इसे विपक्ष की मेहनत कहें या सरकार की मजबूरी – अरसे बाद, देश के किसी चुनाव में असल मुद्दों की वापसी होती दिख रही है। बिहार के चुनाव में शामिल होने वाली लगभग सारी प्रमुख उम्मीदवार पार्टियों का घोषणा पत्र जारी हो चुका है। महागठबंधन ने सयुंक्त रूप से ‘बदलाव पत्र’ और एनडीए में भाजपा और जदयू ने अलग-अलग ‘संकल्प पत्र’ और ‘7 निश्चय योजना कार्यक्रम’ जारी किया है। साथ ही अकेले चुनाव लड़ रही लोजपा ने भी ‘विजन डॉक्यूमेंट 2020’ नाम से अपना हलफ़नामा जारी कर दिया है। इसी बीच बिहार की राजनीति की सबसे नयी दावेदार, पुष्पम प्रिया चौधरी की प्लूरल्स पार्टी ने भी ‘8 दिशा, आठों पहर’ नाम से अपना घोषणापत्र जारी किया है। पिछले कुछ सालों में, ना केवल मुद्दे सियासत की फ़ेहरिस्त से ग़ायब हो गए हैं, बल्कि मीडिया ने भी इनका संज्ञान लेना बंद सा कर दिया है। पर लोकतंत्र की एक शर्त यह भी होती है कि, मतदाता भी जागरूक हो, इसलिए ज़रूरी हो जाता है कि सभी पार्टियों के घोषणा पत्रों का एक विश्लेषण किया जाए। ताकि मतदाता इन पार्टियों के वादे तुलनात्मक और मुकम्मल तरीक़े से समझ सकें और आगामी चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग,सही जानकारी के आधार पर कर सकें। इसलिए हम लाए हैं, आपके लिए सभी पार्टियों के बिहार विधानसभा चुनाव के घोषणापत्रों का तुलनात्मक अध्ययन;
रोजगार के वादे
सांप्रदायिक मुद्दे इन चुनावों में ध्वस्त होते दिख रहे हैं और उसको हराने वाला मुद्दा अब है – बेरोज़गारी। महागठबंधन में शामिल राजद प्रमुख तेजस्वी यादव,10 लाख नौकरियाँ देने का वादा कर रहे हैं वहीं सहयोगी कांग्रेस पार्टी सीधी संख्या ना बताकर ‘राजीव गाँधी रोजगार मित्र योजना’ लाने का वादा कर रही है जिसमें प्रत्येक गाँव में एक रोजगार मित्र नियुक्त होगा जो युवाओं को रोजगार दिलाने की प्रक्रिया में सरकार की मदद करेगा। दूसरी ओर एनडीए की प्रमुख पार्टी भाजपा 19 लाख नौकरियाँ देने का वादा कर रही है, जिसमें एक लाख नौकरी स्वास्थ्य विभाग में, तीन लाख शिक्षा विभाग में, दस लाख-अन्न की सप्लाई चेन में और पाँच लाख नौकरियाँ आईटी क्षेत्र में देने का वादा किया जा रहा है। दिलचस्प ये है कि भाजपा इसमें कहीं भी सरकारी नौकरी शब्द का ज़िक्र नहीं करती है। यही नहीं, भाजपा के ही डिप्टी सीएम सुशील मोदी, ने 24 घंटे पहले ही कहा था कि 10 लाख नौकरियां नहीं दी जा सकती हैं।
इसके अलावा लोजपा ने भी घोषणा की है कि,“बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट” युवा आयोग का गठन किया जाएगा और प्रदेश सरकार एक रोजगार पोर्टल भी बनाएगी।बिहार राजनीतिकी सबसे नई रंगरूट पुष्पम प्रिया चौधरी की पार्टी प्लूरल्स ने भी घोषणा पत्र में ग़रीबी रेखा से नीचे के परिवार की महिला सदस्य को नौकरी देने का वादा किया है।
कृषि और किसान
बदलाव पत्र-2020 को सही मानें तो कृषि और किसानों के लिए महागठबंधन में कांग्रेस पार्टी,’राजीव गांधी कृषि न्याय योजना’ लाने जा रही है जिसके अंतर्गत दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों के खाते में डाइरेक्ट ट्रान्स्फ़र करने का वादा किया जा रहा है और राजद किसानों के लिए फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का वादा कर रही है।भाजपाआत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अत्याधुनिक कृषि अवसंरचना विकसित करने का और धान तथा गेंहू के बाद दलहन की खरीद भी एमएसपी की दरों पर करने का वादा कर रही है और एनडीए की सहयोगी पार्टी जदयू ने हर खेत तक सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाने का वादा किया है। लोजपा ने भी किसानों के लिए बाढ़ और सूखा से निपटने के लिए नदियों को जोड़कर कैनाल/नहर बनाने का आश्वासन दिया है। पुष्पम प्रिया की पार्टी प्लूरल्स ने कृषि को उद्योग का दर्जा देने का वादा किया है।
एक बात दीगर है कि सभी पार्टियों के घोषणापत्र में किसानों को प्राथमिकता देने की कोशिश की गई है – जिसकी एक वजह हालिया समय में लगातार बढ़ता जा रहा किसानों का गुस्सा और आंदोलन है और दूसरी वजह है, बिहार की 80 फीसदी से अधिक आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर वह कृषि से जुड़ी हुई है।
महिलाओं के लिए की गईं घोषणाएं
पिछले कुछ सालों में महिला वोटरों की संख्या में ही वृद्धि नहीं हुई है, उनकी राजनैतिक सक्रियता भी बढ़ी है। महिलाओं के वोटिंग पैटर्न ने केंद्र से लेकर राज्यों तक की सत्ता सुनिश्चित की है। ज़ाहिर है कि घोषणापत्रों में भी महिलाओं को लुभाने की कोशिश कम से कम अब दिखाई देने लगी है।
जदयू, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये महिला उद्यमियों को उद्योग स्थापित करने के लिए लागत का 50%या अधिकतम 5 लाख का अनुदान एवं 50% या अधिकतम 5 लाख का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने की योजना ला रही है। साथ ही उन्होंने अपने घोषणापत्र में इंटर पास अविवाहित महिलाओं को ₹25,000 तथा स्नातक पास अविवाहित महिलाओं को ₹50,000 की मदद राशि देने की बात कही है और साथ ही स्थानीय प्रशासन में महिलाओं की सहभागिता को बढ़ाने का वादा किया है|
भाजपा ने 50,000 करोड़ के माइक्रो फाइनेंस से 1 करोड़ महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की घोषणा की है।चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा ने सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय का निर्माण, मुफ्त बस यात्रा एवं आशा कार्यकत्रियों के लिए कमीशन के बजाय नियमित वेतन लागू करने जैसे वायदे कियें हैं|
पुष्पम् प्रिय चौधरी के नेतृत्व वाली द प्लुरल्स पार्टी ने सार्वजनिक स्थलों पर CCTV कैमरों के व्यवस्था का वादा किया है जो महिला के साथ होने वाले अपराधों और अन्य अपराधों को रोकने हेतु कारगर सिद्ध हो सकते हैं|राजद के नेतृत्व वाली महागठबंधन के साझा घोषणापत्र में महिलाओं से सम्बंधित कोई विशेष घोषणा नहीं की गई है। हालाँकि यह ज़रूर कहा गया है कि जीविका स्वयं सहायता समूहों के कैडर को स्थायी बनाया जाएगा।
स्वास्थ्य से सम्बंधित घोषणाएं
स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को उठाने में दिलचस्प बात ये है कि विपक्ष इसे जहां प्रमुख मुद्दों में से एक बना रहा है, सत्ता पक्ष इसको वैसी प्रमुखता नहीं दे रहा है – जैसी उसे देनी चाहिए। वजह साफ है कि 15 साल से राज्य में सरकार चला रहे नीतीश कुमार और उसमें से 13 साल उसके साथ रही भाजपा, ये मुद्दा उठाएगी तो सवाल उससे ही होंगे।
जदयू ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए काल सेंटर और मोबाईल एप के मदद से डोर स्टेप सेवा व्यवस्था की बात कही है साथ ही साथ टेलीमेडिसीन की माध्यम से स्वास्थ्य केन्द्रों को जोड़ने की बात कही है|पुष्पम् प्रिय चौधरी के नेतृत्व वाली द प्लुरल्स पार्टी ने हेल्थ रिफार्म के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर डाक्टर की उपलब्धता, 24 घंटे एम्बुलेंस की सेवा और मुफ्त दवाओं के वितरण का वादा किया है|भाजपा ने अपने घोषणा पत्र के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक और पैरामेडिकल सहित कुल 1 लाख पदों को सृजित करने की बात की है|राजद के नेतृत्व वाली महागठबंधन के बदलाव पत्र में सभी प्रमंडलों में सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल, सदर अस्पतालों में डायलिसिस केन्द्रों की स्थापना एवं मुफ्त डायलिसिस की सुविधा का वादा किया गया है|लोजपा के घोषणा पत्र में स्वास्थय संबंधी किसी भी घोषणा का अभाव है।
शिक्षा से सम्बंधित घोषणाएं
शिक्षा और ख़ासकर उच्च शिक्षा, बिहार की अहम समस्या रही है। बिहार के सभी राजनैतिक दल, पहली बार वोट डाल रहे वोटर पर निगाह गड़ाए हैं। सत्ता पक्ष के लिए इसमें समस्या ये है कि ये वोटर वह है, जिसने अपने होश-ओ-हवास में एनडीए की सरकार ही देखी है। इसलिए शिक्षा एक अहम मसला हो चुका है।
जदयू ने 2014 की 7 निश्चय-1 के अंतर्गत शिक्षा के लिए किये गए वायदों को ही आगे जारी रखने की बात कही है जिसके अंतर्गत बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, स्वयं सहायता भत्ता योजना, कुशल युवा जैसे कार्यक्रम संचालित होते थे|लोजपा के घोषणापत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग सिटी की स्थापना, छात्रावास एवं पुस्तकालयों की व्यवस्था, अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों के लिए आधुनिक स्तर के छात्रावास प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए कुछ रिजर्व सीटों के व्यवस्था की बात की गई है|पुष्पम् प्रिय चौधरी के नेतृत्व वाली द प्लुरल्स पार्टी के घोषणा पत्र में आठ स्टेट आफ द आर्ट शिक्षा केन्द्रों की घोषणा है जिसके अंतर्गत इंजीनियरिंग, मेडिकल, शोसल स्टडीज, मैनेजमेंट, डिजाईन, स्पोर्ट्स, ड्रामा, एवं मीडिया संस्थानों के स्थापना का वादा है|भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत मेडिकल, इंजीनियरिंग एवं हिंदी भाषा में तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था के साथ-साथ 1 साल के अन्दर सभी प्रकार के विद्यालयों, विश्वविद्यालयों तथा अन्य संस्थानों में ३ लाख शिक्षकों के नियुक्ति की बात की है| राजद के नेतृत्व वाली महागठबंधन के घोषणा पत्र में बजट का १२ प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने का वादा है| महगठबँधन ने प्रत्येक 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की व्यवस्था, विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयो के आधारभूत सरचना का जीर्णोद्धार, नियमित सत्र का सञ्चालन एवं अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यालयों, कस्तूरबा विद्यालयों के जीर्णोद्धार का वायदा भी किया है|
बिहार चुनावों के सभी पार्टियों के घोषणापत्र को देखने से एक बात साफ है, बिहार विधानसभा चुनाव – 2020, देश की राजनीतिक ज़मीन को नया चेहरा देता दिख रहा है। ये पिछले कई साल में पहली बार है, जब असल मुद्दे ही चुनावों में हावी हैं और नीतीश कुमार हाल में ही मंच से अपना आपा खोते दिखाई दिए। ज़ाहिर है कि जनता ही असल विपक्ष है और जब वह चुनावी नैरेटिव सेट करती है तो राजनीति के पास झुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।