पहला पन्ना: आज बंगाल चुनावों का ‘खेला’ अख़बारों में समझिए!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


इंडियन एक्सप्रेस ने आज ‘मतदान शुरू’ या ‘पहले चरण का मतदान हुआ’ को खेला शुरू लिखा गया है। असली ‘खेल’ की खबर द टेलीग्राफ और दूसरे अखबारों में है। अगर आज द टेलीग्राफ वाली खबर नहीं होती या इंडियन एक्सप्रेस में भी छपी होती तो स्थिति सामान्य रहती और उसे खेला नहीं कहा जाता। इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर यह खबर नहीं है। दूसरे अखबारों में भी नहीं होगी और यही खेल आजकल मीडिया में चल रहा है। जिसे गोदी मीडिया कहा जाता है। अंग्रेजी माध्यम वाले बच्चे इसे मोदी-गोदी भर समझते हैं पर यह मामला उससे बहुत गहरा है। आज इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया को छोड़कर बाकी तीनों अखबारों में पश्चिम बंगाल, असम में कल हुए मतदान की खबर लीड है। बाकी दोनों अखबारों में भी यह खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से है। इसलिए आज इस खबर और प्रस्तुति की चर्चा। वह इसलिए भी कि देश में चार महीने से भी ज्यादा समय से किसानों का आंदोलन चल रहा है।

दूसरी तरफ, गुजरात में किसान नेता को प्रेस कांफ्रेंस से जबरन उठा लिया गया उसकी खबर इन अखबारों में प्रमुखता से नहीं छपी और कल पंजाब से खबर थी कि अबोहर के भाजपा विधायक को शनिवार शाम स्थानीय लोगों ने मारा-पीटा और उनके कपड़े फाड़ दिए। वे मुक्तसर जिले के मलौत में एक प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे थे। भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रमुख ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। यह अलग बाद है कि कोरोना का टीका लगवा चुके राष्ट्रपति अस्पताल में हैं और उनकी बाईपास सर्जरी होनी है। ऐसे में मतदान का प्रतिशत बताने वाली खबर महत्वपूर्ण है या विधायक की पिटाई या किसान नेता को प्रेस कांफ्रेंस से उठा लेने की खबर? या कोविड-19 से बचाव के बहुप्रचारित टीके की पहली खुराक लगवा चुके राष्ट्रपति को बाईपास कराने की जरूरत? आप देखिए आपके अखबार में क्या कैसे छपा है और किसे कितनी प्रमुखता दी गई है और सोचिए कि क्या यह सही है।

इन खबरों के साथ मोदी-हसीना के बीच हुए करार का भी राजनीतिक महत्व है। इससे संबंधित खबर भी आज सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है। प्रधानमंत्री मोदी और प्रचारक मोदी की उपलब्धियों का असर मतदाताओं पर पड़ ही सकता है। लेकिन इस समय सब ठीक है। आज इन खबरों के शीर्षक हैं 1. मोदी, हसीना ने प्रमुख द्विपक्षीय करार पर दस्तखत किए (हिन्दुस्तान टाइम्स) 2. मोदी हसीना ने करार किए, वैक्सीन्स से ट्रेन, टेक्नालॉजी से परमाणु ऊर्जा तक उपशीर्षक है, तीस्ता पर प्रधानमंत्री ने कहा, स्टेकधारकों से वार्ता के बाद करार के लिए प्रतिबद्ध। इसमें फ्लैग शीर्षक भी है, पीएम मोदी मुजीब स्मारक , मटुआ सेंटर गए। (इंडियन एक्सप्रेस) 3. दिल्ली ढाका ने पांच करार किए; हसीना ने तीस्ता करार के लिए दबाव डाला। इसके साथ मोदी के ठाकुरबाड़ी दौरे की फोटो है और इसपर छोटी सी खबर भी। (टाइम्स ऑफ इंडिया) अंदर पांच इस्लामिस्ट प्रदर्शनकारियों के मारे जाने की खबर की सूचना है जो दूसरे अखबारों में नहीं है। प्रधानमंत्री के दौरे का यह विरोध साधारण नहीं है जिसमें पांच लोग मर गए। पर खबर आप ढूंढ़िए। 4. हसीना ने मोदी से कहा, लाखों तीस्ता पर निर्भर हैं उपशीर्षक है, प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान बांग्लादेश ने पानी के बंटवारे से संबंधित करार पूरा करने की जरूरत बताई। 5. द टेलीग्राफ में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। कुल मिलाकर ऐसी व्यवस्था कर ली गई है कि अखबारों में एक तरफ चुनाव की खबर है और उसी पन्ने पर चुनाव प्रचार भी।

यह ठीक है कि बंगाल में भारी मतदान हुआ या 80 प्रतिशत मतदान हुआ यह बड़ी खबर है और जैसा चल रहा था, खेला होबे उसमें इस भारी मतदान को खेला की शुरुआत कहा जा सकता है पर मतदान टीएमसी-बीजेपी का खेला नहीं है जैसा इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है। अखबार का शीर्षक है, “टीएमजी-बीजेपी खेला शुरू, बंगाल में पहले चरण में 80% वोट, असम में 70% प्रतिशत”। मुझे लगता है कि मतदान एक सरकारी काम है, जनता का अधिकार है। वह खेल नहीं हो सकता है। खेलना हमारा अधिकार है पर खेलना अधिकार का उपयोग करना नहीं कहा जाता है। ऐसे में मतदान को खेल शुरू कहना मताधिकार का अपमान है। असल में मत पाने के लिए राजनीतिक दल जो करते हैं वह खेल है और उसकी खबर द टेलीग्राफ ने कायदे से दी है। इंडियन एक्सप्रेस में वह खबर पहले पन्ने पर नहीं है।

द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर लीड के साथ एक खबर है, “जो फिरदौस के लिए ठीक नहीं था वह मोदी के लिए अच्छा है”। बाकी अखबारों में मतदान वाली खबर के शीर्षक पर चर्चा से पहले इस खबर की चर्चा जरूरी है। इस खबर में बताया गया है कि बांग्लादेशी ऐक्टर फिरदौस अहमद 2019 की एक चुनाव रैली में तृणमूल उम्मीदवार के लिए कथित रूप से प्रचार कर रहे थे। तब भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी और बंगाल में ऐक्टिंग का काम करने वाले फिरदौस का भारतीय वीजा रद्द कर दिया गया था। अब 2021 में बंगाल में मतदान के पहले दिन प्रधानमंत्री और भाजपा के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी बांग्लादेश में एक मंदिर में जाते हैं और उसकी तस्वीर खुद ट्वीट करते हैं। इतना ही नहीं, यह भी सुनिश्चित किया गया कि उनके ट्वीटर अकाउंट पर दिया गया विवरण बांग्ला में अनुवाद किया जाए। इस तरह, मतदान वाले दिन टेलीविजन पर मंदिर में मोदी की तस्वीरें दिखाने का पूरा इंतजाम किया गया।

अखबार ने बताया है कि यह मंदिर (ठाकुरबाड़ी / भगवान का घर) जिस समुदाय के संस्थापक का जन्मस्थल है उसके काफी लोग उत्तर 24 परगाना और नाडिया में रहते हैं जहां आगे मतदान होना है। यहां यह बता देना जरूरी है (और यह भी टेलीग्राफ में ही है) कि फिरदौस ने हरिचंद ठाकुर की भूमिका निभाई है और मोदी उन्हीं के जन्म स्थान पर गए थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदर्श चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और आरोप लगाया है कि बांग्लादेश दौरे के दौरान एक वर्ग के लोगों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने एक रैली में पूछा कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए क्यों नहीं नरेन्द्र मोदी का पासपोर्ट और वीजा रद्द कर दिया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि खेल यह है। नरेन्द्र मोदी खेल रहे हैं और ममता बनर्जी मुकाबला कर रही हैं। उसमें मतदान करना कैसे खेल हो सकता है?

खेल (बांग्ला में खेला) सिर्फ खबर नहीं छापने, दबा देने या अंदर कहीं कोने में छाप देने का नहीं है। खेल शीर्षक और सुर्खियों का भी चल रहा है। आइए शीर्षक भी देख लें।

  1. इंडियन एक्सप्रेस

“टीएमजी-बीजेपी खेला शुरू, बंगाल में पहले चरण में 80% वोट, असम में 77% प्रतिशत”

  1. टाइम्स ऑफ इंडिया

पहले चरण के चुनाव शुरू : 80% मतदान बंगाल में, असम में 77% प्रतिशत

( नोट : टीओआई ने इस संबंध में एक और जानकारी दी है। असम का प्रतिशत रात ग्यारह बजे का है जबकि पश्चिम बंगाल का शाम पांच बजे का। अखबार ने बताया है कि 2016 के विधानसभा चुनाव में यह प्रतिशत 85 था जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 84.3 प्रतिशत था। इसी तरह असम में यह 84.1 और 78.1 प्रतिशत था। रात 11 बजे के हिसाब से असम का 77 प्रतिशत तो शायद न बदले लेकिन पश्चिम बंगाल का जरूर बदल सकता है। यह रिपोर्टिंग और संपादन का खेला है।)

  1. हिन्दुस्तान टाइम्स

असम बंगाल चुनाव के पहले चरण में भारी मतदान

इसके साथ उपशीर्षक है, मतदान आमतौर पर शांतिपूर्ण गुजरा, कुछ मामूली टकराव की घटनाएं हुईं, कुछ केंद्रों में ईवीएम ठीक से काम नहीं किया। इसके साथ सिंगल कॉलम की तीन खबरें हैं, 1) कुछ क्षेत्रों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं 2) चुनाव आयोग ने कहा पिछले चुनावों के मुकाबले ईवीएम की गड़बड़ी कम और 3) टीएमसी, बीजेपी ऑडियो क्लिप को लेकर आरोप लगाने में लगे।

(इस खबर के अनुसार और वैसे भी मामला यह है कि एक ऑडियो क्लिप मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा नेता (जो पहले तृणमूल में था) से बात चीत का है। दूसरा भाजपा नेता मुकुल राय और शिशिर बजोरिया के बीच बात चीत का है। मुझे नहीं पता कौन पहले बाजार में आया लेकिन ममता बनर्जी से किसी तृणमूल कार्यकर्ता को (पार्टी छोड़ चुका है इसकी जानकारी होने या न होने के बावजूद) वोट मांगने के लिए फोन किया तो कुछ भी असामान्य नहीं है। बल्कि प्रशंसनीय है। फिर भी इसपर शोर मचा और अगर जवाब में भाजपा का क्लिप आया तो भी तृणमूल की प्रशंसा की जानी चाहिए कि टक्कर तगड़ा है या खेला चोलचे। अगर भाजपा ने जवाब में ममता वाला क्लिब फैलाया तो बेशक बहुत ही फूहड़ जवाब है। पर भाई लोग आधी-अधूरी सूचनाओं से, उसे अपने अनुसार तोड़ मरोड़ कर खेला कर रहे हैं या खेला होबे की उम्मीद में हैं। दिक्कत इससे नहीं है कि खेला हो जाएगा या हो सकता है। दिक्कत अखबारों के खेल करने से है।)

  1. द हिन्दू

पहले चरण के मतदान में बंगाल और असम में भारी मतदान दर्ज हुआ (यहां भी मुख्य रूप से वही सब सूचनाएं और जानकारी हैं जो हिन्दुस्तान टाइम्स में है)। एक जानकारी जिसका उल्लेख मैंने अभी तक नहीं किया है, यहां दिखी। वह यह कि दोनों राज्यों में अभी तक 281.28 करोड़ रुपए जब्त हुए हैं।  यह 2016 के चुनाव के  दौरान कुल जब्त 60.91 करोड़ के मुकाबले अभी ही चार गुना से ज्यादा है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि खेला कहां है और इंडियन एक्सप्रेस कहां बता रहा है। काश एक्सप्रेस में ये विवरण भी शीर्षक की ही तरह प्रमुखता से होते।

  1. द टेलीग्राफ

पहले दिन मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहा, गड़बड़ी की शिकायत पर कुछ जगहों की वोटिंग मशीनें (ईवीएम) बदली गईं (फ्लैग शीर्षक है)। मुख्य शीर्षक है, भाजपा ने ईसी की प्रशंसा की; टीएमसी ने शिकायत (अब आप ऊपर के शीर्षक देखिए और खेल समझिए हालांकि असली खेल दूसरी खबर है जिसके बारे में मैं ऊपर लिख चुका हूं।) दूसरी खबर का शीर्षक है, जो फिरदौस के लिए अच्छा नहीं था वह मोदी के लिए अच्छा है।

कहने की जरूरत नहीं है कि उपरोक्त शीर्षक में कुछ बहुत सामान्य किस्म के हैं तो कुछ कमेंट यानी टिप्पणी करने वाले। पाठक सब समझता है। लेकिन कमेंट गलत या आधा-अधूरा नहीं होना चाहिए। ना ही एकपक्षीय। इसमें यह दलील भी बेमतलब है कि दूसरा पक्ष या बाकी की खबरें अंदर हैं। बहुत सारे लोग अंदर का अखबार नहीं देखते हैं या बाद में देखते हैं। ऐसे लोगों के लिए पहले पन्ने की सुर्खियों का मतलब है और उसमें खूब खेल हो रहा है। मैं उसी को रेखांकित करना चाहता हूं।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।