अखबारों का हाल, हँसुआ के ब्याह में खुरपी के गीत…*

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


 

मणिपुर नियंत्रित नहीं हो रहा है, जी20 की तैयारियों से परेशान है दिल्ली और प्रधानमंत्री का मंत्रियों को संदेश, “सनातन टिप्पणी पर उपयुक्त जवाब की आवश्यकता है।” आज यही है टीओआई की लीड, प्रधानमंत्री के प्रवचन के साथ, उसे आगे पढ़िये-

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि संसद के विशेष सत्र में नौ मुद्दों पर चर्चा की जाये। इनमें अडानी से जुड़े मामलों की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग शामिल है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि इस विशेष सत्र को लेकर किसी को भी जानकारी नहीं थी। पहली बार ऐसा हो रहा है जब विशेष सत्र के एजेंडे की कोई जानकारी नहीं है। इससे अटकलें लग रही हैं, अफवाह फैल रही है और मूल खबरें रह जा रही हैं या पहले पन्ने पर जगह नहीं पा रही हैं। 

सोनिया गांधी ने मांग की है कि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, किसानों की मांग पर प्रतिबद्धता, मणिपुर के लोगों की परेशानी, हरियाणा जैसे राज्यों में सांप्रदायिक तनाव में वृद्धि, भारतीय क्षेत्र में चीन का कब्जा जारी रहना, जातीय जनगणना की आवश्यकता, केंद्र – राज्य संबंध को पहुंचाई जा रही क्षति, कुछ राज्यों में बाढ़ और कुछ में सूखे जैसे मुद्दों पर उचित नियमों के तहत चर्चा कराई जाए। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर इस खबर के साथ संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी का जवाब छापा है कि उन्होंने सोनिया गांधी पर संसद के राजनीतिकरण का आरोप लगाया। 

मंदिर की राजनीति करने वाले संसद में राजनीति करने का आरोप लगा सकते हैं और यह निश्चित रूप से खबर है। पहले पन्ने पर ठीक ही है। शायद इसीलिए, नवोदय टाइम्स की आज की लीड का शीर्षक है, “संसद सत्र पर छिड़ा संग्राम।”  उपशीर्षक है, सोनिया का पत्र, 9 मुद्दों पर चर्चा की मांग की। जोशी का जवाब, काम-काज के राजनीतिकरण का प्रयास। नवोदय टाइम्स के पहले पन्ने की एक और खबर हैं – “ब्रिटेन में किसी प्रकार का उग्रवाद स्वीकार्य नहीं”। भारत में केंद्रीय गृहमंत्री कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कह चुके हैं, ‘गलती से भी कांग्रेस आई तो पूरा कर्नाटक दंगे से ग्रस्त हो जाएगा।’ यही नहीं बिहार में उन्होंने यह भी कहा है, ‘आप हमें 40 में 40 सीट दीजिए, दंगाइयों को उलटा टांग देंगे’। उन्होंने यह भी कहा था कि बीजेपी शासित राज्यों में दंगा नहीं होता। लेकिन मणिपुर संभल नहीं रहा है और भाजपा का कोई भी छोटा बड़ा नेता उसके बारे में नहीं बोल रहा है।

ऐसे में यह दिलचस्प है कि आज टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड है (अनुवाद मेरा), “सनातन टिप्पणी पर उपयुक्त जवाब की आवश्यकता है : प्रधानमंत्री।” इस खबर का इंट्रो है, मंत्रियों से कहा कि भारत मामले में वही बात करें जो इस मुद्दे से वाकिफ हैं। अखबार ने इस खबर के साथ बताया है कि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है वह खबर अंदर के पन्ने पर है और इसी के साथ यह भी बताया है कि भाजपा की नजर में यह संसद के काम-काज का राजनीतिकरण करने की कोशिश है और यह भी अंदर उसी पन्ने पर है। इस के साथ जी20 पर प्रधानमंत्री का एक छोटा सा प्रवचन भी है।   

मंत्रियों को प्रधानमंत्री का संदेश इंडियन एक्सप्रेस में भी पहले पन्ने पर है। लीड के साथ टॉप की इस खबर का शीर्षक है, प्रधानमंत्री ने मंत्रियों से कहा, सनातन धर्म पर विपक्ष की टिप्पणी का मुकाबला, खुलासा करें। इसके नीचे सोनिया गांधी की चिट्ठी की खबर है और शीर्षक में ही बताया गया है कि विशेष सत्र में मणिपुर और जातीय जनगणना पर चर्चा को भी मुद्दा बनाया है। एक्सप्रेस ने भी इस खबर के साथ बताया है कि भाजपा ने कांग्रेस नेता पर निशाना साधा और कहा कि (संसद के) सत्र पर दलों से सलाह पहले भी कभी नहीं हुई है। मुझे नहीं पता यह मुद्दा कहां से आ गया। जब नौ मुद्दे नहीं बताये गये हैं, इससे संबंधित जानकारी नहीं है तो इस जवाब का इतना महत्व क्यों है कि इसे उपशीर्षक बनाया जाये, मैं नहीं समझ पाया। 

आज के पहले पन्ने की कुछ खास खबरें इस प्रकार हैं

1.टाइम्स ऑफ इंडिया  

मणिपुर हिंसा में 28 जख्मी, 30,000 लोगों की भीड़ ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया 

2.द हिन्दू 

मणिपुर में सेना के बैरिकेड को लेकर विरोध प्रदर्शन में 40 जख्मी  

3.इंडियन एक्सप्रेस 

बाइडेन-मोदी वार्ता कल, भारत गणतंत्र दिवस के मेहमान के रूप में क्वाड नेताओं को आमंत्रित करने पर विचार कर रहा है

4.हिन्दुस्तान टाइम्स  

– 2023 की गर्मी दुनिया भर में रिकार्ड की गई अब तक की सबसे गर्म रही  

– जी20 देश डीपीआई, डेट, एमबीडी, क्रिप्टो पर करार पूर्ण करने के करीब 

– एक देश एक चुनाव : (अमित) शाह, विधि मंत्री ने कोविन्द से ‘शिष्टाचार मुलाकात’ की 

– दिल्ली में यातायात फिर पटरी से नीचे, त्यौहार ने जी20 की बाधाओं को और मुश्किल बनाया 

– सीमा पर अधिसंरचना तैयार करने की होड़ में चीन आगे है, पर भारत ने गुजरे तीन वर्षों में अंतर कम किया है : बीआरओ प्रमुख 

अखबारों और खबरों की इसी आपाधापी में द टेलीग्राफ ने सोनिया गांधी की चिट्ठी को पूरा महत्व दिया है और शीर्षक है, इंडिया (भारत नहीं) बनाम लड़ाके। अंग्रेजी में केवमेन का उपयोग किया गया है। इसका मतलब गुफावासी या गुफा में रहने वाले प्राचीन काल के लोग तो होता ही है,  लड़ाका, झगड़ालू, आक्रामक प्रवृत्ति वाले व्‍यक्ति को भी औपचारिक तौर पर केवमैन कहा जाता है। द टेलीग्राफ का उपशीर्षक है, अंतर इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकता है, पसंद आपकी है। इसके साथ अखबार ने बताया है और ढेरों चैनल के लोगो वाले माइक के आगे हाथ में तलवार लिये अयोध्या के एक साधु की तस्वीर छापी है और बताया है कि उन्होंने इस हफ्ते के शुरू में सनातन धर्म की आलोचना करने वाले का सिर कलम करने के लिए पुरस्कार देने की पेशकश की थी और कैमरों के समक्ष एलान किया था, अगर कोई उसे मारने की हिम्मत नहीं करेगा तो मैं खुद उसे मार दूंगा। अखबार ने लिखा है कि इस मामले में बुधवार तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है क्योंकि स्पष्ट रूप से, “कोई भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेता है”। यह एक ऐसे देश में हुआ है जहां तीन मुसलमानों समेत चार लोगों को एक ट्रेन में आरपीएफ के एक सिपाही ने चुन कर मार दिया था। 

कहने की जरूरत नहीं है कि आज के अखबारों में यह खबर या सूचना पहले पन्ने पर तो नहीं ही है, हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर चेन्नई / मेरठ डेटलाइन से छपी एक खबर में बताया है कि सनातन धर्म विवाद में स्टालिन जूनियर, प्रियांक खड़गे के खिलाफ उत्तर प्रदेश में मामला दर्ज हुआ है। यहां गौर करने वाली बात है कि हत्या की धमकी सार्वजनिक रूप से कैमरे के आगे दी गई है जबकि सनातन धर्म की कथित आलोचना एक हॉल में एक विषय पर चर्चा के दौरान विचार के रूप में व्यक्त की गई है। वह भी हिन्दी या अंग्रेजी में नहीं तमिल या तेलुगू में होगी जो मेरठ में लोग आमतौर पर जानते तक नहीं है और अगर इस पूरे मामले में कुछ आपत्तिजनक है तो जिस सूचना पर एफआईआर हुई है वह खबर, उसे छापना और उसका प्रचार भी आपत्तिजनक है। कायदे से जिस भाषा में कुछ आपत्तिजनक कहा गया उस भाषा को समझने वाले लोगों के राज्य में, राज्य के लोगों या पुलिस द्वारा एफआईआर कराई जानी चाहिए थी। पर ऐसा नहीं करके देश में धार्मिक या सांप्रदायिक राजनीति चल रही है और अखबार बता रहे हैं तथा सत्तारूढ़ दल के नेता आरोप लगा रहे हैं कि सोनिया गांधी संसद का राजनीतिकरण कर रही हैं।   

जहां तक सनातन पर टिप्पणी का सवाल है इंडिया समूह के दलों में एक नेता के बेटे की टिप्पणी को मुद्दा बनाया जा रहा है। इसके बारे में छप चुका है कि, अमित शाह स्टालिन जूनियर के ‘सनातन’ भाषण से संबंधित विवाद पर हमले का नेतृत्व कर रहे हैं। अमित शाह ने इस बारे में कहा है, सनातन के अपमान में जुटा विपक्षी गठबंधन और यह भी कि सनातन लोगों के दिलों में कर रहा राज, उसे कोई नहीं हटा सकता। इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने कहा है और आज टीओआई ने छापा है कि इसका उपयुक्त जवाब देने की जरूरत है। पहले उदयनिधि स्टालिन ने जो कहा है, सनातन धर्म एक सिद्धांत है जो लोगों को जाति और धर्म के नाम पर बांटता है। डेंगू, मलेरिया और कोरोना जैसी कुछ चीजें जड़-मूल से खत्म की जानी चाहिये न कि सिर्फ विरोध किया जाना चाहिए। इसी तरह सनातन को भी जड़ मूल से खत्म किया जाना चाहिए। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसके साथ अमित शाह का कोट छापा था जो इस प्रकार है, तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के लिए आप (इंडिया अलायंस) इस देश के संस्कृति और सनातन धर्म का अपमान करते रहे हैं। तीसरा कोट कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम का है, क्या कारण है कि ‘एसडी’ (सनाधन धर्म) के लिए बल्लेबाजी करने वाले सभी लोग विशेषाधिकार वर्ग से आते हैं जो ‘वर्ण क्रम’ के लाभार्थी हैं। किसी के खिलाफ किसी नरसंहार की कोई अपील नहीं थी, यह एक संदिग्ध स्पिन है। कहने की जरूरत नहीं है कि मामले को जबरन तूल दिया जा रहा है और यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में हत्या की धमकी देने वाले के खिलाफ एफआईआर नहीं है और जो बात तमिलनाडु में तमिल में बोली गई उसपर उत्तर प्रदेश में एफआईआर है। 

संयोग से जिस शहर में एफआईआर हुई है उसी शहर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर घूम रहा है जिसमें एक परिवार अपने बेटे का शव ठेले पर लेकर जा रहा है और मां अंतिम संस्कार करने के लिए पैसे मांग रही है। दूसरी ओर टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री का जो प्रवचन प्रमुखता से छापा है उसमें उन्होंने कहा है, भारत के लिए जी20 की अध्यक्षता उच्च स्तर का एक राजनयिक प्रयास भर नहीं है। लोकतंत्र की जननी और विविधता के ए मॉडल के रूप में  हमलोगों ने इस अनुभव का दरवाजा दुनिया के लिए खोला है। भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है यह कोई संयोग नहीं है। हमारे सरल, विस्तार योग्य और स्थायी समाधानों ने कमजोर और हाशिये पर कर दिये गये लोगों को हमारे विकास की कहानी का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया है।  

*इसका मतलब है, मुद्दा कुछ और हो, चर्चा किसी और की करना।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।


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