आंध्र प्रदेश: अभिव्यक्ति का गला घाेंटने का शासनादेश, PCI ने जारी किया नोटिस

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आंध्र प्रदेश की कैबिनेट ने सचिव स्तर के अधिकारियों को एक नया अधिकार दिया है. राज्य में ये अधिकारी अब मीडिया संस्थानों पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में की गई “ग़लत, बेबुनियाद और मानहानि” वाली ख़बरें छापने पर मुक़दमा कर सकते हैं. अभी तक सिर्फ जनंसपर्क और सूचना विभाग को ही यह अधिकार प्राप्त था.

पत्रकारों के हितों की रक्षा करने वाले संगठन प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया (पीसीआई) ने आंध्र प्रदेश सरकार को इस मामले में नोटिस जारी कर दिया है.

राज्य सरकार ने इस सम्बन्ध में 30 अक्टूबर को आदेश जारी किया था. आंध्र सरकार ने ये भी कहा है कि ऐसा प्रेस की आज़ादी पर लगाम लगाने के लिए बल्कि ‘फ़ेक न्यूज़’ और ‘मनगढ़ंत ख़बरें’ रोकने के लिए किया गया है.

इस आदेश में कहा गया है, ‘सरकार के संज्ञान में कुछ ऐसी घटनाएं आई हैं, जिनमें कुछ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया संस्थानों द्वारा जान-बूझकर सरकार और सरकारी अधिकारियों की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है. ये संस्थान द्वेषपूर्ण इरादों से बेबुनियाद, फर्जी और मानहानि वाली खबरें चला रहे हैं.’

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेदेपा अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की इस आदेश के लिए आलोचना की.

जन सेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण ने ट्विटर पर लिखा, “तो अब हमारे पत्रकार नेताओं की आलोचना करने की हिम्मत भी नहीं कर सकते.”

मुख्यमंत्री के रूप में राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल के दौरान 2007 में जारी किए किया गया आदेश प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक सीमित था. इस आदेश के खिलाफ तब पत्रकारों ने पूरे राज्य में जोरदार प्रदर्शन किया था.

बुधवार को जारी किया गया सरकारी आदेश सोशल मीडिया के लिए भी है जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के कदम उठाए जा सकते हैं. पुराने आदेश में प्रकाशकों और संपादकों के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करने की जिम्मेदारी सूचना आयुक्त को दी गई थी, लेकिन बुधवार के आदेश में संबंधित विभागों के सचिवों को यह जिम्मेदारी दी गई है. राज्य मंत्रिमंडल ने 20 फरवरी 2007 को जारी किए गए सरकारी आदेश (नंबर 938) को बहाल करने की गत 16 अक्टूबर को मंजूरी दे दी थी. सूचना आयुक्त टी विजय कुमार रेड्डी ने हालिया सरकारी आदेश के कारण के बारे में कहा कि सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा सोशल मीडिया में दुर्भावना के साथ फर्जी, निराधार और मानहानिकारक समाचार फैलाकर जानबूझकर सरकार और सरकारी अधिकारियों की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.

इस साल मई में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जगन मोहन रेड्डी ने बीबीसी तेलुगू को दिए अपने पहले इंटरव्यू में भ्रष्टाचार से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा था, “मैं भले ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सारे क़दम उठा लूं, राज्य का मीडिया बंटा हुआ है. मैं चाहे जो भी कर लूं, कई मीडिया संस्थान ऐसे हैं जो मेरे बारे में बुरा ही लिखेंगे.”