नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले 67 दिनों से घंटाघर/उजरियांव लखनऊ पर चल रहे महिलाओं के आंदोलन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए शहीद भगत सिंह को याद करते हुए कहा है कि धरने को वे सांकेतिक विरोध के रूप जारी रखेंगी.
इस बात की घोषणा के लिए सोमवार दोपहर 3:30 बजे प्रेस वार्ता का आयोजन कर अज़रा, उरूसा राणा, सना, शहर फातिमा, अरसी खान, सना हाशमी, नज़मा हाशमी और नुजहत ने संबोधित कर बताया कि इस निर्णय के संदर्भ में उनके लिखे पत्र पर पुलिस कमिश्नर ने आश्वासन दिया है कि इस आपदा के खत्म होते ही हम लोकतांत्रिक विरोध जारी रख सकते हैं.
प्रेस वार्ता में यह भी मांग की गयी कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए घंटाघर समेत पूरे देश में सीएए आंदोलन के दौरान गिरफ्तार लोगों को तत्काल रिहा किया जाय.
प्रेस वार्ता में कहा गया कि “हम हर लड़ाई में देश के साथ खड़े हैं, चाहे वो लड़ाई संविधान को बचाने की हो या कोरोना को भगाने की”.
महिलाओं ने शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को याद करते हुए कहा कि “हमारे पूर्वजों ने ये मुल्क़ अपने खून से सींचा है, जाने कितनी रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, फातिमा, सावित्री फुले, बी अम्मा, बेगम हज़रत महल ने इस देश के लिए अपना खून दिया है. हमने इंकलाब उन्हीं से सीखा है और आज उनके दिखाये रास्ते पर चलते हुए हम अपने दुपट्टे घन्टाघर/उजरियांव धरनास्थल पर छोड़कर जा रहे हैं. देश से जब कोरोना का संकट खत्म हो जाएगा, हम वापस आएंगे और इस असंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लड़ाई फिर से सड़क पर ही लड़ी जाएगी”.
महिलाओं ने प्रशासन से सांकेतिक विरोध में सहयोग की अपील करते हुए चेतावनी भी दी है यदि उनके सांकेतिक विरोध से छेड़छाड़ की गयी तो वो उससे ज़्यादा तादाद में आएंगी. महिलाओं ने एक पत्र प्रशासन को भी दिया है जिसमें साफ लिखा है कि “हम धरना-स्थल से जा रहे हैं, विरोध बन्द नहीं कर रहे हैं. बस विरोध का तरीका बदल रहे हैं. प्रशासन उनके सांकेतिक धरने में सहयोग करे”.
बीते 66 दिनों से घंटाघर, लखनऊ पर चल रहे महिलाओं के आंदोलन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए कल धरने को सांकेतिक बनाने का फैसला लिया था कि धरना दे रही महिलाओं की संख्या सीमित रखी जाएगी और संक्रमण से बचने के सभी उपाय अपनाए जाएंगे जिससे धरना भी प्रभावित न हो.