पहला पन्ना: आज समझिए इंडियन एक्सप्रेस के पहले पन्ने की दो ख़बरें क्यों महत्वपूर्ण हैं!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि प्रधानमंत्री बांग्लादेश जा रहे हैं, टेलीग्राफ ने बताया मंदिर घूमने; अमित शाह ने कहा घुसपैठिए (देशवासियों का) राशन खा जाते हैं, महुआ मोइत्रा ने कहा बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था भारत से अच्छी है। वहां उन्हें राशन के साथ अधिकार भी मिलते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस और टेलीग्राफ को छोड़कर आज बाकी तीनों अखबारों में कोविड की खबर लीड है। पहले पन्ने पर या उससे पहले के अधपन्ने पर। द टेलीग्राफ ने आज बंगाल चुनाव के मद्देनजर वहां तैयार किए गए एक गीत की खबर को लीड बनाया है। आइए देखें कोविड की क्या खबर है,

  1. हिन्दुस्तान टाइम्स – संक्रमण का दूसरा दौर पहले के मुकाबले तेज है।
  2. टाइम्स ऑफ इंडिया – कोविड के सक्रिय मामले चार लाख से ऊपर हुए, एक लाख की वृद्धि सबसे कम समय में हुई
  3. 23 अक्तूबर के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा वृद्धि (यानी पिछले दौर में जो 23 अक्तूबर को हुआ वह हाल यहां अभी ही है।

ऐसे में 28 मार्च 2020 को को “पीएम केयर्स” का डंका बजा देने वाले प्रधानसेवक के 2000 करोड़ के वेंटीलेटर कहां हैं और पीएम केयर्स की वसूली से किसकी सेवा हुई जानने-बताने वाला कोई अखबार नहीं है। अगर किसी अखबार में जनहित की ऐसी खबरें छपती हों तो मुझे बताइए मैं उसकी खबरें बताउंगा। अभी तो वही बता रहा हूं जो छप रही हैं, या नहीं दिख रही हैं।

आज इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन होने के साथ दो कॉलम का एक और विज्ञापन है। ऐसे में खबरों की जगह बहुत कम है। इन खबरों में एक बड़ी खबर यह बताने वाली है कि प्रधानमंत्री आज बांग्लादेश जाएंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया में अपेक्षाकृत कम विज्ञापन और पहले पन्ने से पहले का अधपन्ना होने के बावजूद यह खबर दोनों पन्नों पर नहीं है। सिर्फ खबर अंदर होने की सूचना है।  इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर इस खबर के साथ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के सलाहकार के हवाले से यह भी बताया है कि भारत सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी है। इतनी कम जगह में आज अखबार की लीड है, आरबीआई ने नए वित्त वर्ष के लिए भविष्यवाणी वही रखी, कहा (कोविड की) रफ्तार का असर विकास पर नहीं पड़ेगा। कहने की जरूरत नहीं है कि सरकारी अनुमान (भविष्यवाणी) की खबर को लीड बनाना प्रचार ही है।

प्रचार भी यह कि, कोरोना के मामले या रफ्तार बढ़ने के बावजूद देश की आर्थिक स्थिति में सुधार की भविष्यवाणी वही रहेगी जो हाल में की गई थी। अगर वाकई यह संभव है तो पिछले साल जो सब हुआ उसका कारण लॉकडाइउन है। इसके बारे में बीबीसी की खबर है कि बगैर किसी तैयारी या सलाह के लागू कर दिया गया था। इस बार की यह भविष्यवाणी कितनी सही है और किस आधार पर है – यह सब छोड़ दिया जाए तो भी यह  “अविश्वसनीय किन्तु सत्य” किस्म की खबर है।  और सत्य हो जाए तो चाहे जितना ढोल बजाया जाता अभी कोविड के मामलों पर बात जरूरी है। क्योंकि उसकी रफ्तार पिछले साल के मुकाबले दूनी है और सरकार की तैयारियां नहीं के बराबर। इसलिए कोविड की खबर नहीं छप रही है और अर्थव्यस्था में सुधार की हवा-हवाई बात को महत्व दिया जा रहा है। आज यह खबर किसी और अखबार में लीड नहीं है। कोविड की खबर एक से ज्यादा अखबारों में लीड है।

प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के संदर्भ में अगर इंडियन एक्सप्रेस ने शेख हसीना के सलाहकार ने जो बताया उसे प्रमुखता से छापा है तो द टेलीग्राफ ने वह बताया है जो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है। टेलीग्राफ में सिंगल कॉलम की इस खबर का शीर्षक है, प्रधानमंत्री के दौरे के मौके पर शाह ने विवादास्पद बया दिया। भाजपा नेता और केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा है कि, “अवैध घुसपैठिए बंगाल के लोगों के अधिकार और राशन ‘खा’  रहे हैं”। अखबार ने लिखा है, वे पड़ोसी देश का नाम लिए बगैर बांग्लादेश से घुसपैठ की बात कर रहे थे ताकि बंगाल में मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर सकें जबकि मोदी की योजना है कि बांग्लादेश दौरे के दौरान वहां के मंदिर जाएं और बंगाल के मतदाताओं को प्रभावित करें। अमित शाह के आरोपों पर तृणमूल सांसद मोहुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है, तथ्य 1. भारत सरकार संसद में घुसपैठियों की संख्या नहीं बता सकती है।  तथ्य 2. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था भारत से बेहतर है – वहां लोगों को राशन और अधिकार दोनों मिलते हैं। ऐसे में आप अखबारों में खबरों की राजनीति समझ सकते हैं।

दिल्ली के अखबारों के लिए आज की दूसरी बड़ी खबर है, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का बयान जो केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली के मामले में उपराज्यपाल के अधिकार बढ़ाए जाने (स्पष्ट करने कहा जा रहा है) से संबंधित हैं। द हिन्दू में मनीष सिसोदिया की फोटो के साथ दो कॉलम की खबर का शीर्षक है, “केजरीवाल की लोकप्रियता से मोदी असुरक्षित हैं”।  सिसोदिया ने कहा, “मुख्य मंत्री के अच्छे काम रोकने के लिए विधेयक लाया गया”। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर तो नहीं ही है पर शिलांग टाइम्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खबर और महाराष्ट्र का रश्मि शुक्ला मामला पहले पन्ने पर है। शीर्षक है, आईपीएस अधिकारी ने (स्वतंत्र) विधायक पर भाजपा के साथ होने के लिए दबाव डाला। कोविड की खबर भले नहीं है, प्रमुख आंकड़े जरूर हैं और विवरण अंदर होने की सूचना भी है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में मनीष सिसोदिया की खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर मुझे नहीं दिखी। पर इसे ढूंढ़ने के चक्कर में दो दिलचस्प खबरें दिखीं। एक का शीर्षक है, असम के अगले मुख्यमंत्री के मामले में निर्णय प्रधानमंत्री और (अमित) शाह करेंगे। किसी और पार्टी का मामला होता तो भाजपा के लोग और यही मीडिया यह शोर मचा रहा होता कि पार्टी अध्यक्ष क्या करेंगे या कांग्रेस मामले में अक्सर कहा जाता है कि सब कुछ पार्टी अध्यक्ष तय करता है। यही नहीं, भाजपा के लोग, मीडिया की सहायता से मुख्यमंत्री (और प्रधानमंत्री) पद का उम्मीदवार भी पूछते हैं। पर वह तभी पूछते हैं जब उनका अपना उम्मीदवार तय होता है। असम में तय नहीं है तो कोई किसी से नहीं पूछ रहा। अखबार वालों को भी चिन्ता नहीं है। टीओआई की दूसरी खबर आगरा की है। इसके अनुसार अगरा का एक युवक सहेली के एसिड हमले से मर गया। अभी तक युवक युवतियों पर एसिड फेंकते थे यह युवती द्वारा युवक पर एसिड फेंके जाने का मामला है। मुझे नहीं पता पहला है कि नहीं पर मैंने पहली बार पढ़ा है।

अगर मेरी याद्दाश्त सही है तो आए दिन होने वाले एसिड हमलों के मद्देनजर कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसिड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। यह प्रतिबंध कुछ दिन तो चला पर अब फिर एसिड आराम से उपलब्ध है। पुराने समय में पत्रकार प्रतिबंधित चीजें खरीदकर खबर छाप देते थे कि प्रतिबंध है फिर भी फलां जगह खुलेआम खरीद बिक्री होती है। अब ऐसा नहीं होता और हो तो शायद पत्रकार पर ही मुकदमा हो जाए। इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर अश्विनी सरीन ने एक जमाने में जीती जागती महिला, कमला को खरीदकर सनसनी फैला दी थी। बाद में उसपर फिल्म भी बनी। मुझे नहीं पता स्थिति कितनी सुधरी है। तमाम गैर कानूनी काम तो होते ही हैं। खबर नहीं छपती है या छपती है तो कार्रवाई रिपोर्टर के खिलाफ होती है। पर ऐसा शायद ही कभी हुआ हो। महिला को खरीद लाने के मामले में भी!


लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।


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