क्या देश के पूर्व उप प्रधानमन्त्री और भाजपा के नवनिर्माण के महारथी कहे जाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी ठीक ठाक हैं ? क्या उनके कहने बोलने पर कोई रोक लगाईं गई है ? आडवाणी जी के कम दिखने और कम बोलने के बीच एक बड़ी बात हुई है जिससे देश अब तक अनजान है। आडवाणी जी का ब्लॉग और वो ब्लॉग पोस्ट इंटरनेट से गायब हैं जिसमे उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा किया था और जिन पर दुनिया भर में जमकर चर्चा हुई थी। यह बात सुनने में अजीब भले लगे लेकिन सच है कि आडवाणी जी के ब्लॉग lkdvani. in को इसी वर्ष मई माह में बंद कर दिया गया। अब अगर आप आडवाणी जी के ब्लॉग को पढना चाहते हैं तो यह आपको ढूँढे नहीं मिलेगा । इसे पढने के लिए अब आपको किसी थर्ड पार्टी टूल्स की मदद लेनी होगी।
आडवाणी जी के ब्लॉग के गायब होने का मतलब केवल उनके लिखे का गायब होना भर नहीं है । यह सवाल बार बार उठता है कि जरूरी मुद्दों पर आडवाणी खामोश क्यों रहते हैं ? सच्चाई यह है कि आडवाणी जी न केवल अब कम बोलते हैं बल्कि अब सार्वजनिक तौर पर अब कम देखे भी जाते हैं। हांलाकि पीएम मोदी द्वारा मार्च माह में थाली पीटने और दिया जलाने के कार्यक्रम में उनकी तस्वीर जरूर नजर आई थी। राम मंदिर भूमि पूजन के कार्यक्रम में कथित तौर पर टेलीफोन से उन्हें आमंत्रित किया गया था लेकिन आयोजकों का कहना था कि वो कोरोना के संक्रमण की वजह से नहीं आ सके हैं। अभी पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के निधन के बाद उनका बयान आया लेकिन वो भी बहुत सधा हुआ था। अब कहा जा रहा है कि बाबरी मस्जिद गिराने के आरोप में आडवाणी जी आगामी 30 सितम्बर को \सीबीआई की विशेष अदालत में उपस्थित हों सकते हैं जब कोर्ट उनके साथ साथ 32 आरोपियों को लेकर सजा का ऐलान करेगी। लेकिन आडवाणी जी के ब्लॉग के गायब होने से यह बात लगभग साफ़ हो गई है कि न केवल आडवाणी जी कम बोल रहे हैं और कम दिख रहे हैं बल्कि उन्होंने कहना भी कम कर दिया है या फिर ये कहें कि उनको कहने से भी रोका जा रहा है।
अगर इंटरनेट पर मौजूद तकनीक की मदद से आडवाणी जी के ब्लॉग के सुरक्षित पेजों को देखा जाए तो इस आर्काइव में आडवाणी जी के ब्लॉग से वह सब कुछ गायब है जो नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद आया। सवाल उठता है कि ऐसा क्या था जिसकी वजह से न केवल ब्लॉग बल्कि पोस्ट हटा दी गई, जिनमे न केवल आडवाणी जी के लिखे लेख थे बल्कि उनके समूचे राजनैतिक जीवन की कहानी भी मौजूद थी। महत्वपूर्ण है कि आडवाणी जी का ब्लॉग बीजेपी का मीडिया सेल संभालता रहा है। यह बात हैरत मे डालती है कि अब भी बीजेपी की वेबसाइट पर उनके ब्लॉग का लिंक देखने को मिल जाता है? अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के संगठन ने मीडिया सेल को यह ब्लॉग बंद करने के आदेश दिए गए हैं या फिर आडवाणी जी ने खुद ही ब्लॉग बंद करने के आदेश दिए हैं?
हमने आडवाणी जी के ब्लॉग के बंद होने की सिरे से तहकीकात करने की कोशिश की है। हमने इसके लिए wayback machine नाम के वेबसाईट का सहारा लिया है जो वेबसाइटों के पुराने पेज सुरक्षित रखती हैं। आंकड़े बताते हैं कि वेबसाईट के डैशबोर्ड को आखिरी बार 24 मई 2020 को आपरेट कर वेबसाईट की सामग्री को सुरक्षित किया गया है । गौरतलब है कि आडवाणी जी ने आखिरी ब्लॉग लोकसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पूर्व चार अप्रैल 2019 को लिखा था। ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ़ लास्ट’ (यानी पहले देश, फिर पार्टी, आख़िर में ख़ुद).नामक ब्लॉग में उन्होंने कहा था कि हमने असहमति रखने वालों को कभी राष्ट्र विरोधी नहीं कहा। अब यह ब्लॉग आपको ढूँढे नहीं मिलेगा। गौरतलब है कि इस ब्लॉग की तारीफ़ खुद पीएम मोदी ने की थी। इसके पहले अप्रैल 2014 में नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने से ठीक पहले लिखी गई ब्लॉग पोस्ट भी अब केवल आर्काइव में मौजूद हैं। आंकड़े बताते हैं कि अब तक आडवाणी जी के ब्लॉग के नाम को सुरक्षित रखा गया है। लेकिन अब इस ब्लॉग का होस्टिंग सर्वर काम नहीं कर रहा है।
आडवाणी जी ने अपने आखिरी ब्लॉग में लिखा था कि देश में और पार्टी के भीतर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा भारत के लिए गर्व की बात रही है। इसलिए, भाजपा हमेशा मीडिया समेत हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की आज़ादी, अखंडता, निष्पक्षता और मज़बूती की मांग करने में सबसे आगे रही है। नहीं भुला जाना चाहिए कि मौजूदा वक्त में मीडिया की आजादी के साथ साथ लोकतांत्रिक परम्पराओं को नुकसान पहुंचाने और पाने तौर तरीकों से इस्तेमाल करने को लेकर भाजपा की घोर आलोचना हो रही है। आडवाणी जी ने इसी ब्लॉग में आगे कहा था कि पार्टी निजी और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध है लेकिन अफ़सोस है कि खुद आडवाणी जी की अभिव्यक्ति के अवसर उनके ब्लॉग के साथ जमींदोज हो गए हैं।
लाल कृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री मोदी के बीच मौजूद तल्खियाँ अक्सर देखी जाती रही हैं केंद्र की राजनीति पीएम मोदी के आने के बाद आडवाणी के तेवर लगातार तल्ख़ रहे हैं। एल के आडवाणी को जब अवसर मिला है उन्होंने भाजपा और पीएम मोदी को नसीहत ही दी है। नहीं भुला जाना चाहिए कि आडवाणी ने नरेन्द्र मोदी को भाजपा के चुनावी कैम्पेन का अध्यक्ष बनाए जाने पर 10 जून 2013 को सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था उस वक्त उन्होंने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी मुखर्जी, दीनदयाल जी, वाजपेयी जी , नाना जी की पार्टी नहीं रह गई है, नेताओं के अपने व्यक्तिगत एजेंडे हैं। हैरानी की बात यह रही कि 11 जून को आडवाणी जी ने इस्तीफा वापस ले लिया हांलाकि लोकसभा चुनावों का परिणाम घोषित होने और मोदी के पीएम बनने के तत्काल बाद उन्हें मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बना दिया गया।
आवेश तिवारी चर्चित पत्रकार हैं। इन दिनों रायपुर में है।