प्रसिद्ध अमेरिकी समाचार पत्रिका टाइम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर अपने आवरण पर छापा है, लेकिन इस बार उनके लिए एक विशेषण लिखा है- ‘’डिवाइडर-इन-चीफ़’’ यानी सबसे बड़ा बांटने वाला शख्स।
टाइम पत्रिका के कवर पर नरेंद्र मोदी पहली बार नहीं छपे हैं। इससे पहले मई 2015, जून 2014 और मार्च 2012 के अंक में भी टाइम के कवर पर मोदी की तस्वीर छप चुकी है। पहली बार मोदी का मतलब था कारोबार। दूसरी बार टाइम ने लिखा था के 1.2 अरब लोगों को मोदी के अगले कदम का इंतजार है। तीसरी बार 2015 में पूछा गया था कि आखिर मोदी भारत के लिए क्यों इतना मायने रखते हैं।
इस बार हालांकि मोदी को लेकर टाइम ने नकारात्मक राय रखी है और उन्हें देश को बांटने वाली सबसे बड़ी ताकत बताया है।
माना जाता है कि टाइम पत्रिका का कवर दुनिया में होने वाले बदलावों को रेखांकित करता है। जिस तरीके से बीते सात वर्ष में टाइम की राय मोदी को लेकर बदली है, उससे अंदाजा लगता है कि अंतरराष्श्ट्रीय मीडिया में भारत के चुनावों के परिणाम का आकलन कैसे किया जा रहा होगा।
TIME’s new international cover: Can the world’s largest democracy endure another five years of a Modi government? https://t.co/oIbmacH9MS pic.twitter.com/IqJFeEaaNW
— TIME (@TIME) May 9, 2019
टाइम के मौजूदा अंक में ‘डिवाइडर-इन-चीफ़’’ का जो कवर छपा है, उससे जुड़ी एक स्टोरी भीतर प्रकाशित है जिसे आतिश तासीर ने लिखा है। इस स्टोरी का शीर्षक है, ‘’क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार के पांच साल और झेल सकता है?” स्टोरी में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के धर्मनिरपेक्षता के विचार की तुलना भारत में वर्तमान सांप्रदायिक तनावों से की गई है।
टाइम की इस स्टोरी में 2002 के गुजरात दंगे को भी याद किया गया है।
इससे पहले मशहूर पत्रिका दि इकनॉमिस्ट ने भी नरेंद्र मोदी पर स्टोरी की थी और उन्हें ‘’एजेंट ऑरेन्ज’’ की संज्ञा दी थी। बीते 2 मई को प्रकाशित स्टोरी का शीर्षक था, ‘’नरेंद्र मोदी के मातहत भारत की सत्ताधारी पार्टी लोकतंत्र के लिए खतरा है’’।
पत्रिका ने स्टोरी के सबहेड में लिखा था था कि मतदाताओं को नरेंद्र मोदी की सरकार को अपना मत देकर सत्ता से बाहर कर देना चाहिए या फिर गठबंधन सरकार बनाने के लिए विवश करना चाहिए।