सालाना दो करोड़ नौकरियाँ भूलकर रिक्रूटमेंट एजेंसी का लॉलीपॉप पकड़िये!

रवीश कुमार रवीश कुमार
ओप-एड Published On :


नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बड़ा एलान नहीं है, पुरानी भर्तियों को पूरा करने का एलान बड़ा होता

 

आज एलान हुआ है कि नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनेगी। जो केंद्र सरकार की भर्तियों की आरंभिक परीक्षा लेगी। इस आरंभिक परीक्षा से छंट कर जो छात्र चुने जाएंगे उन्हें फिर अलग-अलग विभागों की ज़रूरत के हिसाब से परीक्षा देनी होगी। इसके लिए ज़िलों में परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। कई ज़िलों में परीक्षा केंद्र बने हुए हैं। इस नई नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी ही अब स्टाफ सलेक्शन कमिशन SCC, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड RRB और बैंकिंग सेवा की परीक्षा लेने वाली संस्था IBPS की परीक्षाएं शामिल हो जाएंगी। इस वक्त 20 अलग-अलग एजेंसियां परीक्षा कराती हैं। यह भी बताया गया है कि CET कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का स्कोर तीन साल तक मान्य होगा। उस स्कोर के आधार पर आप रेलवे वित्त विभाग या बैंक की परीक्षा दे सकेंगे।

जब छात्र रेलवे की भर्ती, स्टाफ सलेक्शन कमिशन की भर्तियों और बैंकिंग सेवा की भर्तियों को लेकर आंदोलन करते हैं, ट्विटर पर ट्रेंड कराते हैं कि रिज़ल्ट कब आएगा, जिनका रिज़ल्ट आ गया है उनकी ज्वाइनिंग कब होगी, तब सरकार के मंत्री चुप हो जाते हैं। लेकिन आज जब नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का एलान हुआ तो प्रधानमंत्री से लेकर सारे मंत्री इसे एक बड़े फैसले के रूप में पेश करने लगे। पुरानी की जगह नई एजेंसी की ज़रूरत सरकार कभी भी कर सकती है लेकिन इसका ख्याल आने में उस सरकार को 6 साल लग गए जिस सरकार को हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा याद दिलाया जाता था।

एक पैटर्न दिखाई देता है। समस्या का समाधान मत करो। उस पर बात मत करो। एक समानांतर समाधान पेश करो। नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के एलान से अभी क्या बदला? क्या सरकार SSC CGL के नतीजे निकाल कर नियुक्ति पत्र देने जा रही है? क्या सरकार बताएगी कि लोकसभा चुनाव के समय लोको पायलट और सहायक लोको पायलट की परीक्षा के रिजल्ट आए कितने महीने हो गए? क्या सरकार बताएगी कि सभी सफल अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग कब पूरी होगी? नहीं। इस पर कोई बयान नहीं देगा। इस वक्त जो परीक्षा देकर तड़प रहे हैं उनके लिए आज के एलान में कुछ नहीं है। रेलवे की ही नॉन टेक्निकल NTPC परीक्षा के फार्म भर कर छात्र कब से इंतज़ार कर रहे हैं। क्या इन छात्रों को बहलाने के लिए नई एजेंसी का एलान दिया गया है लेकिन उससे इन छात्रों की समस्या का समाधान कैसे होता है?

अब आप याद करें। कुछ हफ्ते पहले रेलवे ने कहा था कि एक साल तक नई भर्ती नहीं होगी। उस आदेश में यह भी था कि रेलवे के अधिकारी अपने विभागों में पता लगाएंगे कि कहां कहां नौकरियां कम हो सकती हैं। क्या उस ख़बर को रेल मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था? एक तरफ भर्ती बंद होने की ख़बरें आ रही हैं। दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि भर्ती की नई एजेंसी का एलान भर्ती न होने से भी बड़ी ख़बर है। हो सकता है नौजवानों में यह फैसला लोकप्रिय हो जाए लेकिन वो अपनी परीक्षा का रिजल्ट औऱ ज्वाइनिंग की बात भी भूल जाएंगे?

इस ख़बर के साथ यह भी बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार हर साल 1 लाख 25 हज़ार भर्तियां निकालती है। ठीक है। क्या केंद्र सरकार बता सकती है कि 2014 से लेकर आज तक हर साल कितनी भर्तियां निकलीं, कितने लोगों की ज्वाइनिग हुई? अगर सरकार के पास हर साल आप नौजवानों को देने के लिए सवा लाख नौकरियां थीं तो कितनी नौकरियां दी गईं आपको?

2017 के साल तक आते-आते नौजवानों का सब्र टूटने लगा था। वे भर्ती परीक्षाओं को लेकर बेसब्र होने लगे थे। देश भर में कई प्रदर्शन हुए। सरकार ने नज़रअंदाज़ कर दिया। वो जानती थी कि नौजवान राजनीतिक रूप से उनके साथ हैं। नौजवान थे भी और अब भी नौजवान बीजेपी के ही साथ हैं। इसमें किसी भी दल को कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए। लेकिन इसके बावजूद नौजवानों को अपनी ही पसंद की पार्टी, अपनी ही चुनी हुई सरकार सरकार के खिलाफ जगह-जगह आंदोलन करने पड़े। उन्हें यहां तक अपमानित होना पड़ा कि जिस रवीश कुमार को गाली देते थे, अब भी देते हैं, उसी को लिखना पड़ा कि हमारी नौकरी की बात उठा दीजिए। इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। तो इन नौजवानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है। मुझे गाली देते हैं, मां बहन की गाली देते हैं लेकिन मैं तो इनसे बदला लेने की बात नहीं करता। मैं तो इनकी नौकरी की बात लिखता हूं। दिखाता हूं। अब थक गया हूं क्योंकि मेरे पास संसाधान और टीम नहीं है तो बंद कर दिया हूं। फिर भी आए दिन लिखता और दिखाता ही रहता हूं।

यह इसलिए बता रहा हूं कि आप समझ सकें कि छात्रों ने लंबी लड़ाई लड़ी। उनकी परीक्षाओं के रिजल्ट नहीं निकले। जिनके निकले थे उनकी ज्वाइनिंग नहीं हुई। मगर उन्हें परीक्षा की एजेंसी देकर लॉलीपॉप दिया जा रहा है तो मैं यही कहूंगा कि मुबारक हो। कुछ तो हुआ। बाकी कुछ अगले कुछ साल में होगा। छात्रों को अभ्यास तो है ही कि एक परीक्षा का फार्म भर कर रिजल्ट तक चार चार साल इंतज़ार करो। आंदोलन करो। इसलिए आज सरकार को कहना था कि पुरानी भर्तियों का हिसाब कैसे किया जाएगा। ताकि नौजवान घर बैठकर अपने परिवार की गरीबी देखकर सिसकियां न लें।


रवीश कुमार

जाने-माने टीवी पत्रकार हैं। संप्रति एनडीटीवी इंडिया के मैनेजिंग एडिटर हैं। यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है।