में अगर सनातन विवाद पर हिमंत बिस्वा सरमा का बयान पहले पन्ने पर है तो इंडियन एक्सप्रेस में असम के कारोबारी के अपहरण की खबर है और फ्लैग शीर्षक है, वसूली का आरोप। शीर्षक है, असम के कारोबारी ने कहा कि पुलिस ने उसे मार डालने की धमकी दी, जेहादी से संपर्क का आरोप लगाया। खबर के अनुसार इस मामले में आईपीएस समेत पांच पुलिस वाले गिरफ्तार किये गये हैं। कुल नौ जने गिरफ्तार हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि मुख्यमंत्री के लिए (और अखबार के लिए भी) इस मामले की सूचना या खबर महत्वपूर्ण होनी चाहिये थी न कि सनातन धर्म या सनातनियों की चिन्ता। देश और सरकार सिर्फ सनातनियों की नहीं है। 

सनातन विवाद से संबंधित टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर आज भी टॉप पर है और इसके साथ कई सारे लोगों के कोट हैं। अखबारों के उपरोक्त शीर्षक से पता चलता है कि भाजपा इस मामले में आग में घी डालने का काम कर रही है और इसका पता टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित आरएस (रविशंकर) प्रसाद के बयान से चलता है। इसके अनुसार उन्होंने कहा है कि विपक्ष के नेता, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, नीतिश कुमार, ममता बनर्जी चुप हैं। क्या आप वोटों के लिए हिन्दुओं की भावना से खेल रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि सरकारी पार्टी के नेता को ऐसे बयान नहीं देना चाहिए और अगर कोई ऐसा कर रहा है तो सरकार को उसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। अखबारों को ऐसे बयानों को महत्व नहीं देना चाहिए और भाजपा के महान नेता का यह बयान सिर्फ टाइम्स ऑफ इंडिया में छपा है क्योंकि यहां और भी नेताओं के बयान हैं। पर सवाल उठता है कि मणिपुर पर जब प्रधानमंत्री नहीं बोल रहे थे तो भाजपा के ये नेता कहां थे? अभी घटक दल के एक नेता के एक बयान पर कांग्रेस को क्यों बोलना चाहिए? आप पानी क्यों नहीं डाल रहे हैं और घी डालने में क्यों लगे हुए हैं? वह भी दूसरे जरूरी काम छोड़कर। अखबार भी ऐसे बयानों को प्रमुखता देते हैं ये नहीं बताते कि इन विषयों पर कोई बयान या सवाल नहीं है। 

खबरों की इस भीड़ या भेड़चाल में एक खबर यह भी है कि एक देश एक चुनाव के लिए बनाई गई सरकारी समिति में रखे गए मशहूर अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इतवार को लंदन में तीसरी शादी की जो उनका निजी मामला है। लेकिन दो कारणों से सोमवार सुबह तक यह मामला सार्वजनिक हो गया था। पहला कारण तो यह है कि शादी में ललित मोदी और मोइन कुरैशी मौजूद थे जबकि दूसरा कारण यही है कि पूर्व सॉलिसिटर जनरल सरकारी समिति में रखे गए हैं। ललित मोदी पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं हालांकि उनका कहना है कि वे भगोड़े नहीं हैं और उन्हें किसी भी अदालत से सजा नहीं हुई है। मोइन मांस निर्यातक हैं और इनका संबंध कम से कम दो सीबीआई के दो निदेशकों की नौकरी जाने से है। उन पर वित्तीय अनियमितताओं के भी मामले हैं। 

सोशल मीडिया पर यही मुद्दा है कि सरकारी समिति में रखी गई हस्ती के लिए ऐसे लोगों से संबंध होना अनुचित और असामान्य है। द टेलीग्राफ ने आज इस बारे में विस्तार से खबर दी है और हरीश साल्वे से बात भी की है। टेलीग्राफ में यह खबर लीड है। एडिटर्स गिल्ड के खिलाफ एफआईआर की खबर भी द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर दो कॉलम में है। शीर्षक है, मुख्यमंत्री जो तुरंत कार्रवाई करते हैं (संपादकों पर)। द टेलीग्राफ अपने पहले पन्ने पर रोज एक कोट छापता है। आज का कोट एमके स्टालिन का है जो टाइम्स ऑफ इंडिया के कोट में नहीं है। स्टालिन ने जो कहा है वह हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, एक ऐसा भारत जहां सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्ष राजनीति, समाजवाद, बराबरी, सामाजिक सद्भाव, राज्यों की स्वायत्तता, संघवाद, विविधता में एकता अपने पूरे रंग में फले-फूले वही असली भारत है। एक अनूठा, अद्वितीय भारत।       

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।