आंध्र प्रदेश की कैबिनेट ने सचिव स्तर के अधिकारियों को एक नया अधिकार दिया है. राज्य में ये अधिकारी अब मीडिया संस्थानों पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में की गई “ग़लत, बेबुनियाद और मानहानि” वाली ख़बरें छापने पर मुक़दमा कर सकते हैं. अभी तक सिर्फ जनंसपर्क और सूचना विभाग को ही यह अधिकार प्राप्त था.
पत्रकारों के हितों की रक्षा करने वाले संगठन प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया (पीसीआई) ने आंध्र प्रदेश सरकार को इस मामले में नोटिस जारी कर दिया है.
PCI: Chairman has taken suo-motu cognizance of the issue & directed Andhra Pradesh govt to file reply statement in this matter. https://t.co/GTKr7eEtxf
— ANI (@ANI) November 2, 2019
राज्य सरकार ने इस सम्बन्ध में 30 अक्टूबर को आदेश जारी किया था. आंध्र सरकार ने ये भी कहा है कि ऐसा प्रेस की आज़ादी पर लगाम लगाने के लिए बल्कि ‘फ़ेक न्यूज़’ और ‘मनगढ़ंत ख़बरें’ रोकने के लिए किया गया है.
The #JaganMohanReddy government in Andhra Pradesh has issued an order for taking legal action against “false, baseless and defamatory news” https://t.co/fTWt8vH3KO #fakenews
— The Hindu (@the_hindu) November 1, 2019
इस आदेश में कहा गया है, ‘सरकार के संज्ञान में कुछ ऐसी घटनाएं आई हैं, जिनमें कुछ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया संस्थानों द्वारा जान-बूझकर सरकार और सरकारी अधिकारियों की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है. ये संस्थान द्वेषपूर्ण इरादों से बेबुनियाद, फर्जी और मानहानि वाली खबरें चला रहे हैं.’
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेदेपा अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की इस आदेश के लिए आलोचना की.
Press Council of India moving a Suo-Moto on the draconian GO 2430 is a tight slap on the face of @ysjagan’s Govt which wants to harass journos and people voicing concerns on social media. We will continue to raise the issue at all platforms and not rest until the Govt recalls it. pic.twitter.com/7OS2DCADzd
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) November 2, 2019
जन सेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण ने ट्विटर पर लिखा, “तो अब हमारे पत्रकार नेताओं की आलोचना करने की हिम्मत भी नहीं कर सकते.”
But in our own AP(India) our journalists can’t even dare to criticise their leaders with this new G.O pic.twitter.com/O5YsQoqP9b
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) October 31, 2019
मुख्यमंत्री के रूप में राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल के दौरान 2007 में जारी किए किया गया आदेश प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक सीमित था. इस आदेश के खिलाफ तब पत्रकारों ने पूरे राज्य में जोरदार प्रदर्शन किया था.
बुधवार को जारी किया गया सरकारी आदेश सोशल मीडिया के लिए भी है जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के कदम उठाए जा सकते हैं. पुराने आदेश में प्रकाशकों और संपादकों के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करने की जिम्मेदारी सूचना आयुक्त को दी गई थी, लेकिन बुधवार के आदेश में संबंधित विभागों के सचिवों को यह जिम्मेदारी दी गई है. राज्य मंत्रिमंडल ने 20 फरवरी 2007 को जारी किए गए सरकारी आदेश (नंबर 938) को बहाल करने की गत 16 अक्टूबर को मंजूरी दे दी थी. सूचना आयुक्त टी विजय कुमार रेड्डी ने हालिया सरकारी आदेश के कारण के बारे में कहा कि सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा सोशल मीडिया में दुर्भावना के साथ फर्जी, निराधार और मानहानिकारक समाचार फैलाकर जानबूझकर सरकार और सरकारी अधिकारियों की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.
इस साल मई में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जगन मोहन रेड्डी ने बीबीसी तेलुगू को दिए अपने पहले इंटरव्यू में भ्रष्टाचार से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा था, “मैं भले ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सारे क़दम उठा लूं, राज्य का मीडिया बंटा हुआ है. मैं चाहे जो भी कर लूं, कई मीडिया संस्थान ऐसे हैं जो मेरे बारे में बुरा ही लिखेंगे.”