दंतेवाड़ा: सभा से नहीं, सोनी सोरी को घर से उठा कर ले गई थी पुलिस !

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छत्‍तीसगढ़ Published On :

फोटो : हिमांशु कुमार की फेसबुक पोस्ट से साभार


ख़बरों के अनुसार आदिवासी कार्यकर्त्ता और समाजसेवी सोनी सोरी को छत्तीसगढ़ पुलिस ने शनिवार को दंतेवाड़ा से शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. आदिवासी नेत्री सोरी सोरी जेल में कैद आदिवासियों की रिहाई की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रही थी. हालांकि अब उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है. किन्तु इस कांग्रेस शासन में इस गिरफ़्तारी ने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं.

इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार से मीडिया विजिल ने फोन पर बात की.उन्होंने बताया कि दरअसल गांवों के लोगों ने ही सोनी सोरी से कहा था इस मोर्चे पर आने के लिए और सोनी सोरी अपने गाँव के घर पर थी जहां पुलिस ने उन्हें घेर लिया और घसीटते हुए थाने ले गई. उन्होंने बताया कि कलेक्टर ने भी रैली के लिए अनुमति के सम्बंधित एक पुराना पत्र मीडिया को दे दिया . जिस कारण यह खबर फैली कि सोनी सोरी बिना अनुमति कोई रैली कर रही थी.

इस पूरे मामले का विवरण हिमांशु कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है. वे लिखते हैं :

सोनी सोरी अपने घर में थी. पुलिस ने उनके घर को घेर लिया और उन्हें जबरदस्ती पकड़कर घसीटा गया और सभा में नहीं जाने दिया गया.सोनी सोनी को गिरफ्तार करके एसडीएम के सामने पेश किया गया जहां उन्हें जमानत लेनी पड़ी.
हिमांशु कुमार ने आगे लिखा है -सोनी सोरी बहुत अपमानित महसूस कर रही हैं.सोनी सोरी जिस सभा में जाने वाली थी उसमें आदिवासी बिल्कुल जायज मांग रखने वाले थे.

आदिवासियों की मांग थी कि कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद जेलों में बन्द निर्दोष आदिवासियों को रिहा किया जाएगा वह अभी तक नहीं हुआ.उल्टे सैकड़ों बेगुनाह आदिवासियों को कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद जेल भेज दिया है.

आदिवासी मांग कर रहे थे कि जेलों में अपनी क्षमता से 5 गुना ज्यादा आदिवासियों को ठूंस दिया गया है जहां आदिवासियों को सोने तक की जगह नहीं मिल रही है.आदिवासी मांग कर रहे थे कि कम से कम जेलों की संख्या बढ़ा दीजिये थी.

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जेलों में आदिवासी बीमार होते हैं उन्हें अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पाती तो उन्हें अस्पताल की सुविधा दे दीजिए.
जायज मांगों को लेकर आदिवासियों को सभा नहीं करने दी गई और सोनी सोरी को अपमानित किया गया.हजारों आदिवासी अभी भी सभा स्थल पर डटे हुए हैं.

जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वादा किया था कि हम पीड़ित आदिवासी की सुनेंगे.लेकिन जब आदिवासी अपनी बात कहने की कोशिश करता है तो पुलिस फोर्स लगाकर उसका मुंह बंद कर दिया जाता है.
यही काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही थी अब कांग्रेस भी उसी रास्ते पर चल रही है.यह बहुत विचलित करने वाली स्थिति है.


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