डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 33
पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक सांविधानिक स्वरूप देने में डॉ.आंबेडकर का योगदान अब एक स्थापित तथ्य है जिसे शायद ही कोई चुनौती दे सकता है। डॉ.आंबेडकर को मिले इस मुकाम के पीछे एक लंबी जद्दोजहद है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की शुरुआत में उन्हें लेकर कैसी बातें हो रही थीं। हम इस सिलसिले में हम महत्वपूर्ण स्रोतग्रंथ ‘डॉ.अांबेडकर और अछूत आंदोलन ‘ का हिंदी अनुवाद पेश कर रहे हैं। इसमें डॉ.अंबेडकर को लेकर ख़ुफ़िया और अख़बारों की रपटों को सम्मलित किया गया है। मीडिया विजिल के लिए यह महत्वपूर्ण अनुवाद प्रख्यात लेखक और समाजशास्त्री कँवल भारती कर रहे हैं जो इस वेबसाइट के सलाहकार मंडल के सम्मानित सदस्य भी हैं। पहले यह शृंखला मंगलवार को प्रकाशित होती थी लेकिन अब यह बुधवार को पढ़ी जा सकेगी। प्रस्तुत है इस साप्ताहिक शृंखला की तेतीसवीं कड़ी – सम्पादक
204.
दलित वर्गों में नई चेतना
आंबेडकर ने भवन-निर्माण में सहयोग स्वीकार किया
(दि बाम्बे क्राॅनिकल, 28 फरवरी 1939)
पिछले दशक या उससे भी अधिक समय में दलित वर्गों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है, इस बात का उल्लेख इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के नेता डा. बी. आर. आंबेडकर ने रविवार की शाम चेम्बूर में ‘कचरापट्टी’ मजदूरों की सभा में किया, जिसमें उन्हें पार्टी के मुख्यालय भवन के निर्माण के लिए मजदूरों की ओर से 1001 रुपए की थैली भेंट की गई। इस सभा का अध्यक्षता श्री डी. वी. प्रधान ने की थी।
सीधे श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए डा. आंबेडकर ने कहा, ‘आप वे लोग हैं, जिन्हें नियति ने बम्बई के तेरह लाख लोगों की गन्दगी उठाने के लिए निर्धारित किया है। आपकी पूरी जिन्दगी इसी गन्दगी के बीच खर्च होती है।
‘लेकिन यहाॅं उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को यह मालूम होना चाहिए कि कम-से-कम आपके बच्चे इस नारकीय जीवन से मुक्त हो गए हैं, वे आपसे बेहतर शिक्षित हैं, ज्यादा खुश और सुखी हैं तथा सभ्य जीवन जीते हैं। यह नियति आपने ही बनाई है।’
डा. आंबेडकर ने अन्त में उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के भवन-निर्माण में सहयोग दिया और आशा प्रकट की कि अन्य मजदूर वर्ग के केन्द्र भी चेम्बूर के इस उदाहरण का अनुसरण करेंगे और भवन-निर्माण के काम को यथा शीघ्र पूरा करने के लिए पार्टी को सक्षम बनायेंगे।
वक्ताओं में प्रथम डा. आंबेडकर थे। अन्य में जी. एम. जाधव, प्राचार्य डोंडे, बम्बई विधानसभा में नासिक से दलित वर्गों के प्रतिनिधि गायकवाड़, और डा. देवरुखकर थे।
205.
मतदान की विभाजित प्रणाली
डा. आंबेडकर का विरोध
(दि फ्री प्रेस जर्नल, 10 मार्च 1939)
बम्बई, वृहस्पतिवार।
श्रमिक नेता डा. बी. आर. आंबेडकर ने भारत के राज्य सचिव और विपक्षी नेता मेजर एटली को केबल (समुद्री तार) भेजकर प्रस्तावित विभाजित मतदान प्रणाली के प्रति अछूतों का प्रतिरोध व्यक्त किया है। केबल इस तरह है-
भारत के राज्य सचिव
लन्दन।
अछूतों की ओर से मैं पूना समझौते की भावना के विरुद्ध मतदान की विभाजित प्रणाली के प्रस्ताव का जोरदार विरोध करता हूॅं।
आंबेडकर
मेजर एटली, एम. पी.
हाउस आॅफ काॅमन्स
लन्दन।
अछूतों के लिए हानिकारक कौंसिल में प्रस्तावित विभाजित मतदान प्रणाली का विरोध किया जाता है।
आंबेडकर
206.
सुधार समिति में हरिजन प्रतिनिधित्व के लिए
आंबेडकर ने गाॅंधी को तार भेजा
(दि बाम्बे क्राॅनिकल, 14 अप्रैल 1939)
इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के नेता डा. बी. आर. आंबेडकर ने महात्मा गाॅंधी को निम्नलिखित तार भेजा है-
‘मैं जानना चाहूॅंगा कि क्या सुधार समिति में राजकोट के दलित वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला है?’
207.
सीट के लिए एक और दावा
आंबेडकर ने वीरावाला को तार भेजा
(दि बाम्बे क्राॅनिकल, 15 अप्रैल 1939)
मुस्लिम प्रतिनिधि मण्डल ने आज इस बात से इन्कार किया कि बातचीत टूट गई है और कहा कि वे आज रात फिर गाॅंधी जी से मिलेंगे। इस बीच वे बम्बई में दिशा-निर्देश लेने के लिए मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता के साथ बातचीत कर रहे हैं।
सुधार समिति में जिरासियों और भायटों के प्रतिनिधित्व के दावे स्वीकार नहीं किए गए हैं, जो आज रात ठाकुर साहेब में प्रतिनिधित्व मण्डल में इन्तजार कर रहे हैं।
सुधार समिति में सीट के कुछ नए दावेदार राजकोट में दलित वर्गों के सदस्य हैं। इस आशय का एक तार आज डा.आंबेडकर ने दरबार वीरावाला को भेजा है। उन्होंने लिखा है- ‘मुझे आशा है कि आपने जैसा वादा किया था, आप अपनी सुधार समिति में दलित वर्गों के लिए अपने राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं भूलेंगे।’
राजकोट कौंसिल के पहले सदस्य ने इस टेलिग्राम को गाॅंधीजी को सौंपा।
ठाकुर साहेब की ओर से दरबार वीरावाला ने निम्नलिखित टेलिग्राम डा. आंबेडकर को भेजा है-
‘आपका तार महामहिम को भेज दिया है। मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि महामहिम की इच्छा और उत्सुकता के बावजूद, मि. पटेल के द्वारा दलित वर्गों के लिए किसी भी प्रतिनिधित्व की सिफारिश करने की सम्भावना नहीं हैं। अगर आप चाहें, तो महामहिम आपके साथ इस प्रश्न पर चर्चा करना चाहेंगे कि दलित वर्गों की किस तरह सहायता की जा सकती है।’ -ए. पी.
208.
राज अतिथि के रूप में डा. आंबेडकर
(दि बाम्बे क्राॅनिकल, 19 अप्रैल 1939)
(हमारे निजी संवाददाता द्वारा)
राजकोट, 18 अप्रैल
आज सुबह डा. आंबेडकर विमान द्वारा बम्बई से राजकोट पहुॅंचे। हवाई अड्डे पर कुछ जिरासियों ने उनका स्वागत किया। वहाॅं से उन्हें राज्य की कार से राज्य अतिथि गृह ले जाया गया।
ख्वाजी हसन निजामी भी डा. आंबेडकर के साथ पहुॅंचे, जिनका स्वागत आज सुबह महात्मा जी द्वारा आनन्द कुॅंज में किया गया और लगभग एक घण्टे तक उनकी महात्माजी के साथ बातचीत हुई।
कुमारी मृदुला बेन भी आज सुबह बम्बई से विमान द्वारा बापूजी से मिलने आईं। वह आज रात को अहमदाबाद के लिए प्रस्थान करेंगी।
पिछली रात प्रेस को जारी किए गए जिरासियों और गाॅंधी जी के बीच हुआ पत्राचार अभी भी जारी है।
209.
डा. आंबेडकर ठाकुर से मिले
(दि बाम्बे क्राॅनिकल, 19 अप्रैल 1939)
(हमारे निजी संवाददाता द्वारा)
राजकोट, 18 अप्रैल
डा. बी. आर. आंबेडकर आज यहाॅं हरिजन समस्या का अध्ययन करने के लिए पहुॅंचे। वे कल बम्बई वापिस लौट जायेंगे। डाक्टर ने आज राज ठाकोर साहेब से वार्ता की और कल वे गाॅंधीजी से मिलेंगे।
शाम में प्रमुख मुस्लिम नेताओं और भायटों ने उनसे भेंट की तथा इस विषय पर चर्चा की कि सुधार समिति में उनके प्रतिनिधित्व के बारे में गाॅंधी जी के साथ उनकी क्या बातचीत हुई?
डा. आंबेडकर ने भी मि. वीरावाला के साथ गुप्त परामर्श किया।
यह समझा जाता है कि डा. आंबेडकर राजकोट में विभिन्न समुदायों के साथ राजकोट के प्रश्न पर की गई अपनी बातचीत एक टिप्पणी जारी करेंगे।
210.
डा. आंबेडकर का विकल्प
(दि बाम्बे क्राॅनिकल, 20 अप्रैल 1939)
राजकोट, 19 अप्रैल
डा. बी. आर. आंबेडकर ने ‘यूनाइटेड प्रेस’ को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि वे यहाॅं राजकोट दरबार के निमन्त्रण पर नहीं आए हैं, बल्कि स्थानीय दलित वर्गों के निमन्त्रण पर आया हूॅं, जिन्होंने उनसे सुधार सतिमि में उनको शामिल न किए जाने के विवाद में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा, ‘यहाॅं आकर पहला काम मैंने यह किया कि दरबार से यह पता लगाया कि क्या वे समिति में दलित वर्गों के अधिकृत व्यक्ति को प्रतिनिधि के रूप में रखने को तैयार थे?
‘मैं आज सुबह 11.30 बजे गाॅंधीजी से मिला, पर दुर्भाग्य से, मैं सभी विषयों पर उनसे विस्तार से चर्चा नहीं कर सका, क्योंकि अचानक उन्हें बुखार आ गया था। फिर भी मैंने उनके साथ नए संविधान के निर्माण के लिए एक वैकल्पिक प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए एक अधिकृत व्यक्ति-जैसे सर तेजबहादुर सप्रु या सर शिवस्वामी अय्यर या संविधान के किसी अन्य अच्छे ज्ञाता, पर चर्चा की, जिसके समक्ष राज्य के सभी वर्ग अपने मसले रख सके। किन्तु गाॅंधी जी इससे सहमत नहीं हुए, उनका तर्क था कि इस तरह की रिपोर्ट अन्तिम होनी चाहिए।’
डा. आंबेडकर आज शाम रेल से बम्बई रवाना हो गए।- यूनाईटेड प्रेस
पिछली कड़ियाँ–
32.औरंगाबाद अछूत सम्मेलन में पारित हुआ था 14 अप्रैल को ‘अांबेडकर दिवस’ मनाने का प्रस्ताव
31. डॉ.आम्बेडकर ने बंबई में किया स्वामी सहजानंद का सम्मान
30. मैं अखबारों से पूछता हूॅं, तुम्हारे सत्य और सामान्य शिष्टाचार को क्या हो गया -डॉ.आंबेडकर
29. सिद्धांतों पर अडिग रहूँँगा, हम पद नहीं अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं-डॉ.आंबेडकर
28.डॉ.आंबेडकर का ग्रंथ रूढ़िवादी हिंदुओं में सनसनी फैलाएगा- सीआईडी रिपोर्ट
27. ब्राह्मणों तक सीमित नहीं है ब्राह्मणवाद, हालाॅंकि वह इसका जनक है-डॉ.आंबेडकर
26. धर्मांतरण का आंदोलन ख़त्म नहीं होगा- डॉ.आंबेडकर
25. संविधान का पालन न करने पर ही गवर्नर दोषी- डॉ.आंबेडकर
24. ‘500 हरिजनों ने सिख धर्म अपनाया’
23. धर्म बदलने से दलितों को मिली सुविधाएँ ख़त्म नहीं होतीं-डॉ.आंबेडकर
22. डॉ.आंबेडकर ने स्त्रियों से कहा- पहले शर्मनाक पेशा छोड़ो, फिर हमारे साथ आओ !
21. मेरी शिकायत है कि गाँधी तानाशाह क्यों नहीं हैं, भारत को चाहिए कमाल पाशा-डॉ.आंबेडकर
20. डॉ.आंबेडकर ने राजनीति और हिंदू धर्म छोड़ने का मन बनाया !
19. सवर्ण हिंदुओं से चुनाव जीत सकते दलित, तो पूना पैक्ट की ज़रूरत न पड़ती-डॉ.आंबेडकर
18.जोतदार को ज़मीन से बेदख़ल करना अन्याय है- डॉ.आंबेडकर
17. मंदिर प्रवेश छोड़, राजनीति में ऊर्जा लगाएँ दलित -डॉ.आंबेडकर
16. अछूतों से घृणा करने वाले सवर्ण नेताओं पर भरोसा न करें- डॉ.आंबेडकर
15. न्यायपालिका को ‘ब्राह्मण न्यायपालिक’ कहने पर डॉ.आंबेडकर की निंदा !
14. मन्दिर प्रवेश पर्याप्त नहीं, जाति का उन्मूलन ज़रूरी-डॉ.आंबेडकर
13. गाँधी जी से मिलकर आश्चर्य हुआ कि हममें बहुत ज़्यादा समानता है- डॉ.आंबेडकर
12.‘पृथक निर्वाचन मंडल’ पर गाँधीजी का अनशन और डॉ.आंबेडकर के तर्क
11. हम अंतरजातीय भोज नहीं, सरकारी नौकरियाँ चाहते हैं-डॉ.आंबेडकर
10.पृथक निर्वाचन मंडल की माँग पर डॉक्टर अांबेडकर का स्वागत और विरोध!
9. डॉ.आंबेडकर ने मुसलमानों से हाथ मिलाया!
8. जब अछूतों ने कहा- हमें आंबेडकर नहीं, गाँधी पर भरोसा!
7. दलित वर्ग का प्रतिनिधि कौन- गाँधी या अांबेडकर?
6. दलित वर्गों के लिए सांविधानिक संरक्षण ज़रूरी-डॉ.अांबेडकर
5. अंधविश्वासों के ख़िलाफ़ प्रभावी क़ानून ज़रूरी- डॉ.आंबेडकर
4. ईश्वर सवर्ण हिन्दुओं को मेरे दुख को समझने की शक्ति और सद्बुद्धि दे !
3 .डॉ.आंबेडकर ने मनुस्मृति जलाई तो भड़का रूढ़िवादी प्रेस !
2. डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी
1. डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी