किसानों ने कमेटी का लॉलीपॉप ठुकराया, बातचीत बेनतीजा

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मोदी सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच आज शाम हुई बातचीत फ़ेल हो गयी। सरकार की ओर से कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए समिति बनाने का प्रस्ताव रखा गया था जिसे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया। अब अगली बैठक गुरुवार को होगी। किसानों का कहना है कि उन्हें सरकार की नीयत पर भरोसा नहीं है, इसीलिए छह महीने का राशन-पानी लेकर दिल्ली आये हैं। बिना कृषि क़ानून रद्द कराये वापस नहीं जायेंगे।

किसानों ने बीते छह दिनों से दिल्ली घेर रखी है। पहले सरकार को भरोसा था कि वह ताक़त के बल पर किसानों को दिल्ली पहुँचने नहीं देगी। हरियाणा और यूपी की सरकारों ने ऐसी कोशिश भी की। राह में सड़कें काटी गयीं, बड़े-बड़े पत्थर डाले गये लेकिन किसानों का सैलाब सब बहाते हुए चला गया। हाल ये है कि सिंघु और टिकरी बार्डर पर हरियाणा और पंजाब के किसान तो यूपी गेट पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आ डटे हैं। धीरे-धीरे देश भर से आंदोलनकारी शामिल होते जा रहे हैं। ऐसी घेरेबंदी इतिहास में पहली बार होती दिख रही है।

यही वजह है कि गृहमंत्री अमित शाह की दंभी घोषणा के बावजदू सरकार आज बातचीत के लिए तैयार हो गयी। पहले अमित शाह ने कहा था कि बुराड़ी के निरंकारी मैदान जाने पर ही किसानों से बात होगी, लेकिन किसानों ने किसी भी शर्त को मानने से इंकार कर दिया। हारकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज तीस संगठनों के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया था। सूत्रों के मुताबिक बैठक में सरकार की ओर से किसान प्रतिनिधियों के सामने प्रेजेंटेशन देकर नये क़ानूनों का लाभ बताने की कोशिश की गयी, लेकिन किसानों ने साफ़ कह दिया कि सरकार उन्हें फायदा पहुँचाने की ‘कृपा’ न करे।

ग़ौरतलब है कि जिस कृषि बिल को राज्यसभा में हंगामे के बीच बिना चर्चा पास करा लिया गया था, उस पर अब सरकार समिति बनाने का प्रस्ताव दे रही है। सामान्य रूप से जब क़ानून बनते हैं तो संसद ही नहीं स्टैंडिंग कमेटियों में भी चर्चा के लिए बिल भेजा जाता है, लेकिन तब सरकार ने इतनी जल्दबाज़ी दिखायी कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के दामन में दाग़ लग गया जिन्होंने विपक्ष की ओर से आयी मत विभाजन की माँग न मानी जबकि ऐसा नियम था। स्वाभाविक है कि किसानों को सरकार की नीयत पर बिलकुल भी भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ अडानी-अंबानी की सुनती है। किसानों को बरगलाने की उसकी कोशिश सफल नहीं हो पायेगी।