झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रविवार को कैबिनेट की पहली बैठक में ही 2017-2018 में पत्थलगड़ी आंदोलन में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे को वापस ले लिया है.
Hemant Soren’s cabinet ordered withdrawal of all cases registered during the Pathalgadi movement.https://t.co/kRBYA6fWah
— The Indian Express (@IndianExpress) December 30, 2019
मंत्रिपरिषद द्वारा सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध करने के फलस्वरूप तथा पत्थलगड़ी करने के क्रम में जिन व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमे दायर किए गए हैं, उन्हें वापस लेने का निर्णय लिया गया तथा तदनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया.
Jharkhand: Pathalgadi sedition cases dropped by Hemant Soren governmenthttps://t.co/k4hsyYGzQy pic.twitter.com/8AmIYaauKD
— Scroll.in (@scroll_in) December 29, 2019
रघुबर दास के कार्यकाल में छोटानागपुर और संथाल परगना काश्तकारी क़ानून में ढील देने की कोशिश की गई थी और इसे लेकर भारी विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया था.
इस मामले में भी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया था. हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की बैठक में इन मुक़दमों को भी वापस लेने का फ़ैसला किया है.
मंत्रिपरिषद द्वारा सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध करने के फलस्वरूप तथा पत्थलगड़ी करने के क्रम में जिन व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमे दायर किए गए हैं, उन्हें वापस लेने का निर्णय लिया गया तथा तदनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। @HemantSorenJMM
— IPRD Jharkhand (@prdjharkhand) December 29, 2019
पत्थलगड़ी आंदोलन में आदिवासियों ने बड़े-बड़े पत्थरों पर संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों के लिए प्रदान किए गए अधिकारों को लिखकर जगह-जगह ज़मीन के ऊपर लगा दिए थे.यह आंदोलन काफ़ी हिंसक हो गया था. इस दौरान पुलिस और आदिवासियों के बीच जमकर संघर्ष हुआ था और आंदोलन फैल गया था.