संजय कुमार सिंह
राफेल सौदे से जुड़े मूल मुद्दे पीछे करके एचएएल की हालत, उसका ख्याल रखने जैसी जिम्मेदारी को महत्व देने की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की कोशिश सफल होती दिख रही है। आज के अखबारों से तो यह बिल्कुल स्पष्ट है। कल यानी इतवार को टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर छापी कि एचएएल को जो ऑर्डर देने का दावा किया गया है वह उसे नहीं मिला है। इसपर राहुल गांधी ने सवाल उठाया तो रक्षा मंत्री ने मामले को घुमा दिया और राहुल गांधी से भिड़ गईं। आज के अखबारों में यह पहले पन्ने की खबर है। हिन्दुस्तान टाइम्स का शीर्षक है, “एचएएल को ऑर्डर पर राहुल और निर्मला में आरोप-प्रत्यारोप।” टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह मामला उठाया ही था, इसलिए यह खबर पहले पेज पर तो है ही, शीर्षक में ‘टीओआई रिपोर्ट’ जुड़ गया है। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है लेकिन सरकार और राजनीति की खबरों के पन्ने पर तीन कॉलम में है। शीर्षक को हिन्दी में लिखा जाए तो कुछ इस तरह होगा, “राफेल विवाद : राहुल ने कहा सीतारमण ने संसद में झूठ बोला उन्होंने पलट वार किया।”
कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ ने भी इसे, “राहुल एंड निर्मला ट्रेड फायर” (राहुल और निर्मला ने एक दूसरे पर आग उगले) शीर्षक से छापा है और ट्वीटर पर हुए इस भिड़त पर ट्वीटर की ही प्रतिक्रिया भी दी है। आप जानते हैं कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कांग्रेस की पूर्व सरकार पर एचएएल के लिए घड़ियाली आंसू बहाने और कुछ नहीं करने का आरोप लगाया था तथा दावा किया कि उनकी सरकार ने उसे एक लाख करोड़ रुपए के आॉर्डर दिए हैं। अगले दिन टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के बाद राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री पर संसद में झूठ बोलने का आरोप लगाया। जवाब में सीतारमण ने राहुल गांधी से टाइम्स ऑफ इंडिया की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए कहा और टेलीग्राफ की खबर के अनुसार ट्वीट किया, (अनुवाद मेरा) “हालांकि, जैसा कि लोकसभा रिकार्ड बताता है, सीतारमण ने यह दावा नहीं किया कि ऑर्डर पर दस्तखत हो गए हैं, कहा कि इसपर काम चल रहा है।”
अखबार के अनुसार इस पर एक ट्वीटर उपयोगकर्ता ने लिखा, (अनुवाद मेरा) “यह आपकी दलील है? मतलब आपने किसी आदेश पर दस्तखत नहीं किया लेकिन इसपर काम चल रहा है? उसी तरह जैसे राफेल सौदे पर यूपीए काम कर रहा था ऑफसेट एचएएल के हाथ में था। आपने यह कहते हुए उसे खारिज कर दिया था कि, ‘उनलोगों ने कभी किसी चीज पर दस्तखत नहीं किए।’ इस तरह आप जिसपर काम कर रही हैं वह सही है और दूसरे जिसपर काम कर रहे थे वह?” इस तरह जो चीज हर कोई समझ रहा है, रक्षा मंत्री को ट्वीटर पर ही जवाब मिल गया उसे अखबार ऐसे परोस रहे हैं जैसे कोई समझ नहीं रहा है और रक्षा मंत्री वाकई तीखे पलट वार कर रही हैं। राहुल गांधी रक्षा मंत्री से संसद में गलतबयानी करने के लिए इस्तीफा मांग रहे हैं तो रक्षा मंत्री पूछ रही हैं कि उनपर तथाकथित गलत आरोप लगाने के लिए राहुल गांधी संसद में देश से माफी मांगेगें और इस्तीफा देंगे?”
दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। पहले पन्ने पर यह खबर अंदर होने की सूचना है, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन की फोटो के साथ। अंदर, “देश को गुमराह कर रहे हैं राहुल गांधी : सीतारमण” शीर्षक से छह कॉलम की खबर है। इसमें तीन कॉलम में राहुल का आरोप, जवाब, क्या है मामला – के साथ, “योग्यता सर्टिफिकेट न बांटे राहुल : स्मृति” जैसी खबरें हैं। रक्षा मंत्री और राहुल गांधी के साथ स्मृति ईरानी की फोटो तो है ही, तीन कॉलम में एक खबर है जिसका शीर्षक है, “83 लड़ाकू विमान व 15 हेलीकॉप्टरों के ऑर्डर अंतिम चरण में : एचएएल।”
नवभारत टाइम्स में यह खबर, “अब रक्षा ठेकों पर राहुल बनाम निर्मला” शीर्षक से लीड है। मुख्य शीर्षक से ऊपर और फिर छोटी सी खबर के बीच में राहुल और निर्मला आमने सामने तथा उनके बयान और “क्या है मामला” जैसी चीजें छपीं हैं। जो सभी अखबारों में लगभग एक हैं और कल से ही हर जगह सुनाई – दिखाई पड़ रहे हैं और पढ़े जा रहे हैं। किसी खबर को लीड बनाने के लिए उसकी एक न्यूनतम लंबाई जरूरी होती है। इस खबर को दो कॉलम का लीड बनाने के लिए अखबार ने अमित शाह और प्रधानमंत्री के दो कोट भी बड़े अक्षरों में छापे हैं।
राजस्थान पत्रिका में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है,न ही अंदर के पन्नों पर होने की सूचना है। आरोप-प्रत्यारोप की इस खबर की बजाय अखबार ने पहले पन्ने पर एक छोटी सी खबर छापी है, “रक्षा मंत्री ने नहीं बताई संपत्ति।” इसके मुताबिक, देश के 244 सांसदों में 212 ने ही अपनी संपत्ति का विवरण दिया है। नहीं देने वाले भाजपा के 12 सांसदों में एक निर्मला सीतारमण भी हैं जबकि कांग्रेस के चार सांसदों ने यह विवरण नहीं दिया है। अखबार ने लिखा है कि सूचना के अधिकार के जवाब से यह जानकारी मिली।
अमर उजाला में भी यह खबर पहले पन्ने पर तीन कॉलम में है। शीर्षक है, “राफेल : एचएएल को दिए ठेके पर घमासान।” इसके साथ राहुल और रक्षामंत्री की बातें आधे कॉलम की फोटो के साथ डेढ़-डेढ़ कॉलम में है। वैसे तो यह घमासान एचएएल को दिए ठेके पर नहीं, ठेका देने के दावे पर है लेकिन राफेल विवाद को एचएएल को दिए या देने के ठेके तक आ जाने की बात तो कहता ही है। मुख्य शीर्षक के नीचे अखबार ने लिखा है, “राफेल सौदे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया था कि सरकार ने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को एक लाख रुपए के ठेके देकर मजबूत किया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को उनके दावे पर सवाल उठाया। जवाब में सीतारमण ने ठेकों का ब्यौरा देते हुए राहुल पर तीखा हमला किया।”
हिन्दुस्तान ने इसे भ्रष्टाचार पर घमासान शीर्षक से चार कॉलम में लीड बनाया है। उत्तर प्रदेश में सीबीआई के छापों तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी पूछताछ की चर्चा के साथ मिलाकर छापा है। दो कॉलम की एक का शीर्षक है, “राफेल को लेकर राहुल और सीतारमण आमने-सामने” जबकि दूसरे का शीर्षक है, आक्रामक अखिलेश बोले सीबीआई को जवाब दूंगा। राफेल पर अमर उजाला की खबर से साफ है कि निर्मला सीतारमण ने क्या दावा किया था। राहुल अगर उसके समर्थन में दस्तावेज देने की बात कर रहे हैं तो कुछ गलत नहीं है। लेकिन निर्मला सीतारमण मामले को खत्म करने की बजाय कह रही हैं, यह शर्म की बात है कि कांग्रेस अध्यक्ष मुद्दे को पूरी तरह समझे बिना देश को गुमराह कर रहे हैं और कई दूसरे अखबारों की तरह हिन्दुस्तान ने भी इसे पूरा महत्व दिया है।
आज मैंने जिन अखबारों की चर्चा की उनमें सिर्फ नवोदय टाइम्स ने इस मामले को वैसा ही छापा है जैसा ये है। अखबार ने तीन कॉलम में इस खबर का शीर्षक लगाया है, “दावा साबित करें या इस्तीफा दें रक्षा मंत्री : राहुल गांधी” और “सीतारमण बोलीं – गुमराह कर रहे हैं कांग्रेस अध्यक्ष”। मामला यह है कि सीतारमण ने जो कहा (और अगर आपने वीडियो देखा हो तो मानेंगे कि) उसका मतलब यही था कि उनकी सरकार ने एचएएल का ख्याल रखा है और उसे एक लाख करोड़ रुपए के ऑर्डर दिलाए हैं। इससे नहीं लगता कि ये रूटीन के काम हैं या वैसे ऑर्डर हैं जिनपर काम चल रहा है। इसीलिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने अगले दिन खबर छापी वरना वह खबर ही नहीं थी। राहुल ने उसी खबर के आधार पर सवाल उठाया है। इसलिए आज मुख्य खबर राहुल गांधी का आरोप है। उसपर रक्षा मंत्री का पक्ष लिया जाना या देना पत्रकारिता की जरूरत है और वह बराबर का मामला नहीं है। रक्षा मंत्री को फुटेज तब मिला था जब उन्होंने दावा किया था। नवोदय टाइम्स में राहुल और रक्षामंत्री की फोटो चयन भी खास है और तस्वीर लगाने के लिए लगाया गया जैसा नहीं है।
दैनिक भास्कर ने इस खबर को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से लीड बनाया है जबकि यह मामला वैसा है नहीं और भाजपा में जब इस्तीफे होते नहीं तो राहुल की मांग महत्वपूर्ण नहीं है। उनकी चुनौती जरूर गंभीर है। पर इससे राफेल सौदे से जुड़े मूल विवाद तो पीछे रह ही जा रहे हैं। और रक्षा मंत्री के तेवर से स्पष्ट है कि वे यही चाहती हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )