18 नवंबर को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम (CBIC) ने ऐलान किया था कि अगले साल से GST नियमों में कुछ बदलाव होने वाले वाले हैं। आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में किए गए बदलाव 1 जनवरी से लागू होंगे। इससे पहले जान लेते हैं कि इस बदलाव के बाद क्या महंगा होगा और नए नियम से उपभोक्ता कैसे प्रभावित होंगे।
नए नियम का बड़े कारोबारियों पर प्रभाव..
पहले बात करते हैं कि नए नियम का बड़े कारोबारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। दरअसल, नए साल के साथ 5 करोड़ या इससे ज्यादा के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को हर महीने दो रिटर्न जमा करने होंगे। GSTR-3B सेल्फ-डिक्लेयर्ड रिटर्न और GSTR-1 सेल्स इनवॉइस ऑफ मंथली रिटर्न। यदि GSTR-3B और GSTR-1 में दिखाया गया रिटर्न सरकार द्वारा सहमत नहीं है, तो बिना किसी पूर्व सूचना के जीएसटी वसूली के लिए सरकारी अधिकारियों को भेजा जा सकता है।
कपड़े और फुटवियर की कीमतों में बढ़ोतरी..
बता दें कि GST के नए नियम लागू होने के बाद कपड़े और फुटवियर की कीमतों में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि नए नियम के अनुसार, इन वस्तुओं पर जीएसटी की दर 5 फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगी। बदलाव के अनुसार, 1000 रुपये या उससे कम कीमत वाले कपड़ों और जूतों पर 12 प्रतिशत की दर से ही जीएसटी लगेगा।
कपड़ों में 1 जनवरी 2022 से बुना हुआ सामान, टेबल पर प्रयोग होने वाले कपड़े और टेबल नैपकिन, टेंट, कंबल, सिंथेटिक धागे आदि जैसे फैब्रिक मंहगे होंगे। इन सभी पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। बता दें कि कपास (Cotton) के उत्पादों पर 5% जीएसटी ही लगेगा।
ओला, उबर जैसी यात्री सेवाओं पर 1 फीसदी जीएसटी की कटौती..
वहीं,नए नियम के मुताबिक नए साल से ओला, उबर जैसी यात्री सेवाओं पर से 1 फीसदी जीएसटी काटा जाएगा। पहले कैब सेवाओं पर 6 प्रतिशत जीएसटी लगता था, अब ओला या उबर के माध्यम से ऑनलाइन बुक की गई ऑटो सवारी पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। हालांकि, सड़क पर पकड़े गए ऑटो रिक्शा पर जीएसटी लागू नहीं होगा। इसे अच्छे से समझने के लिए जान लें कि ऑटो-रिक्शा की ऑनलाइन बुकिंग पर ज्यादा खर्च आएगा, लेकिन ऑनलाइन बुक की गई कैब की कीमतों में थोड़ी कमी आएगी।
फूड डिलीवरी बिजनेस वालों को उपभोक्ताओं से वसूला GST जमा करना होगा..
यहां ऑनलाइन पकवान मांगने वालों के लिए एक अच्छी खबर है क्योंकि नए साल पर उनसे अधिक जीएसटी नही वसूला जाएगा। हालांकि नए साल पर “जोमैटो, स्विगी“ जैसे फूड डिलीवरी बिजनेस करने वालों की मुस्किलेम बढ़ेंगी। क्योंकी उन्हें उपभोक्ताओं से वसूला गया जीएसटी जमा करना होगा। ये सभी ऐप 1 जनवरी से अपने द्वारा दी जाने वाली रेस्टोरेंट सेवाओं पर 5 फीसदी जीएसटी जमा करना शुरू कर देंगे।