पहला पन्ना: अख़बारों में पीएम का प्रचार छाया, पर ममता का कहा नहीं छपा!


इंडियन एक्सप्रेस ने अगर पाकिस्तान की पेशकश से जुड़ी खबर को लीड बनाया है तो द टेलीग्राफ के अनुसार प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पुलवामा को याद किया। द टेलीग्राफ की खबर का शीर्षक है, प्रधानमंत्री पुलवामा के भरोसे। अखबार ने लिखा है कि एक तरफ ममता बनर्जी ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम की बात की और इसके 24 घंटे के अंदर प्रधानमंत्री ने ध्रुवीकरण का रास्ता पकड़ लिया। अखबार ने लिखा है, पुरुलिया में मोदी ने एक रैली में कहा बंगाल के लोग नहीं भूले हैं कि  पुलवामा हमले के समय आप किसके साथ थे और इस तरह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले  पुलवामा हमले के समय पर सवाल उठाने के संदर्भ में यह सब कहा।


संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


आज पांचों अखबार की लीड अलग है। एक दूसरे से बिल्कुल स्वतंत्र और जो एक में लीड है वह दूसरे अखबार में संभवतः पहले पन्ने पर है ही नहीं। यह लीड जैसी खबर के लिए तो सही है पर प्रधानमंत्री बंगाल में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, यह दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर जरूरी खबर है। भले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री की यह घोषणा नहीं है कि, “पूरी दिल्ली का टीकाकरण तीन महीने में हो सकता है”। इधर कुछ दिनों से गौर कर रहा हूं और बता भी रहा हूं कि दिल्ली सरकार की खबरें हिन्दुस्तान टाइम्स में तो पहले पन्ने पर होती हैं लेकिन दूसरे अखबारों में दिल्ली सरकार की खबरों को वह महत्व नहीं मिल रहा है जो स्थानी अखबारों में अमूमन मिलना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल चुनाव प्रचार के सिलसिले में बंगाल में थे और आज के अखबारों में पहले पन्ने पर फिर बंगाल छाया हुआ है। हां, इस बार लीड नहीं है। द हिन्दू ने तो सिंगल कॉलम में निपटा दिया है। द हिन्दू में आज लीड खबर है, “सुप्रीम कोर्ट इलक्ट्रल बांड पर सुनवाई करेगा।” हिन्दू में एक और खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से छपी है जो इस लायक है नहीं और दूसरे अखबारों में भी नहीं है। यह हेडलाइन मैनेजमेंट का हिस्सा लगता है। कल यह खबर सोशल मीडिया पर दिखी तभी मैंने नोटिस किया और इंतजार कर रहा था कि अखबारों में कौन इस चालाकी को नहीं पकड़ पाता है। यह खबर हिन्दुस्तान टाइम्स में इसी शीर्षक से है। और गडकरी की दूसरी घोषणा से अलग है।

इससे लगता है अखबार ने भी टोल बूथ हटने की खबर को महत्वपूर्ण मान लिया है। दोनों अखबारों ने इस चालाकी को समझी या नहीं यह तय करना मुश्किल है। लेकिन सिर्फ शीर्षक देखने वाले जरूर भ्रमित हो सकते हैं। द हिन्दू में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की दो कॉलम की फोटो के साथ तीन कॉलम में छपी खबर का शीर्षक है, “नितिन गडकरी ने कहा कि साल भर में सड़कें टॉल बूथ से मुक्त हो जाएंगी”। इस शीर्षक से यह आभास होता है कि साल भर में टॉल बूथ खत्म हो जाएंगे मतलब टॉल नहीं लगेगा। निश्चित रूप से यह बड़ी खबर है। पर इसमें चाल है। खबर यह नहीं है। खबर यह  है कि टॉल मशीन से ऑटोमेटिक काटने की व्यवस्था एक साल में पूरी हो जाएगी। निश्चत रूप से यह टेक्नालॉजी उन्नयन का मामला है और आपको समय बचने के अलावा कोई आर्थिक लाभ नहीं होना है।

इसे बताया ऐसे जा रहा है जैसे सरकार ने कुछ बहुत बड़ा कर दिया हो। कहने की जरूरत नहीं है कि निजी कंपनियां धड़ा-धड़ सड़क बना रही हैं और नए फार्मूले के अनुसार छह लेन की एक किलोमीटर को छह किलोमीटर बताया जा रहा है। ऐसे में अगर टोल नहीं लगेगा तो प्रचारक क्या करेंगे आप समझ सकते हैं। यह मशीन लगने की खबर है और टोल से राहत के रूप में बताई गई होगी। वैसे ही छप गई। कुछ अखबारों में इसी मौके पर दी गई दूसरी सूचना को प्रमुखता दी है और शीर्षक उसी हिसाब से है। हालांकि यह भी कोई ऐसी बड़ी खबर नहीं है। इसके अनुसार 20 साल से पुरानी गाड़ियों को कबाड़ करने का काम 2024 से शुरू होगा।

इंडियन एक्सप्रेस ने इसे बड़ी सरकारी घोषणा की तरह छापा है। शीर्षक है, नई स्क्रैपिंग नीति : वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट जरूरी, मालिकों के लिए प्रोत्साहन। 2024 में मिलने वाला प्रोत्साहन अभी बंगाल चुनाव के काम आ सकता है। हिन्दुस्तान टाइम्स में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संबंधित एक और महत्वपूर्ण खबर प्रमुखता से छपी है। यह देश भर की अदालतों को निर्देश की खबर है कि वे महिलाओं के कपड़े, व्यवहार, पूर्व आचरण, नौतिकता आदि पर टिप्पणी से बचें और यौन अपराध के मामले की सुनवाई के दौरान समझौते का फॉर्मूला न सुझाएं।

रूटीन खबरों के अलावा टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार ब्रेक फेल होने से ट्रेन 20 किलोमीटर पीछे चली गई । इसमें कोई यात्री घायल नहीं हुआ हालांकि पूरी ट्रेन में 43 यात्री ही थे। इतने तो बस में होते हैं पर ट्रेन फिर भी नहीं संभल रही है। इसी तरह हरियाणा में मशहूर, फोगट खानदान की रीतिका ने आत्महत्या कर ली है। आत्महत्या की ऐसी खबरों से पता चल रहा है कि देश में आम आदमी किन मुश्किलों में होगा जब सांसद आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है। अखबार इन सबसे अलग, अपनी दुनिया में हैं। वे यह बताने में लगे हैं कि मुंबई में सचिन वाझे ने कैसे क्या किया जबकि यह सब मीडिया ट्रायल की श्रेणी में आता है। वाझे ने अगर कुछ गलत किया है तो गिरफ्तार किया जा चुका है, कार्रवाई चल रही है रोज का एपिसोड सुनाना अखबारों का काम कभी नहीं था।

आज इंडियन एक्सप्रेस की लीड है, पाकिस्तान सेना के प्रमुख ने भारत से कहा, पुरानी बातें भूल कर आगे बढ़ने का समय है। बेशक, यह खबर के लिहाज से महत्वपूर्ण है और तीन राज्यों में उपचुनाव चल रहे हैं तो इलेक्ट्रल बांड की खबर को छोड़कर इसे छापना संपादकीय विवेक का मामला है। बंगाल चुनाव की खबर है तो प्रधानमंत्री के भाषण के साथ ममता बनर्जी ने जो कहा वह भी लगभग बराबर में है। लेकिन वह नहीं है जो टेलीग्राफ ने छापा है। द टेलीग्राफ की पहले पन्ने की एक खबर का शीर्षक है, “गंवार गुंडों की घुसपैठ : मुख्यमंत्री”। इस खबर के अनुसार ममता बनर्जी ने कहा, “एक-एक कर बाहरी गुंडे यहां आ रहे हैं। ललाट पर टीका लगाए, पान चबाते हुए, जिनके मुंह के दोनों किनारों से लाल पीक बहती रहती है।

इंडियन एक्सप्रेस ने अगर पाकिस्तान की पेशकश से जुड़ी खबर को लीड बनाया है तो द टेलीग्राफ के अनुसार प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पुलवामा को याद किया। द टेलीग्राफ की खबर का शीर्षक है, प्रधानमंत्री पुलवामा के भरोसे। अखबार ने लिखा है कि एक तरफ ममता बनर्जी ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम की बात की और इसके 24 घंटे के अंदर प्रधानमंत्री ने ध्रुवीकरण का रास्ता पकड़ लिया। अखबार ने लिखा है, पुरुलिया में मोदी ने एक रैली में कहा बंगाल के लोग नहीं भूले हैं कि  पुलवामा हमले के समय आप किसके साथ थे और इस तरह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले  पुलवामा हमले के समय पर सवाल उठाने के संदर्भ में यह सब कहा।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।