अख़बारनामा: तीन तलाक़ के नाम पर बेवक़ूफ़ बनाने का खेल !


जो नहीं जानते उन्हें बेवकूफ बनाने का खेल चल रहा है और किसने क्या कहा के नाम पर अखबार भी यही काम कर रहे हैं


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काॅलम Published On :


संजय कुमार सिंह

संख्या बल के दम पर तीन तलाक विधेयक, “मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण बिल, 2018” लोकसभा में पास होने के बावजूद राज्यसभा में पास होने की उम्मीद नहीं है। भाजपा ने इसके बावजूद इसे राज्यसभा में पेश करने का निर्णय किया था और कल मैंने लिखा था कि यह खबर सिर्फ हिन्दुस्तान में लीड थी और यह भी कि ऐसी खबरें अमूमन लीड नहीं बनती हैं। पर पेश करने के निर्णय का मकसद स्पष्ट था और वही हुआ। आज यह खबर सभी अखबारों में पहले पन्ने पर है। प्रमुखता से है और लीड भी बनी है। आज कुछ अखबारों ने यह भी लिखा है कि अब इसे बुधवार को पास कराने की कोशिश की जाएगी। आइए, देखें क्या मामला है और आज अखबारों ने इसे कैसे प्रस्तुत किया है। इसमें कोई शक नहीं है और भाजपा ने इसे छिपाया भी नहीं है कि तीन तलाक कानून मुस्लिम महिलाओं को खुश करने की कोशिश है।

सरकार को उम्मीद है कि इस कानून से मुस्लिम महिलाओं का समर्थन मिलेगा जबकि विपक्षी दल इस कानून और इसकी आवश्यकता के साथ इसके प्रावधानों को लेकर इसका विरोध कर रहे हैं। भाजपा इसे विपक्ष खासकर कांग्रेस की राजनीति करार दे रही है। जो लोग पूरा मामला जानते हैं वो सब कुछ समझते हैं जो नहीं जानते उन्हें बेवकूफ बनाने का खेल चल रहा है और किसने क्या कहा के नाम पर अखबार भी यही काम कर रहे हैं। संख्या बल के हिसाब से इसे राज्यसभा में पास होने की संभावना नहीं थी। फिर भी भाजपा ने इसे पेश करने की कोशिश की और पेश नहीं हुआ तो शहीद बनने की कोशिश भी होनी ही थी। इसलिए कल जो खबर सिर्फ हिन्दुस्तान में लीड थी वह आज ज्यादा अखबारों में लीड है। मुद्दा यही है कि इस विधेयक पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है या उलझा हुआ है पर देखें अखबारों ने इसे कैसे प्रस्तुत किया है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर का फ्लैग शीर्षक है, “विधेयक उच्च सदन में रखा गया”। मुख्य शीर्षक है, “विपक्ष राज्यसभा में एकजुट हुआ तीन तलाक कानून की विधायी जांच की आवश्यकता। असल में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल तीन तलाक विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रहे हैं। और सरकार कह रही है कि कांग्रेस राजनीति कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने खबर का इंट्रो यही बनाया है। एक्सप्रेस की खबर का पहला पैराग्राफ यही है, विधायी जांच के लिए विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की एकीकृत विपक्ष की मांग के कारण तीन तलाक को अपराध बनाने वाला विधेयक राज्यसभा में रुक गया। ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेन्स पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोकसभा में पास विधेयक की आलोचना करते हुए इसे परिवारों को बर्बाद करने वाला कदम कहा है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर लीड है जबकि टाइम्स ऑफ इंडिया में भी यह पहले पन्ने पर है और अन्दर सूचना है। हिन्दुस्तान टाइम्स की मुख्य खबर का शीर्षक तो यही है कि तीन तलाक विधेयक राज्य सभा में रुक गया पर उपशीर्षक में कहा गया है कि सरकार सदन की बाधाओं के कारण विधेयक को पास कराने में नाकाम रही। अखबार ने इसके साथ ‘अलग राय’ शीर्षक के तहत पक्ष विपक्ष के राय भी छापे हैं। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की सहयोगी रही महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि भाजपा तीन तलाक बिल तो संसद में ला रही है लेकिन मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात करने पर वह पीछे हट जाती है। उन्‍होंने कहा कि इस कानून से हमारा पारिवारिक जीवन प्रभावित होगा।

हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर में यह खबर लीड है। शीर्षक है, “विपक्ष सेलेक्ट कमेटी पर अड़ा, पेश नहीं हुआ तीन तलाक बिल”। यहां भी हिन्दुस्तान टाइम्स की तरह कांग्रेस का आरोप और सरकार बोली के तहत दोनों पक्षों की बात रखी गई है। अखबार ने लिखा है कि नियम 125 के तहत 15 दलों ने बिल सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने को कहा। राजस्थान पत्रिका में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है और इसके बदले जो खबरें पहले पन्ने पर रखी गई हैं वो देखने, पढ़ने और जानने लायक है। कहने की जरूरत नहीं है कि दूसरे अखबारों ने तीन तलाक विधेयक की अनिश्चित सी खबर के चक्कर में बहुत सारी खबरें या तो दी नहीं या उन्हें अंदर के पन्नों पर दिया।

नवभारत टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर तीन कॉलम में है। शीर्षक है, तलाक बिल पर नहीं माना विपक्ष तो भी बीजेपी देख रही है फायदा। दैनिक हिन्दुस्तान ने कल छापा था कि संख्या बल पक्ष में नहीं होने के बावजूद सरकार विधेयक को राज्यसभा में पेश करेगी। पर आज यह खबर पहले पेज पर नहीं है। दरअसल अखबार में खबरों के पहले पन्ने पर भी आधे पेज का विज्ञापन है। आज हिन्दुस्तान में खबरों के दो पहले पन्ने हैं और इनमें दूसरे पर यह खबर लीड के साथ है। लीड है, कांग्रेस राफेल पर चर्चा को तैयार।

दैनिक हिन्दुस्तान में यह खबर लीड है। शीर्षक है, राज्यसभा में तत्काल तलाक बिल की विपक्ष ने रोकी राह। उपशीर्षक है, विधेयक सिलेक्ट कमेटी को भेजने के प्रस्ताव पर विपक्ष गोलबंद। अमर उजाला में यह खबरों के दूसरे पहले पन्ने पर लीड है। शीर्षक है, तीन तलाक विधेयक दो दिन और लटका, नहीं हो सकती चर्चा। उपशीर्षक है, विधेयक प्रवर समिति को भेजने पर अड़ा विपक्ष, सरकार ने कहा – हम चर्चा के लिए तैयार। नवोदय टाइम्स ने राज्यसभा में विपक्ष हमलावर शीर्षक से इस खबर को लीड बनाया है। विधेयक को प्रवर समिति में भेजने पर अड़ा, सरकार ने लगाया चर्चा से भागने का आरोप।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )