पहला पन्ना: महाराष्ट्र की ख़बरों में विविधता देखिए, जो इस्तीफ़ा नहीं देते वो इस्तीफ़ा माँग रहे हैं!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


आज महाराष्ट्र के गृहमंत्री के खिलाफ आरोप और उससे संबंधित खबर पांच में से चार अखबारों में पहले पन्ने पर है। पहले सबके डिसप्ले और शीर्षक बता दूं फिर उसपर बात करूंगा।

  1. हिन्दुस्तान टाइम्स

एमवीए (महाराष्ट्र विकास अगाढ़ी) ने अनिल देशमुख का समर्थन किया। तीन कॉलम में टॉप बॉक्स। इसके साथ दो कॉलम में एक और खबर है, हिरन की हत्या सुलझी, सचिन वाजे मुख्य अभियुक्त हैं।

  1. टाइम्स ऑफ इंडिया

हिरन को वाजे के आदेश पर मार डालने के लिए फर्जी मुठभेड़ करने वाला पुलिसिया, बुकी गिरफ्तार, इंट्रो है, एटीएस ने कहा, और भी पुलिस वाले गिरफ्तार किए जाएंगे।

  1. द हिन्दू

अनिल देशमुख के खिलाफ आरोप गंभीर हैं, शरद पवार ने कहा। एनसीपी प्रेसिडेंट ने कहा, मंत्री के मामले में निर्णय मुख्यमंत्री ठाकरे लेंगे।

  1. इंडियन एक्सप्रेस

पवार ने चिट्ठी के असर को किनारे किया: मुख्यमंत्री को निर्णय करने दीजिए, जुलियो रिबेरो से जांच का सुझाव। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर पांच कॉलम की लीड है। इसके साथ छपी एक खबर का शीर्षक है, (रविशंकर) प्रसाद, फडनविस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को निशाना बनाया : वाजे का बचाव क्यों इस्तीफा दीजिए। इसके साथ अखबार ने अपने संपादकीय की भी सूचना दी है, मंत्री को जाना चाहिए।

चारो शीर्षक से साफ है कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठजोड़ की नजर में अनिल देशमुख के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत नहीं है। बेशक यह दूसरी कई चीजों के साथ इस्तीफा मांगने वालों के व्यवहार आदि से भी संबंधित होगा और सारी बातें शीर्षक में नहीं कही जा सकती हैं। फिर भी हिन्दुस्तान टाइम्स ने अगर अनिल देशमुख को समर्थन की बात साफ कही है तो टाइम्स ऑफ इंडिया का जोर वाजे को दोषी ठहराने पर है। हिन्दू कहता है कि शरद पवार ने अनिल देशमुख पर आरोपों को गंभीर कहा लेकिन इंडियन एक्सप्रेस बता रहा है कि शरद पवार ने चिट्ठी के असर को किनारे किया। पहले और चौथे शीर्षक में अंतर स्पष्ट और है पर्याप्त है।  यही नहीं टाइम्स ऑफ इंडिया में आज मुख्य खबर के साथ एक खबर है, एनसीपी ने परमबीर पर हमला किया, देशमुख को नहीं हटाएंगे। इसके साथ ही खबर है, वाजे ने हिरन की हत्या नहीं की होगी पर हत्यारों से कोऑर्डिनेट किया। इन्हीं खबरों के साथ, पहले पन्ने पर ही बताया गया है कि वाजे ने हिरन से बम रखने के लिए कहा था पर उसने मना कर दिया। इसलिए उसकी हत्या के ‘आदेश’ दिए गए।

इन खबरों से लग रहा है कि वाजे को शिवसेना और परमबीर सिंह का आदमी बताया जा रहा है और यह प्रचारित किया जा रहा है कि वह मनमानी करता था किसी को भी उड़ा देना उसके बांए हाथ का खेल था, अपराधी किस्म का आदमी है आदि। मैं नहीं कह रहा कि यह गलत है। मेरा मानना है कि यह सही भी हो तो जांच पूर्ण होने से पहले नहीं छापना चाहिए और अगर मेरी आशंका सही है तो परमबीर सिंह का आरोप इसका जवाब है। वाजे का बचाव है। अखबारों का काम खबर देना है। किसी का पक्ष लेना नहीं और ना ही किसी के हित में किसी की छवि खराब करना है। अभी वाजे और अनिल देशमुख की छवि खराब करने की कोशिशें चल रही हैं। महाराष्ट्र सरकार को इसका मुकाबला करना है, कैसे करती है वही देखना है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर से लग रहा है कि केंद्र सरकार अनिल देशमुख का इस्तीफा चाहती है।

आज महाराष्ट्र के गृहमंत्री के खिलाफ आरोपों और उससे संबंधित खबरों में विविधता है। इस मामले में अपनी राय मैं कल ही लिख चुका हूं। मैंने यह भी लिखा था कि खेल बड़ा है और यह सिर्फ अखबारों की खबरों से नहीं खेला जा सकता है। इसलिए आज इस खबर की चर्चा सिर्फ इसलिए कि किसी भी खबर की प्रस्तुति से संपादकीय पक्षपात, पूर्वग्रहों और और लिखने वाले की मानसिकता का अंदाजा लगता है और वह अक्सर ना तो निष्पक्ष होता है ना स्वतंत्र। आज की खबरों का शीर्षक लगाने वाले को पता है (होना चाहिए) कि भाजपा नेता राजनाथ सिंह 2015 में ही कह चुके हैं, “हमारे यहां इस्तीफे नहीं होते”। फिर भाजपा नेता इस्तीफा क्यों मांग रहे हैं? और वह खबर कैसे है?

आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मदद करने के आरोप में उस समय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की तब की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह विपक्ष के निशाने पर थे। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी अपनी शैक्षिक योग्यता को लेकर दो हलफनामों में अलग जानकारी देकर फंस चुकी हैं। विवादों में फंसे इन मंत्रियों के बारे में सवाल पूछने पर उस समय, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, कोई भी मंत्री इस्तीफा नहीं देगा। उन्होंने कहा कि यह एनडीए की सरकार है, न कि यूपीए की। उन्होंने कहा, ‘नहीं, नहीं… इस पर मंत्रियों के त्यागपत्र नहीं होते हैं भैया। यह यूपीए की नहीं, एनडीए की सरकार है।’ तब पास बैठे रविशंकर प्रसाद ने कहा था, ‘मैं यह जोड़ दूं कि हमारे मंत्री यूपीए सरकार के मंत्रियों जैसे काम नहीं करते।’

अभी इससे ज्यादा विस्तार की जरूरत नहीं है। सिर्फ यह कि मंत्री बनाना प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और वह उसे भी मंत्री बना सकता है जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं हो। ऐसे में नरेन्द्र मोदी द्वारा स्मृति ईरानी को पहली ही बार में शिक्षा मंत्री बना देना और फिर डिग्री के विवाद के वावजूद मंत्री बनाए रखना भाजपा या केंद्र में सत्तारूढ़ दल की राजनीति बताता है। शिवसेना की सरकार अभी भले कांग्रेस के समर्थन से चल रही है लेकिन है वह भाजपा की पुरानी सहयोगी। ऐसे में शिवसेना सरकार के मंत्री पर आरोप लगा है तो मामला पार्टी के साथ सहयोगी दलों के संज्ञान में है और खबर निष्पक्षता से बाकी बातों का ख्याल रखते हुए लिखी जानी चाहिए। शीर्षक भी।

यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि महाराष्ट्र सरकार केंद्र की भाजपा सरकार की पूरी कोशिश और अनिच्छा के बावजूद बनी है। और जिस तरह वह राज्यों की सरकारें गिराती रही है उसमें महाराष्ट्र सरकार गिराने की कोशिश कर रही हो तो कोई बड़ी बात नहीं है। अगर ऐसा है तो शिवसेना या महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया अलग होगी। जहां तक आरोपों के कारण इस्तीफे की बात है, और भी आरोप हैं, और भी चिट्ठियां हैं। अभी मैं उस विस्तार में नहीं जाउंगा सिर्फ यह कहूंगा की आज के शीर्षक देखिए। बेशक यह महाराष्ट्र के गृहमंत्री और उनके साथ सरकार को बदनाम करने की भी कोशिश हो सकती है। अगर वाजे पर आरोप हैं तो एनआईए से जांच करवाने पर भी सवाल है और कहने की जरूरत नहीं है कि वाजे गिरफ्तार नहीं होते तो बाकी बहुत सारी चीजें नहीं होतीं। ऐसे में किसी एक पक्ष का मीडिया ट्रायल या किसी एक खबर के आधार पर निर्णय हमेशा गलत हो सकता है क्योंकि आमतौर पर पाठक वही जानते हैं जो उन्हें बताया जाता है और अखबार (इन दिनों) वही बता रहे हैं जो उन्हें बताने के लिए कहा जाता है।

अखबारों में कल कुम्भ का भरपूर विज्ञापन था आज खबर है कि केंद्र ने उत्तराखंड सरकार से कुम्भ को लेकर जिन्ता जताई (हिन्दुस्तान टाइम्स)। ऐसी ही एक खबर हिन्दू में है, केंद्र ने कुम्भ में कोविड मामले बढ़ने की चेतावनी दी। टाइम्स ऑफ इंडिया में कुंभ की कोरोना की खबर पहले पन्ने पर ऐसी प्रमुखता से नहीं है पर कोरोना की खबर है। इंडियन एक्सप्रेस में आज भी कोरोना की कोई खबर पहले पन्ने पर नहीं है जबकि टेलीग्राफ में सिर्फ नियमित गिनती है।

द टेलीग्राफ ने हंगाल में भाजपा के घोषणा पत्र की खबर को पहले पन्ने पर लीड बनाया है। और बताया है कि सोनार बांग्ला का दावा करने वाली भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र में सीएए लागू करने सीमा पार से लोगों का आना रोकने के लिए बाड़ लगाने और गंगा में आरती  शुरू करने की घोषणा की है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस घर को लीड बनाया है शीर्षक है, बंगाल कैबिनेट की पहली बैठक में सीएए : भाजपा घोषणा पत्र में।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।