पहला पन्ना: स्वास्थ्य मंत्री पतंजलि की दवा का प्रचार करते हैं, और सूचना मंत्री टीकाकरण का!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


आज के अखबारों में कोविड से संबंधित एक और महत्वपूर्ण आदेश है। यह आदेश भी स्वास्थ्य मंत्री ने नहीं किया। इस बार सूचना और प्रसारण मंत्री ने यह काम किया। आप जानते हैं कि बाबा रामदेव ने कोरोनिल दवा पेश करने का दावा किया तो दो-दो केंद्रीय मंत्री मंच पर मौजूद थे। स्वास्थ्य मंत्री भी थे। तस्वीरें भी थीं। बाद में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने मांग की कि स्वास्थ्य मंत्री को कहना चाहिए कि वे पतंजलि की दवा कोरोनिल को एनडोर्स (की पुष्टि) नहीं कर रहे हैं। यह खबर और अखबारों के साथ इंडियन एक्सप्रेस में भी छपी थी। स्वास्थ्य मंत्री ने एनडोर्स करने की बात कही या नहीं, पता नहीं चला। पर अब तो यह भी पता नहीं चल रहा है कि भारत सरकार के इन आदेशों को एनडोर्स करते हैं कि नहीं।

टीके की खुराक के बीच अंतराल बढ़ाने का कल वाला आदेश तो स्वास्थ्य मंत्रालय का था और विज्ञप्ति के आधार पर खबर छपी थी। मैंने लिखा था कि कोविड-19 से बचाव के लिए देश में लोगों को लगाए जा रहे दो कंपनियों के टीके में से एक की दो खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाने की खबर स्वास्थ्य मंत्री को प्रेस कांफ्रेंस करके देनी चाहिए थी और संबंधित सवालों के जवाब के साथ वह खबर इतनी बड़ी होती कि लीड छपती तो बुरा नहीं लगता। लेकिन अखबारों ने प्रेस विज्ञप्ति की घोषणा को ही, बिना जवाबों के लीड बना दिया। इतना भर काम तो दवा बनाने वाली कंपनी भी कर सकती थी और जरूरी नहीं था कि इस खबर को इतना महत्व दिया जाता।

अब आज प्रकाश जावेडकर का एलान कई अखबारों में लीड है कि 45 साल से ऊपर वाले भी टीका लगवा सकते हैं। वैसे तो दोनों घोषणाएं एक साथ भी हो सकती थीं और तब भी कल की खबर थोड़ी दमदार हो जाती। पर तब खबर और ‘सरकार’ का नाम एक ही दिन छपता। एक ही दिन प्रचार मिलता। अब दो दिन प्रचार हो रहा है। तीन राज्यों में अधिकतम आठ चरण में चुनाव चल रहे हैं। वैसे ही सरकार चरणों में घोषणा कर रही है। वह भी दूसरे मंत्रियों के जरिए। न जाने क्यों। आइए देखें खबर क्या कहती है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर लीड है। शीर्षक है, 45 से ऊपर के हर किसी के लिए टीका। आप जानते हैं कि टीका वही है। अब सरकार कह रही है कि यह 45 से ऊपर के हर व्यक्ति को लग सकता है। इस खबर का विवरण शीर्षक में क्या है उसी से हम इस खबर का महत्व समझने या जानने की कोशिश करेंगे। इस लिहाज से हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर में ना कोई उपशीर्षक है ना इंट्रो, फ्लैग या बोल्ड। दो दूसरी खबरें जरूर हैं, जो दिल्ली में कोविड के मामले बढ़ने के साथ-साथ बताती हैं कि (बीमारी के) पंजाब के नमूनों में 81 प्रतिशत ब्रिटेन के नए रूपांतर हैं। और यह तेजी से फैल रहा है। दूसरी खबर दिल्ली की है। इसमें बताया गया है कि यहां मामले 1100 से ज्यादा हो गए और डीडीएमए ने होली पर भीड़ इकट्ठी करने से मना किया है। पिछले साल अस्पतालों के ओपीडी भी बंद थे। इस बार आप टीका लगवाने जा सकते हैं। चूंकि पिछले साल की तरह लॉकडाउन नहीं है इसलिए और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। मेरा मतलब टीके को मिल रही प्रमुखता से है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। शीर्षक है, 1 अप्रैल से 45 पार कोई भी टीका लगवा सकता है। इसके साथ बताया गया है कि इस कदम से 34 करोड़ भारतीय टीका लगवा सकेंगे। और यह भी कि टीका पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सामान्य स्थिति में यह सब विज्ञापन होता पर सरकार टीका सबसे पहले उपलब्ध करवाने का श्रेय लेने के लिए खुद प्रचारक बन गई लगती है। अखबार ने इसके साथ जो खबरें और सूचनाएं दी हैं उनमें प्रमुख हैं, मंगलवार को 276 मौतें, इस साल सबसे ज्यादा। यहां हिन्दुस्तान वाली दो खबरें भी हैं और अंदर जिन खबरों की सूचना है वे हैं संक्रमण दूना होने की रफ्तार खराब हुई 202 दिन, गृह मंत्रालय ने कहा है राज्य अपने स्तर पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने वाले दिल्ली के दो अखबारों की विशेषता है कि बंगाल चुनाव से संबंधित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के दावे को शीर्षक बनाने वाली खबर हिन्दुस्तान टाइम्स में अधपन्ने पर है और टीके की खबर लीड तो टाइम्स ऑफ इंडिया में उल्टा है। वहां टीके की खबर अधपन्ने पर है और अमितशाह की खबर लीड।

इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर दो कॉलम की लीड है और शीर्षक वही है, एक अप्रैल से 45 पार वालों के लिए भी टीका उपलब्ध होगा पर उपशीर्षक चौंकाने वाला है जो किसी और अखबार में इतनी प्रमुखता से नहीं दिखा। आप जानते हैं कि कल दो टीकों में से एक, कोविशील्ड की बात हुई थी और उसकी दो खुराक का अंतराल बढ़ाने की खबर दी गई थी। दूसरे के बारे में कुछ नहीं कहा गया था या यही कहा गया था कि कोविशील्ड के मामले में अंतराल बढ़ाया गया है। अब इंडियन एक्सप्रेस की खबर का उपशीर्षक है, कोविन में बदलाव, लाभार्थी दूसरी खुराक की तारीख चुन सकते हैं। केंद्र सरकार ने मंगलवार को यह सूचना राज्यों को दी। पहले पन्ने पर जितनी खबर है उसमें यह भी बताया गया है कि सूचना “सर्वोच्च सूत्रों” के हवाले से है। कहने की जरूरत नहीं है कि एक्सप्रेस ने आज कई दिनों बाद कोरोना की खबर पहले पन्ने पर छापी है लेकिन टीके के अलावा जो खबर है वह बताती है कि कोविड से नौकरी जाने का शिकार होने वालों में महिलाए ज्यादा हैं।

द हिन्दू में आज यह खबर लीड है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ सरकारी खबर होने के कारण लीड है बल्कि उसे लीड लायक बनाया गया है। शायद इसीलिए इंडियन एक्सप्रेस से अलग चाल कॉलम में छपी है। मामले बढ़ रहे हैं तो सरकार ने एक अप्रैल से 45 पार के सभी लोगों को टीका लगाने की सहमति दी। कल अंतराल बढ़ाने की खबर भी लीड थी और इस खबर को फिर लीड के रूप में देखने पढ़ने वालों को लगेगा कि सरकार कितनी गंभीरता से काम कर रही है। रोज की जरूरतों के अनुसार निर्णय लिए जा रहे हैं। तथ्य यह है कि पहले दिन सिर्फ कोविशील्ड की खबर दी गई कोविन के बारे में सोचा ही  नहीं गया। आज कोविन के बारे में आमतौर पर खबर नहीं है और इंडियन एक्सप्रेस की मानें तो इस मामले में भी अंतराल बढ़ाया गया है हालांकि लाभार्थी तारीख के संबंध में खुद निर्णय कर सकता है। मुझे नहीं लगता कि 45 पार वालों को भी टीका लगाने का निर्णय रातों रात हुआ होगा और इसकी घोषणा एक टीके के मामले में दो खुराक के बीच अंतराल बढ़ाने के साथ नहीं की जा सकती थी।

द हिन्दू में आज इस खबर के साथ एक और खबर छपी है, गृहमंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी, जांचें, ख्याल (हिसाब) रखें और उपचार करें। इस खबर से लगता है कि आपदा प्रबंध अधिनियम 2005 के तहत कोविड का मामला गृहमंत्रालय देख रहा है और इससे आप समझ सकते हैं कि स्वास्थ्यमंत्री क्यों गायब हैं और क्यों किस्तों में काम हो रहा है (गृहमंत्री) चुनाव में व्यस्त हैं। होने को देश में एक गृह राज्यमंत्री और गृहउपमंत्री भी होते थे और हमलोग उनके साथ भी हवाई जहाज में घूम लेते थे पर अब सरकार बर्बादी नहीं करती है। कोई राज्य मंत्री और उपमंत्री को नहीं जानता तो उसकी गलती है और सूचना व प्रसारण मंत्री स्वास्थ्य मंत्रालय की घोषणा कर रहे हैं तो उसका कारण यह भी हो सकता है।

द टेलीग्राफ में यह खबर सिंगल कॉलम में है। कल वाली भी सिंगल कॉलम में थी। इसमें बताया गया है कि केंद्र सरकार ने इस संबंध में नेशनल टास्क फोर्स और वैज्ञानिकों की सिफारिश स्वीकार कर ली है और सरकार ने 45 पार वालों से आग्रह किया है कि वे टीकाकरण के लिए पंजीकरण करा लें। द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर एक और दिलचस्प खबर है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ कल्टीवेशन ऑफ साइंस से कहा गया है कि केंद्र द्वारा तय हिन्दी भाषा के लक्ष्य का हासिल करने के लिए वह पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।