
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी में तमिलनाडु की हिस्सेदारी 192 टीएमसी ( (हजार मिलियन क्यूबिक) से घटाकर 177.25 टीएमसी कर दी जबकि कर्नाटक की हिस्सेदारी बढ़ाकर 270 टीएमसी से 284.75 कर दी।
कोर्ट ने 1894 और 1924 के जल विवाद समझौतों को,तथा उन्हें वैधता देने वाले जल विवाद ट्रिब्यूनल के फैसले को भी सही ठहराया।
कोर्ट का यह फैसला 15 सालों तक मान्य रहेगा।