संसदीय समिति में चीन नहीं वर्दी पॉलिस पर बात, राहुल गाँधी का बहिर्गमन बिल्कुल ठीक- कैप्टन अमरिंदर

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पंजाब के मुख्यमंत्री और भारतीय सेना की सेवा कर चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक से बहिर्गमन को सही ठहराया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि इस बैठक में संसदीय परंपराओं का माखौल बनाया जा रहा था। राहुल गाँधी चीन और पाकिस्तान के ख़तरे पर बात करना चाहते थे, लेकिन राहुल गाँधी को बोलने नहीं दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी समिति के समक्ष लद्दाख में चीन की आक्रमकता और सैनिकों को बेहतर उपकरण उपलब्ध कराने से जुड़े मुद्दे उठाने चाहते थे, लेकिन समिति के अध्यक्ष जुएल उरांव (भाजपा) ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। बैठक में मौजूद एक नेता के अनुसार, चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में समिति की बैठक में सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के लिए वर्दी के मुद्दे पर चर्चा की जा रही थी और राहुल गांधी ने कहा कि इस पर चर्चा करने के बजाय नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों और लद्दाख में तैनात सशस्त्र बलों को मजबूत करने के बारे में चर्चा करनी चाहिए। समिति के अध्यक्ष ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को बोलने की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद राहुल गांधी ने बैठक से बहिर्गमन का फैसला किया। बैठक में शामिल कांग्रेस सांसद राजीव सातव और रेवंत रेड्डी भी उनके साथ बाहर चले गए। 

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस संबंध में विस्तार से एक वीडियो बयान दिया है जिसे कांग्रेस पार्टी ने जारी किया है। उन्होंने जो कहा है वह लिखित और फिर वीडियो रूप में नीचे देख सकते हैं-

“आज सुबह मैंने अखबार जब पढ़े तो मैंने देखा कल पार्लियामेंट की डिफेंस कमेटी की मीटिंग हुई थी। ये डिफेंस कमेटी हर मिनिस्ट्री के साथ एक पार्लियामेंट की कमेटी होती है, एमपीस उनके मैंबर होते हैं, रुलिंग पार्टी का आदमी डिफेंस कमेटी का चेयरमैन होता है, ये चला आ रहा है। 

मैं दो बार पार्लियामेंट में रहा हूं। पहली बार, मेरी डिफेंस कमेटी की चेयरमैन श्रीमती इंदिरा गांधी जी थी, वो डिफेंस मिनिस्ट्री में भी थी और जब भी हम कोई बात उठाते थे, सबको बात करने देती थी और सुनती थी। और पिछली बार जब था तो जनरल खंडूरी साहब हमारी कमेटी के चेयरमैन थे। उन्होंने कभी भी हमें नहीं रोका। जो भी हम दिल की बात करना चाहते थे, हम करते थे वहाँ। कल जो हआ वह संसदीय परंपराओं को बिल्कुल खत्म करने की बात है। 

पार्लियामेंट बनाता है पॉलिसी से।इस कमेटी में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे, आर्मी चीफ थे। एक बहुत बडे पैमाने पर  डिस्क्शन होनी थी। किस बात पर चलनी थी, वही जो राहुल जी ने कोशिश की उठाने की। क्या था वो– कि चीन को लेकर क्या पालिसी है? पाकिस्तान की क्या पालिसी है? जो हमारे जवान आज लद्दाख की ठंडी पहाडियों में बैठे हैं, उनका खाना क्या है? उनके कपड़े कैसे हैं? उनके रहने-सहने की जो बातें हैं, हथियार जो हैं, हथियार हमारे और एम्युनिशन वगैरह जो डिफेंस पॉलिसी बनाती है पार्लियामेंट, उसके बारे में बात की। यहाँ बात हो रही थी कि बटन क्या होंगे, बैजिज ऑफ रैंक क्या होंगे, वर्दियां क्या होंगी, ये क्या मखौल बना रखा है? ये क्या सांसदों  का काम है या आर्मी हैड क्वार्टर का काम है, एयर हैड क्वार्टर का काम है, नेवल हैड क्वार्टर का काम है?   

एक एमपी और हैं, पता नहीं वो कभी एनसीसी में रहे होंगे या नहीं रहे होंगे, ये भी मुझे नहीं मालूम। वो कहते हैं कि तीनों सर्विसेस की भर्ती एक ही बना दो। ऐसे लोग जो आते हैं इस कमेटी में, थोड़ा सा तो पढ़कर आएं, उनको पता होना चाहिए कि क्या हमारी इथोस हैं फौज की, एयरफोर्स की, नेवी की, क्या हमारा इतिहास है, क्या हमारी फौर्सेस हैं, कहाँ लड़े हैं, थोड़ा हिस्ट्री तो समझो, (तस्वीर दिखते हुए उन्होंने कहा) ये देखिए पिक्चर, ये सब सिंगापुर, जापान की लड़ाई है और ये जो बातें हैं। वो आते हैं और समझते हैं कि हम जो मर्जी वहाँ कहकर चले जाएं।

मुल्क का सोचो, हमारी फौजों का सोचो, हमारी डिफेंस सर्विसेस का सोचो। वो बेचारे वहाँ लड़ रहे हैं, वहाँ बैठे हैं। कोई दिन निकलता है, जब कोई हमारा जवान शहीद नहीं होता कश्मीर की पहाडी में? उनके बारे में सोचा। उनका नहीं सोचना आपने! आप सोचते हैं कि वर्दी बंद कर दो। हर रेजिमेंट की इनसिगनियां होती है, हर रेजिमेंट की हिस्ट्री है। (दिवार पर इशारा करते हुए कहा ) ये मेरी रेजिमेंट देखो, मेरी 1846 की बनी बनी हुई रेजिमेंट है। 22 हमने बैटल ऑनर्स लिए हुए हैं, इनको भूल जाएं हम? क्या किस्म की आप…. मुझे समझ नहीं आती कि ये लोग हैं, जो पॉलिटिशन बैठे हैँ। जिनको कोई हिस्ट्री का थोड़ा सा भी नहीं पता, डिफेंस सर्विसेस का कुछ नहीं पता।

राहुल जी ने बिल्कुल सही कहा और मैं आपको इसको कहता हूं कि आज के दिन जो ये बात सुनेंगे, राहुल जी की स्पीच भी सुनेंगे, उनके बारे में भी सुनेंगे और मैं जो बात कर रहा हूं, सुनेंगे। सब फौजी जो रहे हैं, एयरमैन रहे हैं, हमारे नेवल ऑफिसर रहे हैं, जवान रहे हैं, सबको जो मैं बात कर रहा हूं, सबको अच्छी लगेगी और पसंद आएगी कि ये बात सही कर रहे हैं। 

क्या कर रहे हैं आप- वर्दी पॉलिश करनी हैं, उसमें कौन सा किस्म का परासुन लगाना है, ये है कोई पार्लियामेंट का काम? तो ये बातें छोड़ो, आज देश में संकट आया हुआ है। आज चीन की हमारे पर निगाह है, पाकिस्तान की हमारे पर निगाह है, दोनों दोस्त बने हुए हैं (आपस में ) इस टाइम और आप उनकी बडी बातें सोचने की बजाए, हथियार की बजाए, जो बाकी चीजें फौज को चाहिएं, नेवी को चाहिएं, एयरफोर्स को चाहिए, उनकी बजाए आप छोटी-छोटी बातों पर आ जाते हैं और फिर जो उठाना चाहता है, कोई इसका हर मैंबर का हक है कि उठकर अपनी बात कहें, उनको बोलने भी नही देते। 

पता नहीं कौन है कमेटी का चेयरमैन, मेरे ख्याल से, पता नहीं वो भी कभी एनसीसी में नहीं गया होगा। ऐसे लोग हैं, जो बैठा देते हैं वहाँ और समझते हैं कि ये हमारे हिंदुस्तान की सुरक्षा ये करेंगे। मुझे शर्म आती है ये कहते हुए कि यहाँ तक हमारे पार्लियामेंट की डिफेंस कमेटी पहुंच रही है । भगवान के लिए देश का सोचो और हमारी फौजों का सोचो, यही मैं कह सकता हूं और मैं कुछ कह नहीं सकता। लेकिन ये बातें नहीं होनी चाहिएं, उस लेवल पर।”