भाकपा माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज बिहार के लिए 294 करोड़ रु की घोषणा को चुनावी स्टंट बताया और कहा कि प्रधानमंत्री यदि ऐसा सोचते हैं कि एक बार फिर वे बिहार की जनता को ठग लेंगे तो गलतफहमी में हैं. पहले विधानसभा चुनाव 2015 में की गई 1.25 लाख करोड़ की घोषणा का हिसाब दें कि उसका क्या हुआ? चुनाव के पहले इस तरह की घोषणा करना और फिर मुकर जाना प्रधानमंत्री का चरित्र है. बिहार की आम जनता, लोकडौन के कारण बर्बाद हुए प्रवासी मजदूरों, कामगार तबके, स्वयंसहायता समूह की मांगों, मजदूर-किसानों आदि तबकों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. चुनाव में यह आक्रोश दिखेगा.
माले राज्य सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री गोपालकों के लिए नई योजना लाने की बात कर रहे हैं, लेकिन वे यह बताएं कि माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के कर्ज से स्वयं सहायता समूह को राहत क्यों नहीं दिलवा रहे हैं? आज इसके कारण बड़ी आबादी का जीवन संकट में फंसा हुआ है.
उन्होंने कहा कि पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा न देकर और उसका उपहास उड़ाकर प्रधानमंत्री ने बिहार का अपमान किया था. आज चुनाव के वक्त फिर से उन्हें बिहार की याद आई है और झूठे दिखावे कर रहे हैं.
बिहार को स्पेशल Corona package मिले, प्रवासी मजदूरों समेत सभी मजदूरों को लॉकडाउन भत्ता और पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के सवाल पर राज्य की जनता PM से सवाल कर रही है.
माले राज्य सचिव ने आगे कहा कि आत्मनिर्भर बिहार में सबसे बड़ी बाधा भाजपा ही है, क्योंकि भाजपा भूमिचोरों और सामन्तों की पक्षधर पार्टी है. जो बिहार में भूमि सुधार लागू नहीं होने दे रहे हैं. और लोग व्यापक पैमाने पर विस्थापन-पलायन को मजबूर हैं. न तो बटाईदारों को कोई अधिकार मिले न ही यहां पिछले 15 वर्षों में कोई एक उद्योग खुला.
उल्टे भाजपा ने बिहार में अपराध के ग्राफ़ को बढ़ा दिया है और आज दिनदहाड़े लड़कियों को घर से उठा लिया जा रहा है. बिहार की आबो-हवा में जहर घोल दिया गया है.
माले राज्य कार्यालय सचिव, कुमार परवेज, द्वारा जारी विज्ञप्ति पर आधारित