पहले पन्ने पर हरिद्वार के महाकुम्भ का विज्ञापन है और हिन्दुस्तान टाइम्स में मुख्यमंत्री का दावा, कि कुम्भ में आस्था कोविड-19 के डर को हरा देगी, फिलहाल, अपराध और जांच की राजनीति समझे से परे है।
वैसे तो आज मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह की चिट्ठी का मामला सबसे गंभीर है लेकिन यह मामला बेहद उलझा हुआ है। 100 करोड़ रुपए हर महीने की वसूली के आरोपों के बीच कौन किसके लिए काम कर रहा है, समझना मुश्किल है। खासकर तब जब बंगाल में प्रधानमंत्री और ममता बनर्जी दोनों एक दूसरे पर तोलेबाजी का आरोप लगा रहे हैं। परमबीर सिंह ने चिट्ठी में जो आरोप लगाए गए हैं और जैसे विवरण हैं उसके आधार पर गृहमंत्री को नैतिक रूप से इस्तीफा दे देना चाहिए था। मांगने की जरूरत होनी ही नहीं चाहिए थी। अन्य आरोपों के अलावा उनपर पुलिस के काम में हस्तक्षेप और पुलिस और कानूनी सलाह के खिलाफ दादरा व नागर हवेली के सांसद की मौत के बाद आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला मुंबई में दर्ज करवाने और एसआईटी बनाकर जांच की घोषणा (विधानसभा में) करने का आरोप है।
आरोप यह भी है कि ऐसा राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया गया। पूर्व पुलिस प्रमुख ने लिखा है कि सच का पता लगाने के लिए सचिन वाजे के कॉल रिकार्ड और फोन डाटा की जांच की जाए। उन्होंने यह भी लिखा है कि सही तस्वीर को रिकार्ड पर लाने के लिए की जा सकने वाली बदले की कार्रवाई से मैं पूरी तरह वाकिफ हूं। इससे पहले गृहमंत्री ने परमबीर सिंह पर आरोप लगाए थे और मुख्यमंत्री को लिखा उनका पत्र इन्हीं आरोपों के जवाब में है। पूर्व पुलिस प्रमुख के ऐसे और लगभग साबित आरोपों के जवाब में महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कोई ठोस दलील नहीं दी है।
इंडियन एक्सप्रेस ने मुख्य खबर के साथ यह भी बताया है कि एनसीपी और कांग्रेस ने इसे भाजपा के इशारे पर साजिश कहा है। शीर्षक है, “महाराष्ट्र सरकार ने बहादुरी से मोर्चा लिया पर देशमुख को बाहर करने के लिए दबाव बन रहा है”। इस खबर में बताया गया है कि पत्र की सत्यता की जांच करवाई जा रही है। मुझे लगता है कि पत्र में जो आरोप हैं वह कोई दूसरा लगा ही नहीं सकता है और पूर्व पुलिस प्रमुख न भी स्वीकार करें कि आरोप उन्होंने लगाए हैं तो भी जांच होनी चाहिए। पत्र में तारीखों घटनाओं के विवरण के साथ बताया गया है कि फलां मीटिंग में ऐसा हुआ, मैंने आपको बताया था आदि। इसके अलावा पुलिस अधिकारियों को गृहमंत्री द्वारा घर बुलाए जाने, कौन से लोग मौजूद थे आदि का विवरण होने के बाद या तो पत्र के तथ्य सही होंगे या गलत। इनकी पुष्टि तमाम तरीकों से बिना किसी जांच के कुछ मिनट में हो सकती है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया रेत में सिर छिपाने जैसी है और देशमुख को बाहर करने की मांग अगर है तो खबर नहीं है क्योंकि सहयोगी संगठनों ने भी ऐसी मांग की है।
इस मामले में एक खबर द हिन्दू ने छापी है। शीर्षक है, “ठाणे के निवासी की मौत की जांच करेगा एनआईए”। यह मामला मुंबई में मुकेश अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन लदी कार मिलने से संबंधित है। आप जानते हैं कि इस मामले में मुंबई सरकार और पुलिस के एक खास अधिकारी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। जांच चल रही है। ठाणे के निवासी की मौत इसी मामले से संबंधित और इस जांच को भी एनआईए से कराने का मतलब है टारगेट सचिन वाजे और उनके जरिए आगे तक। दूसरी ओर, पूर्व पुलिस कमिश्नर के पत्र से लगता है कि वाझे गृहमंत्री के निर्देश पर काम कर रहे हो सकते हैं। ऐसे में गृहमंत्री के खिलाफ जांच (की घोषणा) नहीं होना और वाजे के खिलाफ लगभग दूसरी जांच एनआईए को दे दिए जाने का नतीजा क्या होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि वाजे को गिरफ्तार नहीं किया गया होता तो गृहमंत्री पर आरोप नहीं लगते। देखना है मुंबई सरकार इससे कैसे निपटती है। खेल बड़ा है और यह सिर्फ अखबारों की खबरों से नहीं खेला जा सकता है।
इसलिए, सामान्य खबरों की ही चर्चा करूंगा। इंडियन एक्सप्रेस में आज भी पहले पन्ने पर कोरोना की कोई खबर नहीं है। द हिन्दू में खबर है कि भारत में 40,953 नए मामले सामने आए। केंद्र ने कहा है कि आठ राज्यों में मामले बढ़ रहे हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर राजधानी (दिल्ली) की खबर छापी है और शीर्षक है, “राजधानी में मामले और सकारात्मकता दर बढ़ी”। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी दिल्ली के मामले को पहले पन्ने पर छापा है और बताया है कि एक दिन में आठ सौ से ज्यादा मामले हुए। सकारात्मकता दर दो महीने बाद सबसे ज्यादा है और एक प्रतिशत बढ़ गई। द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर बंगाल चुनाव से संबंधित खबरें हैं फिर भी कोविड के मामले बढ़ने की सूचना अंदर होने की खबर पहले पन्ने पर है।
एक तरफ तो कोरोना का संकट फिर बढ़ रहा है। दूसरी ओर, आज के अखबारो में पहले पन्ने पर – हरिद्वार में महाकुंभ का विज्ञापन है। बात सिर्फ विज्ञापन की नहीं है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर कोरोना की खबर के साथ बताया है कि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के अनुसार कुम्भ में आस्था कोविड-19 के डर को हरा देगी। इस बीच प्रधानमंत्री बंगाल के दैनिक यात्री हो गए लगते हैं और अखबारों ने उन्हें ममता बनर्जी के बराबर कर दिया है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में खबर छापी है दोनों की आधे कॉलम के फोटो के साथ और शीर्षक है, “बंगाल की रैलियों में मोदी और ममता एक दूसरे को ‘तोलाबाज’ कह रहे हैं”। इंडियन एक्सप्रेस में बंगाल चुनाव की खबर का शीर्षक है, भाजपा (उम्मीदवारों) की बंगाल की सूची में 36 पिछले छह महीने में पार्टी से जुड़े हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री की खबर के साथ असम में कांग्रेस के चुनाव प्रचार की खबर छापी है तथा इसे मोदी और ममता के मुकाबले महत्व दिया है।
इन सब खबरों के बीच द हिन्दू की खबर, ग्रेट निकोबार के लिए नीति आयोग के विजन ने आदिवासियों और पारिस्थितिकीय चिन्ताओं को नजरअंदाज किया।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।