ये छोटा सा वीडियो मैं दिल्ली से बना रही हूं। हम सब यहां, कुछ ज़रूरी मांग करने के लिए इकट्ठा हुए हैं – और वो है सबके लिए स्वास्थ्य, भोजन, एक औसत आय, घर और शिक्षा की मांग…
ये कहते हुए, लेखिका अरुंधति राय – अपने लगभग साढ़े 5 मिनट के इस वीडियो की शुरुआत करती हैं और फिर जाती हैं, हमारे समय की सबसे बड़ी विपदा – कोरोना काल की ओर। वे कहती हैं कि ये वो समय था, जब हमको अपने नेतृत्व की ओर देखना और उससे अपेक्षा करनी थी। लेकिन…फिर डोनाल्ड ट्रंप का वीडियो आता है और अरुंधति की आवाज़, आपको अंदर तक कुरेद देती है – कि हमारा नेतृत्व कर कौन रहा है…आप सोचने लगते हैं कि वाकई हमने किनको चुना और क्या इस मुश्किल वक़्त में इन नेताओं से कोई उम्मीद की जा सकती है? क्या हमारे नेता हमारी बात सुन भी रहे हैं…
कोरोना वायरस केवल एक वायरस नहीं, एक एक्स रे भी है कि हमने, कुदरत के साथ – अपने समाज और पृथ्वी के साथ क्या किया है। हम जिसे सभ्यता कहते हैं, वह क्या है…वो अन्याय जिसे हम व्यापार कहते हैं…वह लालच, जिसे हम खुशी कहते हैं…अरबों लोग लॉकडाउन में बंद हैं। ये चिंता की बात है कि इतिहास में पहली बार इतने लोगों पर एक साथ इतनी बंदिशें लगा दी गई हैं। कुछ देशों में नुकसान भयावह है। भारत में करोड़ों लोग, बिना भोजन, पैसों और किसी यातायात के साधन के एक जगह बंद हो गए…
लोग सड़कों पर धूप-भूख के साथ पैदल चलने लगे, अपने गांवों की ओर…उन पर पशुओं की तरह डिसइन्फेक्टेंट छिड़का गया…
अरुंधति ने जो कहा, उसको आप भी सुनिए…हम लाएं हैं, ये वीडियो – जिसे सुन कर शायद आप और हम थोड़ा बेहतर इंसान बनने का फैसला कर सकें। क्योंकि कोई वीडियो आपको या हमको बेहतर इंसान बना नहीं सकता – जब तक कि हम न चाहें…
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