एनडीटीवी पर 23 फ़रवरी का प्राइम टाइम वाक़ई ख़ास था। इसके लिए रवीश कुमार की तारीफ़ करनी ही पड़ेगी। जब मीडिया का बड़ा हिस्सा दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में छात्रों और सेमिनार पर पुलिस के संरक्षण पर हुए हमले को “देशद्रोही नारों को लेकर आइसा और एबीवीपी में झड़प”, या “दिल्ली विश्वविद्यालय को देशद्रोह […]
दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में एबीवीपी ने सेमिनार बाधित किया। तोड़फोड़ और पत्थरबाज़ी की। पुलिस या तो मूकदर्शक रही या फिर साथ एबीवीपी कार्यकर्ताओं का साथ देती रही। इस मसले पर एनडीटीवी के कार्यक्रम में जब आरएसएस के जानकार बताए जाने वाले राकेश सिन्हा ने एबीवीपी का बचाव करने की कोशिश की तो […]
21 फरवरी को रामजस कॉलेज में हुए सेमिनार के दौरान हुए हंगामे को मीडिया ने एबीवपी और आइसा के बीच की झड़प बताई है। जबकि यह एक सेमिनार को बाधित करने की कोशिश थी जिसे पुलिस का पूरा समर्थन प्राप्त था। इस सिलसिले में जो वीडियो सामने आये हैं वे बताते हैं कि एबीवीपी सेमिनार […]
यह हमने कैसा समाज रच डाला है…? दिनो दिन बर्बर होती जा रही है राजधानी में कोई सुरक्षित नहीं है ! कवि भी नहीं ! हमारे दौर के चर्चित कवि देवी प्रसाद मिश्र को कल शाम पूर्वी दिल्ली में डीटीसी बस के एक कंडक्टर-ड्राइवर ने पीट दिया। उन्होंने मोदी जी के स्वच्छता अभियान का हवाला […]
एक पत्रकार की सरेबाज़ार आंध्र प्रदेश में डंडों, लात और घूंसों से पिटाई हुई। जनता खड़ी देखती रही। एकाध ने प्रतिवाद करने की कोशिश की। यह घटना दिनदहाड़े हुई है। सब चुपचाप देख रहे हैं और गुज़र रहे हैं। पीटने वाला स्थानीय विधायक का भाई है। पीटा इसलिए क्योंकि पत्रकार ने अपने अख़बार में विधायक की […]
आख़िर ओपीनियन पोल क्यों बार-बार ग़लत होते हैं और क्या इनके राजनीतिक उद्देश्य भी होते हैं…मीडिया की सामाजिक संरचना इसके लिए कितनी ज़िम्मेदार है? नेशनल दस्तक के पत्रकार शंभु कुमार सिंह के तमाम सवालों का जवाब दिया वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया विजिल ट्र्स्ट के अध्यक्ष डॉ.पंकज श्रीवास्तव ने। वीडियो देखें—
इन दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के ख़िलाफ़ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। यहाँ तक कि परंपरा तोड़ते हुए निवर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी कह दिया है कि अगर अमेरिकी मूल्य ख़तरे में हों तो प्रतिवाद में उठ खड़े होना लोगों का हक़ है। इस बीच ट्रंप का एक पुराना […]
अभिषेक श्रीवास्तव/पंजाब से सोमवार 30 जनवरी को पंजाब के फगवाड़ा में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती की पहली चुनावी रैली हुई। रैली में करीब एक लाख की भीड उन्हें सुनने के लिए राज्य भर से आई थी। शहर की विशाल अनाज मंडी में हुई इस रैली को किसी भी प्राइवेट चैनल ने […]
भक्ति का मतलब खुद को अपने ईश्वर में लीन करना होता है। जब भक्त की आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है तो उसे योग कहते हैं। इस योग में आत्मा, परमात्मा में विलीन हो जाती है। देह का मोह नहीं रहता और सारी भौतिक पहचानें मिट जाती हैं। नाम, गांव, पता, मां, बाप, नाते, […]
एक पत्रकार क्या कर सकता है? सच्ची ख़बरें लिख सकता है। अगर सच्चाई को सामने न आने दिया जाए तब वह क्या कर सकता है? ज्यादा से ज्यादा अपनी नौकरी को दांव पर लगाकर अकेले सच्चाई को सार्वजनिक कर सकता है। अगर ऐसा करने पर खुद पत्रकार ही उसकी बात को आगे न बढ़ाएं तब […]
भले ही मुख्यधारा का मीडिया नोटबंदी के मुद्दे पर केंद्र सरकार का प्रवक्ता बना बैठा हो और जनता के दुख-दर्द की झलकियां टीवी पर कहीं-कहीं दिख जा रही हों, लेकिन इस कार्रवाई ने ज़मीन से जुड़े कुछ पत्रकारों को वास्तव में विचलित किया है। इंडिया टुडे हिंदी के वरिष्ठ रिपोर्टर पीयूष बबेले ऐसे ही […]
यह वीडियो ऐतिहासिक है। हिंदी का नंबर वन और ‘सबसे तेज़’ चैनल आज तक के न्यूज़रूम में स्टार एंकर श्वेता सिंह और चंद दूसरे पत्रकारों की बातचीत का यह वीडियो बताता है कि क्यों न्यूज़ चैनलों से अज्ञान और अंधविश्वास की बारिश होती है। पिछले दिनों दो हज़ार के नोट में नैनो चिप होने की […]
देश की जनता के घर-परिवार और जि़ंदगी में 8 नवंबर की रात से हाहाकार मचा हुआ है। 1000-500 के नोटों पर बंदिश क्या लगी, लोगों की जिंदगी पर ही बंदिश लग गई। खाना, पीना, सोना, जगना सब हराम हो चुका है। देश के जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला मेहनतकश तबका बैंकों के बाहर […]
RSS सबसे ज़्यादा राष्ट्रवाद की बात करता है, वह आज़ादी की लड़ाई में कहाँ था ? उसने गाँधी जी का ही नहीं, भगत सिंह और सुभाष बोस का भी विरोध किया। RSS का गठन 1925 में हुआ था यानी असहयोग आंदोलन की पृष्ठभमि में। संगठन का उद्देश्य ख़ासतौर पर हिंदुओं को गाँधी के ‘चक्कर’ से […]
यह देखना दिलचस्प है कि मोदीप्रिय अंबानी जी के सूचना साम्राज्य का हिस्सा ‘ईटीवी उर्दू’ वह अकेला चैनल है जिसकी कश्मीर घाटी में थोड़ी साख है। बाक़ी हिंदी और अंग्रेज़ी चैनलों को वहाँ के लोग झूठ की मशीन समझते हैं। इसका प्रमाण यह है कि देश के तीन वरिष्ठ पत्रकारों, अभय कुमार दुबे, संतोष भारतीय […]
मीडिया को लेकर विजिलेंट होने का मतलब सिर्फ ये नहीं है की हम उसकी कमियाँ ही तलाशें। तमाम सीमाओं और टीवी में सिकुड़ते रचनात्मक स्पेस के भीतर भी जो काम अच्छा और ऐतिहासिक महत्त्व का है उसको रेखांकित करना भी हम ज़रूरी समझते हैं। बीते रविवार राज्य सभा टीवी के सेलिब्रिटी साक्षात्कारों के कार्यक्रम ‘गुफ़्तगू’ ने […]
मीडिया विजिल तमाम विषयों पर विशेषज्ञों की बात आप तक पहुँचाने की योजना पर का काम कर रहा है। इन दिनों महात्मा गाँधी की हत्या में आरएसएस का हाथ होने के राहुल गाँधी के दावे पर वबाल हो रहा है। मामला अदालत में है। इसका ऐतिहासिक पक्ष जानने के लिए वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने […]