कर्नाटका के विधानसभा चुनावों के नतीजों के आने के बाद से ही कांग्रेस में न केवल कर्नाटका के दो कद्दावर नेताओं के बीच के सत्ता संघर्ष बल्कि पार्टी के अंदर किसी तरह के असमंजस और फूट की सारी अफ़वाहों, अटकलों और आरोपों को विराम दे दिया गया है। नतीजों के आने और राज्य में बड़ी विजय के 4 दिन बाद, 18 मई 2023 को पार्टी के महासचिव और कर्नाटका प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने आधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस में एलान कर दिया कि कर्नाटका में कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व सीएम सिद्दारमैया ही मुख्यमंत्री होंगे। इसके साथ ही मीडिया और भाजपा की ओर से चले आ रहे आरोपों और अटकलों को विराम मिल गया कि प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की ओर से किसी तरह के बागी तेवर दिख रहे हैं।
सिद्दारमैया ही होंगे सिपहसलार
पार्टी की आधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस में महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बहुत ईमानदारी से ये भी स्वीकारा कि पार्टी के अंदर सहमति बनाने का लंबा दौर चला। एक-एक विधायक से निजी तौर पर पार्टी की ओर से नियुक्त ऑब्ज़र्वर्स ने बातचीत की, पार्टी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को इसकी रिपोर्ट सौंपी गई। ये तथ्य भी नकारा नहीं गया कि सिद्दारमैया और शिवकुमार दोनों ही सीएम बनना चाहते थे और दोनों से मलिकार्जुन खड़गे के अलावा पार्टी के अन्य सीनियर नेताओं ने भी बातचीत की और फिर अध्यक्ष ने ये फ़ैसला लिया कि सिद्दारमैया ही सीएम बनेंगे।
‘एकमात्र’ डिप्टी सीएम
सीएम के नाम के एलान के साथ ही, ये भी एलान किया गया कि प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार इस सरकार में एकमात्र डिप्टी सीएम होंगे। केसी वेणुगोपाल ने जिस तरह से ‘एकमात्र’ शब्द पर ज़ोर दिया, उस पर हम आगे विश्लेषण करेंगे लेकिन डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम रहने के साथ-साथ 2024 लोकसभा चुनावों तक प्रदेश अध्यक्ष भी बने रहेंगे।
शपथ होगी 20 मई को
ये एलान भी इसी प्रेस कांफ्रेंस में कर दिया गया कि गुरुवार की शाम ही पार्टी का कर्नाटका का विधायक दल एक बैठक करेगा, जिसमें औपचारिक तौर पर वो सिद्दारमैया को नेता चुनेगा। 20 मई को दोपहर 12.30 बजे बेंगलुरू में शपथ ग्रहण समारोह होगा, जहां इन दोनों के साथ एक छोटा कैबिनेट भी शपथ लेगा।
इस प्रेस कांफ्रेंस की ख़ास बातें
केसी वेणुगोपाल की इस प्रेस कांफ्रेंस में कुछ ख़ास बातें नज़र आई, जिनका राजनैतिक विश्लेषण ज़रूरी है। प्रेस कांफ्रेंस कर रहे केसी वेणुगोपाल की भाव भंगिमाएं, उनकी भाषा का उतार-चढ़ाव, उनकी मुद्रा और उनके शब्दों के बीच काफी कुछ निकल कर आता दिखा। जिसको हम पढ़ने की अपनी ओर से कोशिश कर रहे हैं;
- केसी वेणुगोपाल अपने वक्तव्य के बीच में कई बार लंबे पॉज़ ले रहे थे, हर वाक्य संभाल कर और बहुत सोच समझ कर बोल रहे थे। कांग्रेस की रणनीति साफ दिख रही थी कि कुछ भी ऐसा न बोला जाए, जो पॉलिटिकली इनकरेक्ट हो। हालांकि ये उनकी स्टाइल भी है लेकिन उसके बावजूद इस प्रेस कांफ्रेंस में अतिरिक्त सावधानी दिख रही थी।
- प्रेस कांफ्रेंस में बहुत विस्तार में सीएम चुनने की प्रक्रिया को समझाने की कोशिश की। प्रेस कांफ्रेंस का एक बड़ा हिस्सा, इसी प्रक्रिया को विस्तार से समझाने में निकला। फोकस इस बात पर था कि पूरी प्रक्रिया कितनी लोकतांत्रिक है, ये सामने रखा जाए। ये प्रेशर नहीं है बल्कि भाजपा को एक तरह से चुनौती है कि वह पारदर्शी नहीं है। कांग्रेस की वोटर को स्टेक होल्डर बनाने की ये कोशिश दिलचस्प है।
- प्रेस कांफ्रेंस की सबसे दिलचस्प बात थी, ये बात खुल के स्वीकारना कि पार्टी में एक से अधिक कद्दावर नेताओं के बीच पावर स्ट्रगल हो सकता है, एक से अधिक लोग मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा पाल सकते हैं। केसी वेणुगोपाल ने बेहद समझदारी और सावधानी से सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार दोनों की ही पार्टी के लिए अहमियत बताई और दोनों को सीएम पद के लिए योग्य बताया। उन्होंने कहा, ‘सभी लोगों के मन में अपनी इच्छाएं और महात्वाकांक्षाएं हो सकती हैं। सभी मुख्यमंत्री बनना चाह सकते हैं।’ ये एक अच्छा स्टैंड और प्रयोग है कि इसको लेकर कांग्रेस नेता और प्रवक्ता पहले दिन से ही फ्रंटफुट पर खेलते रहे हैं।
- इस प्रेस कांफ्रेंस में एक बात और ग़ौरतलब थी, जिसका ज़िक्र हमने ऊपर भी किया था – वो ये कि डीके शिवकुमार के पद का एलान करते समय विशेषतौर पर ‘एकमात्र डिप्टी सीएम’ का प्रयोग किया गया। इस पर ज़ोर देकर ये बात कही गई कि डीके शिवकुमार एकमात्र सीएम होंगे। इसके दो अर्थ हो सकते हैं, पहला ये कि डीके शिवकुमार की ओर से इस बात का दबाव था कि उनके पास डिप्टी सीएम के तौर पर एब्सोल्यूट पावर हो और उनको किसी के साथ अपनी शक्ति न बांटनी पड़े। दूसरा ये कि सिद्दारमैया की ओर से ये आज़माइश हो कि डीके शिवकुमार के साथ उनके धड़े का कोई व्यक्ति भी डिप्टी सीएम रहे। यहां पर सिद्दारमैया को सिर्फ सीएम पद से संतोष करना पड़ा और कैबिनेट में उनकी क्षतिपूर्ति की कोशिश होगी।
- इसके अलावा डीके शिवकुमार की ओर से पड़ रहे दबाव के तहत ही ये फ़ैसला भी आलाकमान को करना पड़ा है कि पार्टी का कंट्रोल राज्य के अंदर उनके हाथ में ही रहे। इसलिए डिप्टी सीएम रहने के साथ ही, वो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहेंगे। यानी कि डीके शिवकुमार को कंसोल करने की पूरी कोशिश की गई है।
हमको Twitter पर अपडेट्स के लिए @mediavigilindia पर फॉलो करें