कासगंज के असली अपराधी हैं बेरोज़गारी और सोशल मीडिया, बीस मिनट के वीडियो में पूरा सच

कासगंज में 26 जनवरी को हुई हिंसा और उसमें एक नवयुवक की हत्‍या बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना थी। इस घटना के पीछे प्रत्‍यक्ष तौर पर न तो कोई राजनीतिक षडयंत्र जैसी चीज़ थी और न ही इसका कोई राजनीतिक उद्देश्‍य था। हां, इसके पीछे थी नई उम्र के लड़कों की राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा और उत्‍पादक काम की कमी। इन लड़कों के पास आज के दौर का सबसे बड़ा औज़ार है मोबाइल और उसमें भरा इंटरनेट पैक। यह दुधारी तलवार है। काटती भी है और बचा भी सकती है। जहां कुछ युवकों ने फेसबुक पर एक नफऱत भरी पोस्‍ट के बहाने दुश्‍मनी मोल ली और उसे 26 जनवरी की सुबह सड़कों पर निकाला, वहीं एक युवक ऐसा भी था जिसने खतरे को भांपकर इसी नई तकनीक से प्रशासन को आगाह भी किया। मामला बस इतना था कि नफ़रत भारी पड़ गई। जो हिंसा स्‍थानीय युवकों की झड़प तक सीमित होकर रह जाती, वह राष्‍ट्रीय ख़बर बन गई। एक लाश गिर गई। फिर उस पर राजनीति होने लगी। जो हुआ, उसके बाद का घटनाक्रम विशुद्ध राजनीतिक उद्देश्‍य से प्रेरित था। उससे पहले सब कुछ राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा की देन। जैसा कि प्रशासन को चेताने वाला कासगंज का संवेदनशील युवक कहता है, ”हर लड़का मोदी बनना चाहता है। यही मर्ज़ की जड़ है।”

सुनिए कासगंज की पूरी कहानी मीडियाविजिल के कार्यकारी संपादक अभिषेक श्रीवास्‍तव के बीस मिनट के इस इंटरव्‍यू में, जो हिंसा के बाद ग्राउंड पर गए और दो दिन बिताकर वहां से आए। इंटरव्‍यू लिया है नेशनल दस्‍तक के शंभु कुमार सिंह ने।

“कासगंज दंगा” किसने भड़काया ?/ WHO INCITES THE KASGANJ VIOLENCE

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