अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप के सदस्य व बिहार-झारखंड के प्रभारी राजाराम सिंह ने मोदी सरकार के केंद्रीय कैबिनेट के उस निर्णय को खाद्य असुरक्षा, भुखमरी को बढ़ाने वाला दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय बताया है जिसमें गन्ना के अलावा चावल, गेहूं, मक्का, जौ और ज्वार से इथेनाॅल बनाने को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा कि इसीलिए खेती में कानून बनाकर कॉरपोरेट को लाने की बात की जा रही है। सरकार का निर्णय कि खाद्य पदार्थों से अखाद्य पदार्थों का निर्माण होगा, बिलकुल गलत है। वह भी ऐसे देश में जो ग्लोबल ‘हंगर इंडेक्स’ में बांग्लादेश, पाकिस्तान व नेपाल से भी नीचे है। भूख के भूगोल को और विस्तृत करने वाला और विनाशकारी है। सरकार को मजदूर-किसानों गरीबों की कोई चिंता नहीं है और वह लगातार कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए नित नए निर्णय ले रही है। यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
कैबिनेट के फैसले से बिहार के किसानों को होगा भारी नुकसान: कुणाल
भाकपा-माले बिहार राज्य सचिव कुणाल ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा गन्ना के अलावा चावल, गेहूं, मक्का, जौ और ज्वार से इथेनाॅल के निर्माण के फैसले का विरोध किया है। कुणाल ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा लिए जा रहे काॅरपोरेटपरस्त फैसलों की कड़ी में यह एक और फैसला है।
माले सचिव ने कहा कि प्रचारित किया जा रहा है कि इससे बिहार में गन्ना उद्योग को लाभ मिलेगा, जो पूरी तरह से झूठ है। आखिर खाद्य पदार्थों से सरकार इथेनाॅल का निर्माण क्यों करना चाहती है? इस फैसले से खाद्यान्न का भारी संकट होगा, जो बिहार और पूरे देश की गरीब जनता के लिए एक आपदा से कम नहीं होगा।
माले सचिव ने कहा कि बिहार की नीतीश सरकार उद्योगों के नाम पर कुछ कर तो नहीं सकी, लेकिन खाद्य पदार्थों से इथेनाॅल का निर्माण कर बिहार में औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन की बात कह रही है। यह केवल काॅरपोरेट कंपनियों के हित में लिया गया फैसला है, जिसे अविलंब वापस लिया जाए। बिहार सरकार राज्य में शराब बंदी का दावा करती है, लेकिन दूसरी ओर इथेनाॅल के निर्माण के लिए रास्ते तलाश रही है।
माले राज्य सचिव ने कहा कि हमारी मांग है कि इस फैसले को केंद्रीय कैबिनेट वापस ले। बिहार में कृषि आधारित उद्योगों की आवश्यकता है। आवश्यकता है कि खाद्य पदार्थों का उत्पादन और कैसे बढ़े ताकि भुखमरी के बढ़ते भूगोल पर रोक लगाई जा सके।