संसद की असंसदीय भाषा



भई पिछले कुछ दिनों से देख रहे हैं कि संसद में, अदालतों में, अखबारों में, ऑनलाइन पोर्टल पर, और अन्यत्र भी सरकार की आलोचनामुखर होती जा रही है। यूं सरकार , राजनेताओं की, और राजनीतिज्ञों की आलोचना होती रही है लेकिन फिर भी…सोचने वाली बात ये है कि, दुनिया के इतिहास में पहली बार कोई 600 करोड़ जनता के पूर्ण बहुमत से प्रधानमंत्री बना हो, उसके नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करना दुनिया का सबसे बड़ा असंसदीय काम है। ऐसी सरकार पर उंगली उठाना, देशद्रोह है, ऐसी उठी हुई उंगली को काटलेना चाहिए। कुछ दिन पहले जब ”उमर खालिद” अपनी ग़ैर जरूरी जेल की सज़ा के सिलसिले में जरूरी बेल के लिए चलने वाली प्रक्रिया के दौरान उच्च न्यायालय पहुंचा था, तो जज ने उससे पूछा था, कि ये प्रधानमंत्री को जुमलेबाज बोलना कोई अच्छी बात नहीं है, यानी असंसदीय भाषा” है, कोर्ट उमर खालिद के भाषण में शायद कुछ और आपत्तिजनक नहीं पाया होगा, लेकिन बात तो सही है, आपकिसी प्रधानमंत्री को, या किसी अन्य मंत्री को, जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, शकुनी, जयचंद, निकम्मा…. आदि आदि कैसे कह सकते हैं। बल्कि मैं तो कहता हूं कि इससे भी आगे जाना चाहिए, और अबकी बार, संसदीय सचिवालय जो किताब छपवाए, उसमें साफ – साफलिखवा दे कि भईया, सरकार के आलोचना ही असंसदीय है, ऐसा नहीं होना चाहिए। संसद में सरकार की आलोचना रुकेगी तो जाहिरहै, जनता के लिए कानूनन सरकार की आलोचना करना अपराध हो जाएगा। इससे कुछ अच्छी बातें जो होंगी, वो ये कि जो भी सरकारके खिलाफ होगा, उसे सीधा जेल में डाला जा सकेगा, और अदालत को इस दुविधा से नहीं गुज़रना पड़ेगा कि वो इन सरकार कीआलोचना करने वाले नालायकों को किस अपराध में सज़ा दे, अभी उमर खालिद, हेम मिश्रा, गौतम नवलखा जैसे लोगों पर, लगाने केलिए आरोप बनाने पड़ते हैं, तब पुलिस को इन हथकंडो का सहारा नहीं लेना पड़ेगा, क्योंकि सरकार की आलोचना की असंसदीय और ग़ैरकानूनी मान ली जाएगी।

 

जनता के भले के लिए, उनकी भलाई सोचते हुए हमने इन शब्दों की एक सूची साभार एन डी टी वी की साइट से उठाई और उनका हिंदी अनुवाद करके आपके सामने रख रहे हैं, आइंदा इन शब्दों का इस्तेमाल करने से बचिएगा। 

‘Bloodshed’, = खूनखराबा, होने पर कोई पाबंदी नहीं है, कह नहीं सकते।

‘bloody’, = ये शब्द खूनी, रक्तरंजित और साले जैसी अपरिभाषित गाली के लिए इस्तेमाल होता है।

‘betrayed’,  = जिसने धोखा खाया हो, जिसे धोखा दिया गया हो।

‘ashamed’, =  शर्मिंदा

‘abused’,  = प्रताड़ित

‘cheated, =  जिसने धोखा खाया हो, जिसे धोखा दिया गया हो।

‘chamcha’, =  अनुवाद की ज़रूरत नहीं है, ये वही है, चमचा

‘chamchagiri’, =  जो चमचा होता है, उसके काम को चमचागिरी कहते हैं।

‘chelas’,  =  अमूमन शिष्य के लिए इस्तेमाल होता है, पिछले कुछ दशकों में गुंडानुमा साधुओ, या साधुनुमा गुंडों के भक्तों के लिएविशेषण के तौर पर इस्तेमाल होता है।

‘childishness’, =  बचपना, बचकाना हरकतें

‘corrupt’,  =   भ्रष्टाचारी

‘coward’, = कायर, डरपोक,

‘criminal’ = अपराधी

‘crocodile tears’, = घड़ियाली आंसू, ये शब्द एक कहावत के तौर पर इस्तेमाल होता है, इसका अर्थ है झूठ-मूठ का दुख दिखाना, उदाहरण के लिए, किसी कुत्ते के गाड़ी के नीचे आ जाने से प्रधानमंत्री को जो दुख होता है।”

‘disgrace’, = कलंकित

‘donkey’, = गधा, मुझे सच में नहीं पता कि इस शब्द का अर्थ जानवर है, या कम बुद्धि वाला व्यक्ति, इसका जिक्र करके इस जानवरको अपमानित क्यों किया गया है, मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता।

‘drama’, = नौटंकी से मुराद लगती है, असल में कुछ नहीं कहा जा सकता। इसमें हमारा सवाल ये भी है कि सिर्फ ”ड्रामा” कहना मनाहै या करने पर भी कोई रोक है”

‘eyewash’, = शाब्दिक अर्थ, आंख धोना है, लेकिन असल में इसका अर्थ भी धोखाधड़ी या ढकोसला, जैसा कुछ होता है।

‘fudge’, = झूठे या जाली तथ्य पेश करना, उदाहरण के लिए अर्थव्यवस्था या रोजगार के वो आंकड़े जो सरकार की तरफ से पेश किएजाते हैं।

‘hooliganism’, = गुंडागर्दी, सवाल फिर वही है, ऐसा सिर्फ कहना मना है या इसे करने पर भी कोई प्रतिबंध है।

‘hypocrisy’, = कपट, ढोंग, पाखंड आदि इस शब्द के अर्थ हैं, लेकिन इस शब्द की मानवीयत बहुत विस्तृत है, ये पूरा एक चरित्र है।खै़र….

‘incompetent’, =  निकम्मा, नाकारा, यानी यदि कोई काम ना करे,

‘mislead’, = बहकाना, भटकाना, धोखा देना आदि आदि

‘lie’, = झूठ, असत्य

‘untrue’, = असत्य झूठ

‘anarchist’, = अराजकतावादी

‘gaddar’, = गद्दार

‘girgit’,  = गिरगिट, ये भी एक तरह का जिनावर ही होता है, जो रंग बदलता है, सिर्फ इसीलिए मशहूर है, उसकी इस खासियत को,किसी व्यक्ति पर अब आरोपित नहीं किया जा सकेगा। वो व्यक्ति अलबत्ता ऐसा करने को अपनी विषेशता बता सकता है।

‘goons’, = सामान्य अर्थों में ये शब्द गुंडो के लिए प्रयुक्त किया जाता है, लेकिन राजनीतिक विकास की दिशा और गति का देखते हुएशाब्दिक अर्थ का विस्तार हुआ है।

‘ghadiyali ansu’, = उपर इसका अर्थ दिया जा चुका है।

‘apmaan’, = इसे बेइज्जती समझिए, बाकि आपके विवेक पर है।

‘asatya’, = झूठ

‘ahankaar’, = कहते हैं, रावण का भी टूटा था, लेकिन कुछ समय लगा था। इसे सामान्य भाषा में घमंड भी कहा जाता है, अक्सर उसेहोता है, जिसके पास सत्ता होती है। प्रतिबंध उस पर लगता है, जिसके पास सत्ता नहीं होती।

‘corrupt’, = भ्रष्टाचारी, ध्यान दीजिए, प्रतिबंध करप्शन यानी भ्रष्टाचार पर नहीं है, इस शब्द का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिनकिसने किया, यानी भ्रष्टाचारी कौन है, ये आप नहीं कह सकते। यानी भ्रष्टाचा, तो होगा, लेकिन किसने किया ये नहीं पता चलेगा।उदाहरण के लिए लक्षमणपुर और बाथे नरसंहार तो हुआ, लेकिन अदालत का कहना है किसी ने किया नहीं, ठीक ऐसा ही, अहसानजाफरी वाले मामले में हुआ है। ज्यादा विस्तार में जाने पर लेखक के देशद्रोही होने का खतरा है, हो सकता है कि किसी की भावनाएंआहत हो जाएं, और उसे तीस्ता के साथ वाले सेल में जेल डेबिट कार्ड बनवाना पड़े।

‘kala din’, = हालांकि सूरज निकलने के चलते दिन के काले होने की संभावना खत्म हो जाती है, जो इसका शाब्दिक अर्थ है, लेकिनयहां इसके भावनात्मक अर्थ की बात लगती है। आपके आने वाले हैं, आ चुके हैं, जिनके नहीं आए, उन्होने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

‘kala bazaari’, = अत्यावश्यक उत्पादों को, सरकार के राशन को, छुपा कर, ज्यादा दाम पर बेचने को कहा जाता है। ज्यादा जानकारीके लिए कल्याणकारी राज्य के बारे में पढ़ें, पहले बहुत होती थी, सरकार चिंतित थी, इसलिए अत्यावश्यक जीवनोपयोगी जिंसों को इससूची से निकाल लिया गया है। अब कालाबाजारी को कानूनी रूप दे दिया गया है, शायद सरकार के इसी कदम की ताइद करने के लिएइस शब्द को ग़ैर संसदीय की सूची में रखा गया है।

‘khareed farokht’, = आप सामान की करते हैं, सरकारें विधायकों की करती हैं। सामान्यतः इसे खरीदना और बेचना कहते हैं, दोनोही उर्दू के अल्फाज़ हैं, ये नहीं पता कि इन्हें ग़ैर संसदीय इसलिए कहा गया कि ये उर्दू के हैं, या इसलिए कहा गया कि ऐसा कहने सेसरकार को ऐसा करने में नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ता है, और उससे ज्यादा जवाब देने में दिक्कत आती है।

‘danga’, = बहुउपयोगी कृत्य है। अक्सर होता है, पूरे देश में होता है, होता है तो होता रहे, उसके बारे में बात नहीं की जा सकती।सोचिए जब आप यही नहीं कह पाएंगे कि क्या हुआ, तो उसकी आलोचना कैसे करेंगे

‘dalal’, = हिंदी में अपमानजनक है, अंग्रेजी में इसे कमीशन एजेंट कहा जाता है, जो खासा सम्मानजनक शब्द है। इसलिए इसे हिंदी मेंअसंसदीय बताया गया है, अंगे्रजी में नहीं। आजकल ये एक सम्मानजनक पेशा है।

‘daadagiri’, = डराने धमकाने के काम के लिए प्रयुक्त होता है, इसकी डिमांड बहुत है, बहुत महत्वपूर्ण कार्य है, लेकिन ग़ैरकानूनी है,इसलिए इसे असंसदीय की सूची में डाला गया है।

‘dohra charitra’, = आपने वो हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और होते हैं वाली कहावत सुनी होगी, इसी को दोहरा चरित्र कहतेहैं।

‘bechara’, = बेचारा का शाब्दिक अर्थ है जिसके पास कोई चारा ना हो, अक्सर मजबूर व्यक्तियों के संदर्भ में इस्तेमाल होता है।

‘bobcut’, = इस शब्द का कोई अर्थ हमें नहीं पता चला, शायद ऐसा कोई शब्द ही ना हो, संसद सचिवालय से इसकी परिभाषा पूछीजा सकती है या नहीं, इस विषय पर विधि वेत्ताओं से बातचीत चल रही है।

‘lollypop’, = बच्चों के खाने की, माफ कीजिएगा चूसने की चीज़ होती है। बड़ों को अक्सर ध्यान भटकाने के लिए थमाई जाती है।बचपन में मजेदार लगती है, जवानी और बुढ़ापे में वबाले जान हो जाती है, लेकिन अक्सर सरकार का काम निकाल ले जाती है।

‘vishwasghat’, = अंग्रेजी के शब्द बिट्रेयल से निकला है, लेकिन इसे अक्सर धोखा देना जैसे कम असर वाले शब्दों के साथ अदल – बदल कर काम लिया जाता है।

‘samvedanheen’, = जिसमें संवेदना ना हो, उसे संवेदनहीन कहा जाता है। हालांकि नेता बनने की, और फिर नेतागिरी करने की पहलीशर्त यही होती है, लेकिन संसद में इस शब्द का इस्तेमाल वर्जित कर देने से नेतागिरी की परिभाषा में बदलाव की जरूरत लगती है।

‘foolish’,  = अंग्रेजी में इसे मूर्खता कहते हैं, हालांकि बेवकूफी भी इसी श्रेणी का शब्द है। लेकिन कोई हो तो हो, अपना क्या की तर्जपर काम करने वाले अक्सर इससे अपमानित हो जाते हैं, और ये शब्द भी वर्जित ही है।

‘pitthu’, = ये भी एक किस्म का जानवर ही होता है, कोई इन्सान मजबूरी में उस जानवर का ही काम आजीविका के तौर पर करने लगेतो उसे भी पिठ्ठू ही कहते हैं। राजनीतिक हलकों में इसे चमचा आदि के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है।

‘behri sarkar’, = जो सुनता नहीं उसे बहरा कहा जाता है, अगर सरकार ना सुने तो उसे भी बहरा कह दियाज जाता है, लेकिन व्यक्तिके संदर्भ में ये एक शरीरिक अक्षमता की ओर इशारा होता है, जबकि सरकार के संदर्भ में ये इशारा कई ग़ैरसंसदीय शब्दों को एक साथप्रयुक्त करने जैसा होता है। शायद इसीलिए इसे भी ग़ैरसंसदीय माना गया है।

‘sexual harassment’ = एक यही शब्द है जिसे असंसदीय बनाने का संदर्भ समझ में आता है। समस्याओं से लड़ने के कई तरीके होतेहैं, उनमें एक तरीका ये भी होता है, कि समस्या पर बात ही बंद कर दी जाए। यूँ समझिए कि जब आप ये कह ही नहीं पाएंगे कि आपकेसाथ क्या हुआ, यानी आपका यौन शोषण हुआ, और इस शब्द का इस्तेमाल ही असंसदीय घोषित कर दिया गया तो शिकायत ही नहींदर्ज होगी। अल्ला अल्ला ख़ैर सल्ला।

तो कुल मिलाकर सूची लंबी है। होनी भी थी, कई सालों से असंसदीय शब्दों की सूची नहीं निकली थी, जिसे अपना कर्तव्य जानकर संसद सचिवालय ने पूरा किया है।

अब अगर आप सूची पर ग़ौर करेंगे तो पाएंगे कि ज्यादातर शब्द वो हैं, जो आलोचनात्मक हैं, और इनमें से कोई भी शब्द अश्लील या अमार्यादित नहीं है। नतीजा ये है कि उन शब्दों से जिनसे सरकार की आलोचना हो सकती हो, उन्हें असंसदीय घोषित कर देने से सरकारकी आलोचना को रोका जा सकता है। ख्याल बहुत रोचक है, लेकिन हमारा इसमें सिर्फ एक सुझााव है, लिस्ट यानी सूची बहुत लंबी है,तो इसे याद रखना सबके लिए मुष्किल होगा, जबकि अभी तो जनता ये कुछ अन्य शब्दों को इस सूची में जोड़ने का सुझाव दे रही है।जैसे ”अहसान जाफरी, जकिया जाफरी, इशरत जहां, तुलसीराम प्रजापति, बेस्ट बेकरी, माफीनामा, 56 इंची…”आदि आदि शब्दों कोभी इस सूची में शामिल किया जाना चाहिए।

लेकिन मेरा मानना है ऐसे में सूची लंबी हो जाएगी। मैं सरकार के इस कदम के पूरी तरह समर्थन में हूं, ग़ैर संसदीय शब्दों को संसद मेंनहीं बोला जाना चाहिए, उन्हें पुलिस बोले तो ठीक, जनता बोले तो कोर्ट पूछ ले कि, ”भई बिना वर्दी कैसे बोल दिया तैने… सत्ता के लोग इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते, वो किसी महिला को ”शूर्पणखा जैसी हंसी जैसी उपमा देते हैं” भरी सभा में माइक पर ”दीदीओ दीदी…. जैसे महिलाओं को छेड़ने वाली आवाजें निकालते हैं, और तो और महिलाओं की जासूसी भी करवाते हैं, लेकिन वो सबअसंसदीय नहीं होता। बल्कि उनसे संसद की शोभा बढ़ती है, ”ये आखिरी वाला यौन शोषण के अपराध की श्रेणी में आता है, जिसे असंसदीय कहा गया है।” तो कुल मिलाकर मेरा मानना ये है कि ये बहुत बढ़िया सूची है, इसमें आप ग़ौर करें तो पाएंगे कि धोखाधड़ी जैसे शब्दों और उसके पर्यायवाची शब्दों को, निकम्मे जैसे शब्द को, बहुत जगह दी गई है। ऐसा क्यों किया गया है, इसकी ज़रूरत क्याथी, इस विमर्श में जाना फिर ग़ैर संसदीय दिशा की तरफ जाना हो सकता है, इसलिए इस बारे में ज्यादा सोचा नहीं जाना चाहिए। अभीतो मेरा सुझाव ये है कि एक नई बुकलेट निकालनी चाहिए, जिसमें साफ – साफ ये लिख देना चाहिए कि सरकार की आलोचना करनेवाले किसी भी शब्द, भाव, या सोच को ग़ैर संसदीय घोषित किया जाता है। बस्स्स्स…काम खत्म। वरना आज ये सूची बनी है, कलउसमें फेंकू, तड़ीपार…. आदि शब्दों को जोड़ना पड़ेगा और हो सकता है कि, एक नया शब्दकोष ही बनाना पड़े। इसका समाधान ये हैकि बस एक वाक्य लिखा जाए, कि सरकार की आलोचना ग़ैर संसदीय है। पुलिस अदालत ने तो ख़ैर ये मान ही लिया है, और इसेअपराध मान कर ही अक्सर लोग जेल में बंद हैं, पांच – पांच सालों से बंद हैं, 90 प्रतिषत शारीरिक अक्षमता वाले लोग, इसी आलोचनाके चलते जेल में बंद हैं, सरकार के सवाल करने को भी असंसदीय माना जाना चाहिए। ये भी सरकार और कोर्ट ने मान ही लिया है, यादरखिए तीस्ता का यही अपराध है, जुबैर का यही अपराध है। बल्कि अगर कोई ऐसा करता या सोचता है तो उसकी सिस्टेमैटिक हत्या भीकी जा सकती है, जैसे फादर स्टेन स्वामी की की गई, या रोहित वेमुला की की गई थी। एक मामला ये भी है कि अर्बन नक्सल, टुकड़े -टुकड़े गैंग जैसे शब्दों का जो इफरात में इस्तेमाल होता है, उन्हें ना तो ग़ैर संसदीय बताया गया है, और ना ही उनका कोई स्पष्टीकरणदिया गया है। खै़र दोस्तों, कुल मिलाकर बात इतनी है कि जैसा ग़ालिब ने मरने के बाद फरमाया है

 

कुछ कहना तो ज़रा पूछ लेना

जुर्म की डिक्शनरी नई निकली है।

 

ऐसे बेमौके के शेर ग़ालिब ऐसे ही कभी भी कह दिया करते थे, मरने के बाद कहा तो क्या बुरा किया। और सबसे बड़ी बात ये है किअसंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने से बचें, बल्कि कुछ भी कहने से बचें, मौका बुरा है, आपके लि….. नमस्ते