संपादकों की संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने देश के कई हिस्सों में कोरोना लॉकडाउन के दौरान रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों के कामकाज में बाधा डालने की पुलिस की ‘सख्ती’ और ‘मनमानी’ को लेकर चिंता जतायी है.
गिल्ड ने गुरुवार को जारी अपने बयान में कहा है कि पुलिस का काम पत्रकार के काम में बाधा डालना नहीं है, खासतौर पर मौजूदा परिस्थितियों में, बल्कि उनके कामकाज में सहायक बनना है.
बीते 22 माच को जनता कर्फ्यू से लेकर अब तक पांच पत्रकारों को पुलिसिया उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है और एक अख़बार के संपादक व विशेष संवाददाता को एक ख़बर छापने के मामले में प्रशासन से कानूनी कार्यवाही का नोटिस मिला है।
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बयान में इन्हीं मामलों के मद्देनज़र कहा गया है कि राज्य एवं केंद्र शासित क्षेत्र की सरकारों को यह भी याद दिलाने की जरूरत है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के मौजूदा लॉकडाउन दिशानिर्देशों के तहत एक आवश्यक सेवा के रूप में मीडिया को छूट दी गई है.
The Editors Guild of India has issued a statement pic.twitter.com/aJVpKT7Ea4
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) March 26, 2020
गिल्ड ने सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से मीडिया को यथासंभव सुगमता से अपनी भूमिका निभाने देने को कहा है. बयान में कहा गया है कि इसने सरकार से मौजूदा कोरोना वायरस संकट के दौरान नियमित रूप से मंत्रीस्तरीय ब्रीफिंग के लिये एक उपयुक्त तंत्र बनाने का भी अनुरोध किया है, ताकि संचार प्रभावित नहीं हो क्योंकि यह (संकट) मीडिया को सवाल पूछने के लिये पर्याप्त अवसर नहीं देता है.
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बयान में पुलिस की उस सख्ती और मनमानी पर चिंता जतायी गई है, जो इस समय देश के कई हिस्सों में मीडिया की रिपोर्टिंग में बाधक बनी है. इसमें कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाई ऐसे समय में नुकसानदेह साबित होगी, जब मीडिया की आज़ादी महामारी के प्रकोप और सरकार की प्रतिक्रिया को कवर करने के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है.