उसका हाथ तोड़ा गया, ज़ख्मों पर नमक-मिर्च छिड़का गया और बंदूक की नोक पर दिलवायी गयी बाइट
इंडिया टुडे टीवी और आज तक द्वारा 14 जुलाई को प्रसारित एक कश्मीरी लड़के की ”500 रुपये लेकर पत्थर मारने” वाली ‘एक्सक्लूसिव’ बाइट आखिरकार फर्जी और पुरानी साबित हो गई है। मीडियाविजिल ने इस संबंध में अगले ही दिन 15 जुलाई को अपनी पोस्ट में यह शंका जाहिर की थी कि सूत्रों के मुताबिक बाइट 2010 की हो सकती है, लेकिन अब खुद बाइट देने वाले लड़के बिलाल अहमद डार (25) ने कुबूल किया है कि यह बाइट 2008 की है जो उससे दबाव में दिलवायी गई थी।
राइजि़ंग कश्मीर में 28 जुलाई को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक डार अख़बार के दफ्तर आया था और उसने इंडिया टुडे की रिपोर्ट का खंडन करते हुए बताया कि ”2008 में सीआरपीएफ ने मुझे यातनाएं दीं और मुझसे कैमरे के सामने गीलानी साहब पर आरोप लगाने को कहा गया था।” डार ने कहा, ”वही वीडियो फुटेज 14 जुलाई, 2016 को इंडिया टुडे ने प्रसारित किया।”
अखबार को दिए अपने बयान में डार ने कहा है कि ”श्रीनगर में सीआरपीएफ ने मुझे पकड़ लिया और तब छोड़ा जब मुझसे बंदूक की नोक पर बयान रिकॉर्ड करवा लिया गया। मेरी बायीं बाजू सीआरपीएफ के लोगों ने तोड़ दी और उन्होंने मेरे ज़ख्मों पर नमक और मिर्च छिड़क दिया। चार घंटे बाद जम्मू और कश्मीर की पुलिस मुझे अस्पताल लेकर गई।”
डार ने ऐसा ही बयान कश्मीर के दूसरे मीडिया को भी दिया है जिसमें 14 जुलाई को इंडिया टुडे व आज तक पर चली बाइट को 2008 का फर्जी बताया है। उसके बयान का वीडियो मीडियाविजिल जल्द ही अपने पाठकों के सामने लेकर आएगा। ध्यान रहे कि 14 जुलाई को जो वीडियो इंडिया टुडे पर चला था, उसमें एंकर पद्मजा जोशी कह रही हैं कि चैनल इसको स्वतंत्र रूप से वेरीफाई नहीं कर सकता है, इसे पुलिस ने दिया है। वहीं रिपोर्टर गौरव सावंत फोनो में दावा कर रहा है कि उसके सोर्स कन्फर्म कर रहे हैं कि इस लड़के को हाल में पकड़ा गया है और गीलानी 500 रुपये पत्थर फेंकने के लिए उसे देते हैं।
http://indiatoday.intoday.in/money/video/stone-pelter-kashmir-geelani/1/714920.html
पिछले दिनों कश्मीर के प्रेस पर पाबंदी के विषय पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक कार्यक्रम में इंडिया टुडे टीवी के संपादक राजदीप सरदेसाई ने खुद इस बारे में जिक्र किया था कि कैसे इस किस्म की बाइटें उनके बिना वेरिफाई किए यहां चलाई जा रही हैं जिन पर सवाल उठने लगे हैं और जो संदिग्ध हो सकती हैं।
मीडियाविजिल का 15 जुलाई को इस बाइट के संबंध में किया दावा और बाद में पत्रकार गौहर गीलानी का इस संबंध में मीडियाविजिल पर छपा लेख डार के ताज़ा बयान के बाद आखिरकार सच साबित हुआ है जिसने देश के सबसे तेज़ चैनलों की पोल खोल कर रख दी है।