तेजपाल की याचिका SC में खारिज, निचली अदालत को छह माह में सुनवाई पूरा करने का आदेश

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तहलका के पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने तरुण तेजपाल की याचिका को खरिज करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी की जाए. कोर्ट के आदेश पर अब तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा चलेगा. साथ ही गोवा की निचली अदालत में सुनवाई पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट हटा दिया है.

जस्‍टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली एक पीठ ने गोवा की निचली अदालत को तेजपाल के खिलाफ दर्ज मामले में सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर छह महीने के भीतर पूरी करने का आदेश भी दिया है. तेजपाल की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा, एम.आर.शाह, बीआर गवई ने कहा कि यह घिनौना अपराध है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई गोवा में होगी क्‍योंकि यह घटना वहीं की है.

पत्रकार तरुण तेजपाल पर गोवा के एक होटल लिफ्ट में अपनी जूनियर सहकर्मी के साथ छेड़छाड़ का आरोप है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ लगे आरोपों को रद्द करने की मांग की थी. हालांकि, पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. सर्वोच्च अदालत ने तेजपाल की याचिका पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि गलत नहीं थे तो उन्होंने माफी भरा मेल क्यों लिखा था.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तेजपाल के वकील की दलील पर सख्त प्रतिक्रिया दी थी. कोर्ट ने पूछा था कि यदि उन्होंने कोई गलती नहीं की थी तो माफी क्यों मांगी? गोवा पुलिस की तरफ से पेश हुए सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी तेजपाल के वकील की दलील का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि तेजपाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया, महिला सहकर्मी का उत्पीड़न करने के साथ उसे मानसिक तौर पर प्रताड़ित भी किया.

बता दें कि 2013 के दिसंबर में तेजपाल पर उनकी जूनियर महिला सहकर्मी ने छेड़छाड़ और यौन शोषण का आरोप लगाया था. आरोपों के बाद तहलका के पूर्व संपादक ने माफी मांग ली थी, लेकिन भारी विरोध के बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा. फिलहाल तेजपाल जमानत पर रिहा हैं.

आरोपों से घिरे तेजपाल ने तब खुद पर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. तेजपाल ने अदालत में अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की लेकिन राहत नहीं मिली थी. तेजपाल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद क्राइम ब्रांच ने 30 नवंबर 2013 को गिरफ्तार कर लिया था.

तेजपाल मई 2014 से जमानत पर हैं. तेजपाल ने मामले की सुनवाई कर रही गोवा की अदालत की ओर से आरोप तय किए जाने के बाद बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया था. तेजपाल ने 20 दिसंबर 2017 को आरोप खारिज करने की अपील करते हुए बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था. इसके बाद तेजपाल ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.