लंदन के वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमित बच्चो पर शोध किया। जिसकी रिपोर्ट लैंसेट जर्नल में प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों का अध्ययन के बाद दावा किया है की कोरोना संक्रमित ज्यातर बच्चों में लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ की आशंका कम है। वैज्ञानिकों ने 1734 बच्चों पर अध्ययन किया। जिसमे अधिकतर बच्चों में संक्रमण का कोई भी लक्षण मौजूद नही था। जिन बच्चों में लक्षण था भी तो वो एक सप्ताह में स्वस्थ हो गए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने अध्ययन में शामिल बच्चो पर निगरानी के बाद स्पष्ट किया कि बच्चों में संक्रमण के कारण स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ एवरेज छह दिन रही।
- ज्यादातर बच्चे एक सप्ताह में स्वस्थ हो गए।
- काम बच्चे ही ऐसे थे जिन्हे 2 महीने तक संक्रमण के लक्षणों से जूझना पड़ा।
- 4.4 % यानी 77 बच्चों को एक माह तक कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ रही।
- 2 % से भी कम बच्चों को आठ सप्ताह बाद भी संक्रमण के लक्षणों के कारण परेशान किया।
बच्चो में संक्रमण के बाद ये लक्षण..
जिन बच्चों में लक्षण लंबे समय तक रहा उन्हें नियमित डॉक्टरी निगरानी में रखा गया था। रिपोर्ट में ये भी स्पष्ट है की संक्रमण के बाद बच्चों में जनरली सामने समय तक जो लक्षण रहे, उनमें थकान, सिर में दर्द, सूंघने की क्षमता में कमी जैसी तकलीफ शामिल थी।
प्रमुख शोधकर्ता प्रो. एमा डनकन बताती हें कि शोध से ये पता चला है कि बच्चों में संक्रमण के कारण लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ की गुंजाइश कम है।
अमेरिका, ब्रिटेन के अस्पतालों में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी..
आपको बता दें की तीसरी लहर की शुरुआत बच्चो में संक्रमण से हो रही हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में अस्पतालों में भर्ती होने वाले बच्चों की भी संख्या बढ़ रही है बच्चों में संक्रमण की बढ़ती दर चिंता का विषय है। तीसरी लहर की आशंका के बीच यह इस बात का संकेत है कि वायरस अब बच्चों को अपनी चपेट में लेने लगा है। डेल्टा वैरिएंट ने तो पहले ही विश्व भर से लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। इस बीच अमेरिका भी इसी डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहा है। लेकिन बच्चो में संक्रमण बढ़ने से अब अमेरिका की मुश्किलें और बढ़ रही है।
पांच से ग्यारह वर्ष के बच्चों को टीका लगाना जरूरी..
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की प्रेसिडेंट डॉ. ली सेवियो कहती हैं कि अमेरिका में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। अब पांच से ग्यारह वर्ष के बच्चों को भी टीका लगना चाहिए। तभी संक्रमण को बेकाबू होने से रोका जा सकता है, क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की ताजा साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार देश के अलग-अलग राज्यों में कुल 94 हजार से अधिक बच्चे संक्रमण की चपेट में आए हैं। लेकिन इस बीच किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों के शोध में किया गया दावा कुछ हद तक राहत देने वाला है।
भारत में फिर भी खतरा..
वैज्ञानिकों का यह अध्ययन थोड़ी राहत जरूर पहुंचाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चों में संक्रमण फैलने से खतरा नहीं है। खासकर भारत में। अमेरिका से तुलना करें तो भारत में अगर बच्चों में संक्रमण फैल गया तो यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि भारत में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का जो हाल है वह अमेरिका की तुलना में काफी बदहाल है और सब से बड़ी बात भारत में अभी 10 साल से कम के बच्चों का टीकाकरण भी नहीं शुरू हुआ है। ऐसे में बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी संक्रमण फैलने का खतरा है। जो कि काफी घातक साबित हो सकता है और तीसरी लहर में तबाही मचा सकता है।