मीडियाविजिल पर 6 फरवरी को प्रकाशित हरेराम मिश्र के लेख पर आपत्ति जताते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी गयी और लेख को तथ्यहीन बताया गया। मीडियाविजिल ने पोस्ट के लेखक से आग्रह किया कि वे व्यवस्थित तरीके से उक्त लेख पर अपनी आपत्तियां लिखकर भेजें ताकि एक स्वस्थ बहस की परंपरा जीवित रह सके।
इस बीच एक दिलचस्प घटनाक्रम में समाजवादी पार्टी ने आज़मगढ़ के बिलरियागंज में सीएए के विरोध में धरने पर बैठी औरतों से मारपीट और गिरफ्तारियों पर रिपोर्ट देने के लिए सात सदस्यीय एक कमेटी बनाकर रवाना कर दी है जो आज इलाके का दौरा कर रही है। यह कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट आज़मगढ़ के सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 9 फरवरी को सौंपेगी।
ध्यान रहे कि उक्त लेख छपने से एक दिन पहले 5 फरवरी को दिल्ली में अखिलेश यादव के दौरे पर जामिया के छात्रों ने उनके आवास के सामने प्रदर्शन किया था और पुतला दहन किया था। उसके दो दिन बाद समाजवादी पार्टी ने 7 फरवरी को कार्यालय विज्ञप्ति जारी कर के जांच कमेटी का गठन किया!
हरेराम मिश्र के लेख पर मीडियाविजिल को रत्नेश यादव द्वारा भेजा गया रिज्वाइन्डर नीचे पढ़ा जा सकता है
(संपादक)
छह फ़रवरी रात 8:43 पर मीडियाविजिल ने अपने पोर्टल पर कांग्रेसी नेता हरे राम मिश्रा का लेख छापा जिसका शीर्षक “अपना अस्तित्व बचाने के लिए सपा ने किया हिन्दुत्व की चाकरी स्वीकार कर ली है?” है।
इस लेख के पहले ही पैराग्राफ़ में झूठे तथ्य को पेश किया गया है जिसके सहारे पूरे लेख में केवल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही नही बल्कि पूरे यादव समाज को मुस्लिम विरोधी बताने का बेहद घटिया प्रयास किया गया है।
हरे राम मिश्र ने इस लेख के ज़रिये दावा किया है कि आज़मगढ़ में नागरिकता क़ानून के विरोध में चल रहे धरने पर पुलिस की बर्बरता के ख़िलाफ़ अखिलेश यादव की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई जबकि वास्तविकता कुछ और है- समाजवादी पार्टी के विधायक नफ़ीस अहमद और आलम बदी साहब इस आंदोलन में पहले दिन से शामिल रहे हैं और पुलिस की बर्बरता के बाद समाजवादी पार्टी का संगठन व पार्टी के दोनो विधायक आंदोलनकारियों के मदद के लिए हॉस्पिटल से लेकर थाने तक संघर्ष कर रहे हैं।
मैं यहाँ आज़मगढ़ के संदर्भ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, विधायक नफ़ीस अहमद व समाजवादी पार्टी के आधिकारिक बयान का उल्लेख कर रहा हूं जिससे कांग्रेसियों का झूठ बेनक़ाब होगा-
“माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के निर्देशानुसार, विधायक आलम बदी, नफीस अहमद, पूर्व जिलाध्यक्ष हवलदार यादव समेत अन्य सपा कार्यकर्ता बिलरियागंज में पुलिसिया बर्बरता के शिकार लोगों के साथ अस्पताल में रहकर मदद कर रहे हैं। संघर्ष कर रिहाई भी करा रहे हैं समाजवादी। ना डरेंगे, ना पीछे हटेंगे!” -(5 फ़रवरी, समाजवादी का आधिकारिक ट्वीट)
“हर मंच से गोली की बात करने वाले संवैधानिक मूल्यों की बात कब करेंगे? शांतिपूर्वक धरना लोगों का संवैधानिक अधिकार है।आज़मगढ़ में पुलिस की बर्बरता ने सभी हदें पार कर दी और मैं इसकी घोर निंदा करता हूँ! पार्टी के विधायक और संगठन बिलरियागंज में लोगों की सेवा कर रहे हैं!” -(5 फ़रवरी, अखिलेश यादव का ट्वीट)
“हमारे हर दिल अजीज सांसद जनाब अखिलेश यादव जी की कोशिशों से बिलरियागंज कस्बे से गिरफ्तार की गई बहन कौसर जहां को पुलिस ने रिहा कर दिया है” -(5 फ़रवरी, नफ़ीस अहमद का ट्वीट)
“बिलरियागंज कस्बे में पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक तरीके से वहां पर बैठी हुई मां और बहनों के साथ जो जाती हुई है उसके खिलाफ जिला प्रशासन आजमगढ़ से बात की गई और यह चेतावनी दी गई कि निर्दोष लोगों को छोड़ा नहीं गया तो यह लड़ाई आगे तक जाएगी” – (5 फ़रवरी, नफ़ीस अहमद का ट्वीट)
“बिलरियागंज कस्बे में माननीय आलम बदी और हवलदार यादव जी के साथ घायलों से मुलाकात की और अपनों से यह कहा कि हमारी यह लड़ाई गांधीवादी तरीके से जारी रहेगी जब तक सरकार यह काला कानून वापस न लेले” – (5 फ़रवरी, नफ़ीस अहमद का ट्वीट)
अगर हम इस पूरे आंदोलन में समाजवादी पार्टी व इसके नेताओं कार्यकर्ताओं पर नज़र डालें तो साफ़ दिखेगा कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में पूरी पार्टी इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदेश में ज़िले स्तर पर धरना प्रदर्शन कर चुकी है।
इसके अलावा तमाम नेता कार्यकर्ता इस क़ानून के ख़िलाफ़ जेल भी जा चुके हैं व सपा के पूर्व मंत्री यामिन खान पर उकसाने का मुक़दमा भी योगी सरकार ने दर्ज किया है।
अब तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ उठाये गये कदम व आंदोलनकारियों का समर्थन एक नज़र में-
राजनीति में अखिलेश यादव सबसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने कहा था कि जब नागरिकता का काग़ज़ माँगा जाएगा तो मैं पहला व्यक्ति रहुंगा जो काग़ज़ नहीं दिखायेगा, यह कहते हुए उन्होंने देश की जनता से अपील भी की थी कि वो भी उनका साथ दें।
1. जिस दिन सदन में नागरिकता बिल पर चर्चा होनी थी उस दिन सदन में जाने से पहले ही सोशल मीडिया के ज़रिये अखिलेश जी ने इस क़ानून को भारत की आत्मा के ख़िलाफ़ बताकर विरोध दर्ज किया था।
2. पूरे देश में समाजवादी पार्टी ही एक ऐसी विपक्षी पार्टी है जिसने अपने कार्यालय में CAA और NPR के ख़िलाफ़ बड़े बड़े बैनर लगाए हैं जहाँ हर रोज़ देशभर से नेताओं, कार्यकर्ताओं व कुछ ज़रूरतमंदों की भीड़ लगी रहती है।
3. अखिलेश जी के निर्देश पर समाजवादी पार्टी के विधायकों ने प्रदेश के दोनों सदनों में इस क़ानून के ख़िलाफ़ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। क़ानून के विरोध में विधायकों ने प्रदेश कार्यालय से विधानसभा तक साइकिल से यात्रा की।
4. समाजवादी पार्टी ने वादा भी किया है कि अगर सरकार में आए तो प्रदर्शनकारियों को सरकार सम्मानित करेगी। विपक्ष के तौर पर आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से मारे गये लोगों के घर ख़ुद अखिलेश जी गये और पार्टी के तरफ से आर्थिक मदद की व हर तरह से उनके साथ खड़ा रहने का भरोसा जताया।
कांग्रेस के कार्यकर्ता हरे राम मिश्र ने अपने लेख के सहारे यादवों को ठीक उसी तरह पेश किया है जैसे भाजपा और संघ करते आए हैं। भाजपा संघ ने अपनी झूठ फैलाने वाली फ़ैक्ट्री के सहारे यादवों को ग़ैर यादव पिछड़ी जातियों का दुश्मन बताने का प्रयास किया और अब कांग्रेस सफ़ेद झूठ के सहारे यादवों को मुसलमान विरोधी बताने के प्रयास में जुटी है।
मैं कांग्रेस के साम्प्रदायिक व जातिवादी इतिहास पर इस लेख में बात नहीं करना चाहता, इस लेख का बस इतना सा उद्देश्य है कि न्यूज़ के नाम पर झूठ परोसने व किसी नेता का चरित्रहनन नहीं किया जाना चाहिए।
अगर अखिलेश यादव हिंदुत्व की राह चल रहे होते तो राहुल गांधी की तरह जनेऊ दिखाते हुए घूम रहे होते। क्या आपको नहीं पता कि जनेऊ का प्रदर्शन ब्राह्मणवादी व्यवस्था को मज़बूत करने के समान है? हिंदुत्व मुसलमान विरोधी तो है ही उससे ज़्यादा वो दलित-पिछड़ों व आदिवासियों का विरोधी है।
अगर मीडियाविजिल को मेरी इस टिप्पणी में एक भी पंक्ति झूठ लगे तो वो इसे न छापें। ठीक इसी तरह हरे राम मिश्र ने झूठे तथ्य के आधार पर समाजवादी पार्टी व विशेषकर यादव को मुसलमान विरोधी के रूप में दिखाने की जो धूर्तता की है उस पर भी मीडियाविजिल को कोई टिप्पणी करनी चाहिए अन्यथा जी न्यूज़, दैनिक जागरण व रिपब्लिक टीवी में और इस पोर्टल में कोई अंतर नहीं माना जाएगा।
रत्नेश यादव, शोधार्थी, आंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ
आज़मगढ़ के बिलरियागंज में घटी घटना की पूरी जानकारी नदीम खान के खाते से पोस्ट इस प्रेस विज्ञप्ति से ली जा सकती हैः