मीडियाविजिल प्रतिनिधि / लखनऊ
सुल्तानपुर के निवासी और ऐपल कंपनी में काम करने वाले विवेक तिवारी की लखनऊ में पुलिसवालों के हाथों हुई हत्या के मामले में एफआइआर दोबारा लिखी जाएगी। लखनऊ के जिलाधिकारी ने इस मामले में मजिस्ट्रेट से जांच कराए जाने का आदेश दिया है। गोमतीनगर पुलिस इस मामले की जांच नहीं करेगी। यह जानकारी उत्तर प्रदेश के मंत्री आशुतोष टंडन ने दी है।
Orders given for rewriting of FIR. Gomti Nagar police won't investigate it, some other police station will probe. DM Lucknow had ordered magisterial inquiry. I have ordered constitution of SIT. It's a crime. Policemen involved have been arrested & expelled: UP Min Ashutosh Tandon pic.twitter.com/OBiMre30HJ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 29, 2018
तिवारी की हत्या के मामले में उसके साथ घटना के वक्त कार में मौजूद उसकी कर्मचारी सना द्वारा दर्ज करायी गई एफआइआर में यूपी पुलिस के उन सिपाहियों का कोई जिक्र नहीं था जिन्होंने घटना को अंजाम दिया। विवेक तिवारी मर्डर केस में 29 सितंबर को दर्ज एफआइआर दो अज्ञात पुलिसवालों के खिलाफ़ है जिनका नाम और पता पुलिस को मालूम नहीं है। एफआइआर की प्रति में साफ़ लिखा है ‘दो पुलिस वाले नाम पता अज्ञात’। इसके अलावा यह मामला जांच के लिए किस अधिकारी को सौंपा गया है, उसका भी पता नहीं है।
एफआइआर में आइओ यानी जांच अधिकारी के कॉलम सामने लिखा है लखनऊ और उसकी रैंक लिखी हुई है इंस्पेक्टर।
सभी समाचार माध्यमों में विवेक तिवारी पर गोली चलाने वाले सिपाही का नाम न सिर्फ प्रशांत चौधरी के रूप में सामने आया है, बल्कि मीडिया में उसके बयान भी चले हैं जिसमें उसने कहा है कि गोली का चलना एक हादसा है।
I didn’t shoot at him. The bullet was shot by mistake. He hit me with his car and drove it over me three times with the intention to kill me. I demand that my FIR must be registered: Police constable Prashant Chaudhary who shot at Lucknow resident, Vivek Tiwari. #Lucknow pic.twitter.com/lrACHnBgOi
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 29, 2018
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार के मुताबिक दोनों पुलिसवालों के खिलाफ आइपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि एफआइआर में दोनों पुलिसवालों को ‘अज्ञात’ लिखा गया है।
This is a sad incident. A case of murder (section 302 IPC) has been registered against the two policemen. Stringent action will be taken: Anand Kumar, UP ADG Law & Order on incident where Vivek Tiwari was shot at by police personnel yesterday. He later succumbed to his injuries pic.twitter.com/5Su6E4VfjQ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 29, 2018
लखनऊ के डीएम ने बयान दिया है कि परिवार अगर सीबीआइ की जांच चाहता है तो उसे भी किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में जांच 30 दिन के भीतर पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने पुरानी एफआइआर को दोबारा लिखने के आदेश भी दे दिए हैं।
All demands of the family sanctioned, given in written. If they want CBI enquiry, then it will be initiated.Job will be given to his wife&Rs. 25 lakhs will be given as compensation. Enquiry will be completed within 30 days: Lucknow DM on Vivek Tiwari shot at by police constable. pic.twitter.com/cZUPJu2iSw
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 29, 2018
जाहिर है, ‘अज्ञात’ वाली एफआइआर के बहाने इस मामले को रफा दफा करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया में आज छपी लीड खबर के मुताबिक सना खान ने प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार नाम के दो सिपाहियों के खिलाफ दायर करवाई एफआइआर को ‘डाइल्यूट’ किए जाने यानी हलका किए जाने की बात कही थी। सना खान का यह आरोप एफआइआर की कॉपी को देखने के बाद सही निकला है।
सवाल यह भी उठता है कि यदि एफआइआर में अज्ञात पुलिसवाले आरोपित हैं तो किस बिनाह पर दोनों सिपाहियों को बरखास्त किया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की ही खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इसे मर्डर केस मानते हुए शाम तक दोनों पुलिसवालों को बरखास्त करने की बात कही थी। अगर ओपी सिंह खुद यह मान रहे हैं कि प्रशांत चौधरी व संदीप कुमार का ही हत्या में हाथ है, तो एफआइआर में उन दोनों के नाम क्यों नहीं हैं, यह भी एक सवाल बनता है।