देश की आम जनता पर मजदूर विरोधी श्रम संहिता और किसान विरोधी कृषि कानून थोपने के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों द्वारा आयोजित देशव्यापी आम हड़ताल और विरोध प्रदर्शनों में छत्तीसगढ़ के किसान भी बड़े पैमाने पर शिरकत करेंगे और मोदी सरकार की नव उदारवादी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे। छत्तीसगढ़ के किसान संगठन 26 नवम्बर को मजदूर हड़ताल के समर्थन में एकजुटता व्यक्त करेंगे, तो 27 नवम्बर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर पर दिल्ली में संसद मार्च के साथ ही पूरे प्रदेश में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के आह्वान पर गांव-गांव में पोस्ट ऑफिसों के सामने प्रदर्शन करेंगे, मोदी सरकार के पुतले जलाएंगे और किसान श्रृंखला बनाएंगे।
मजदूर-किसानों के इस देशव्यापी आंदोलन को माकपा सहित सभी वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया है। यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने आज यहां दी। उन्होंने कहा कि हाल ही में घोर अलोकतांत्रिक तरीके से जिस तरह इन कानूनों को पारित घोषित किया गया है, उससे साफ है कि मोदी सरकार को न तो संसदीय जनतंत्र की परवाह है और न ही देश के संविधान पर कोई आस्था है। इस सरकार ने देशी-विदेशी कॉरपोरेटों के आगे घुटने टेकते हुए देश की अर्थव्यस्था और खाद्यान्न बाजार को इनके पास गिरवी रख दिया है, ताकि ये आम जनता को लूटकर अधिकतम मुनाफा कमा सके।
किसान सभा नेताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार से भी मांग की है कि केंद्र सरकार के कृषि विरोधी कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए पंजाब सरकार की तर्ज़ पर एक सर्वसमावेशी कानून बनाये, जिसमें किसानों की सभी फसलों, सब्जियों, वनोपजों और पशु-उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सी-2 लागत का डेढ़ गुना घोषित करने, मंडी के अंदर या बाहर और गांवों में सीधे जाकर समर्थन मूल्य से कम कीमत पर खरीदना कानूनन अपराध होने और ऐसा करने पर जेल की सजा होने, ठेका खेती पर प्रतिबंध लगाने और खाद्यान्न वस्तुओं की जमाखोरी पर प्रतिबंध लगाने के स्पष्ट प्रावधान हो।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा सहित 21 से ज्यादा किसान संगठन छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के आह्वान पर 26-27 नवम्बर को आंदोलन के मैदान में होंगे और “कॉर्पोरेट भगाओ – खेती-किसानी बचाओ – देश बचाओ” के केंद्रीय नारे पर जुझारू विरोध कार्यवाहियां करेंगे।