किसान आंदोलन के बढ़ते दबाव के बीच पंजाब के डीआईडी (जेल) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने किसान आंदोलन के प्रति मोदी सरकार के रवैये के प्रति ऐतराज़ जताया है।
जाखड़ ने कहा कि वे पहले एक किसान हैं, पुलिस अफसर बाद में। उन्होंने बताया, “आज मेरा जो पद है, वह इसलिए है क्योंकि मेरे पिता ने एक किसान के तौर पर खेतों में काम किया और मुझे पढ़ाया-लिखाया। इसलिए मेरा सब कुछ किसानी का दिया है।”
जाखड़ 1989 से 1994 तक शार्ट सर्विस कमीशन से 14 पंजाब (नाभा अकाल) रेजीमेंट के कैप्टन भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने सारी औपचारिकताएँ पूरी कर ली हैं, इसलिए सरकार को इस्तीफ़ा स्वीकार करने को लेकर परेशानी नहीं होनी चाहिए।
वैसे, 56 वर्षीय जाखड़ को इसी साल में मई में घूसखोरी के आरोप में सस्पेंड भी किया गया था। हालाँकि दो महीने बाद ही उन्होंने दोबार ड्यूटी पर बुला लिया गया था। जाखड़ ने कहा है कि वे नोटिस पीरियड की अपनी तीन महीने की तनख्वाह और बाकी एरियर भी जमा करने को तैयार हैं ताकि जल्द से जल्द उन्हें कार्यमुक्त किया जा सके।
ग़ौरतलब है कि सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध बना हुआ है। सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है और किसान संगठन भी बिना कृषि कानूनों को वापस कराये वापस जाने को तैयार नहीं हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल (लोकतांत्रिक) नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने किसानों के समर्थन में अपना पद्मविभूषण सम्मान वापस कर दिया है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित तीस खिलाड़ियों ने भी ऐसा ही किया है। इसके अलावा पूर्व सैनिकों की ओर से भी ऐसा ही चेताया जा चुका है।
14 दिसंबर को किसान नेताओं ने पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इसके अलावा किसान नेता दिन भर की भूख हड़ताल भी करेंगे।