पंकज श्रीवास्तव
“अगर हिंदू-राज सचमुच एक वास्तविकता बन जाता है तो इसमें संदेह नहीं कि यह देश के लिए भयानक विपत्ति होगी, क्योंकि यह स्वाधीनता, समता और बंधुत्व के लिए खतरा है। इस दृष्टि से यह लोकतंत्र से मेल नहीं खाता। हिंदू राज को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए। “
(डॉ.अंबेडकर, पाकिस्तान ऑर दि पार्टीशन ऑफ इंडिया, 1946, मुंबई, पृष्ठ 358)
मीडिया जिस तरह शशि थरूर के बयान को लेकर वबाल काट रहा है, वह हैरान करने वाला है!भारत के ‘हिन्दू पाकिस्तान’ बनने के ख़तरे को लेकर बीते कुछ सालों मैं सैकड़ोंं लोगों ने लिखा-पढ़ा है, थरूर ने कोई नई बात नहीं की है!
‘हिंदू पाकिस्तान’ का मतलब बस इतना है कि जिस तरह पाकिस्तान में इस्लाम के नाम पर अल्पसंख्यकों, मानवाधिकारवादियों, तर्कवादियों, आधुनिकतावादयों आदि को देशद्रोही बता कर उनका दमन किया जा रहा है, वैसे ही भारत में हिंदुत्व के नाम पर हो। तो क्या ऐसा हो नहीं रहा है ? गोकशी या कोई अन्य आरोप लगाकर मुसलमानों को पीट-पीट कर मार दिया जाना, हत्यारोपी की मृत्यु हो जाए तो शव पर तिरंगा चढ़ाना, किसी केेंद्रीय मंत्री का हत्यारोपियों को माला पहनाकर अभिनंदन करना और किसी केंद्रीय मंत्री का आए दिन मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की धमकी देना और इस सब पर महाबली प्रधानमंत्री का चुप रहना- क्या यह पहले संभव था ?
पहली बार बीजेपी का अपने दम केंद्र में बहुमत पाना और जेएनयू जैसे विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय को देशद्रोही बताने या मुसलमानों के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे व्यापक घृणा अभियान के बीच सीधा रिश्ता है। क़रपोरेट चालित मीडिया का इस घृणा अभियान का हिस्सा होना भी संयोग नहीं है। यह सब आर.एस एस की रणनीतियों की ही झलक हैं। जिसे शक़ हो वह गोलवलकर की किताब पढ़ सकता है।
वैसे, थरूर की भविष्यवाणी में एक डरे हुए काँग्रेसी का भय बोल रहा है जो वैचारिक मोर्चे पर बेहद कमज़ोर है और हिंदुत्व के आक्रमण के सामने नरम हिंदुत्व की ढाल के नीचे छिपकर बचना चाहता है! जबकि उसके पास स्वतंत्रता आंदोलन से विकसित मूल्यों और संविधान की आत्मा से जुड़कर बाज़ी उलटने का अवसर है! काँग्रेस ने जिस तरह थरूर के बयान से पल्ला झाड़ा है, वह ग़ौर करने वाला है।
‘हिंदू पाकिस्तान’ वही ‘हिंदू राष्ट्र’ है जिसका संकल्प रोज़ सुबह आर. एस.एस की शाखाओं में लिया जाता है! ये शाखाएं संविधान के संकल्पों पर आधारित ‘आधुनिक भारत’ नाम के विचार को फाँसी चढ़ाने के लिए हैं ! डॉक्टर आंबेडकर इसे ठीक ही घोर विपत्ति बता गए हैं!
‘भारत’ के पास इस विपत्ति से जूझने के अलावा कोई रास्ता नहीं है ! और यह सब 2019 को लेकर थरूर टाइप भविष्यवाणी कर देने भर से नहीं होगा। यह किसी एक चुनाव जीतने या हारने का मसला नहीं है। भारत को ‘हिदू पाकिस्तान’ बनाने का अभियान आज़ादी मिलने के साथ ही शुरू हो गया था। यह आरएसएस का मन-वचन और संकल्प है। रोकना है तो मोर्चा तुरंत लगाना होगा। फ़ौरन से पेश्तर..!
लेखक मीडिया विजिल के संस्थापक संपादक हैं।
तस्वीर एनडीटीवी से साभार।