प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) का मुस्लिम ‘प्रेम’ बिहार के चुनाव में एक बार फिर सामने है. इस प्रेम में अब कोई लुका छिपी नहीं रह गई है. भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ चुनावी गठबंधन के तहत विधानसभा की कुल 243 सीटो में से उसे ‘आवंटित‘ 110 सीटो में से किसी पर मुस्लिम या अल्पसंख्यक प्रत्याशी खडा ही नहीं किया है. बिहार में मुस्लिम आबादी 15 प्रतिशत से अधिक मानी जाती है.
भाजपा का 2015 के पिछले विधान सभा चुनाव मे जेडीयू के साथ गठबंधन नहीं था. जेडीयू ने उस चुनाव में भाजपा के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और कुछ अन्य दलो के साथ महागठबंधन कर लिया था. तब भाजपा ने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में बचे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (अब दिवंगत) की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी ) और कुछ छोटे दलो के लिये 86 सीट छोड़ शेष सभी 157 सीट पर अपने प्रत्याषी खड़े किये थे. इनमें एक मुस्लिम, सबा ज़फर भी थे. हालांकि वह अमौर सीट पर चुनाव हार गये थे.
इस बार भाजपा ने पहले से तय कर रखा था कि जेडीयू जो भी चाहे करे वह खुद अपने कोटे की किसी भी सीट से कोई मुस्लिम प्रत्याशी, दिखाने के लिये भी खड़ा नहीं करेगी। ये दीगर बात है कि भाजपा के प्रांतीय नेता एवम् उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ही नहीं खुद प्रधानमंत्री मोदी भी देश विदेश में दिखाने के लिये ही सही ईद के दौरान मुस्लिम समुदाय के शाम के रोजा अफ्तार के सार्वजनिक जलसा मे भाग लेते है या फिर मस्जिद के भीतर तक जाते हैं.
जेडीयू के उम्मीदवारों की सूची में करीब 10 प्रतिशत मुस्लिम है. एनडीए में सीटों के बंटवारे में जेडीयू को 122 सीटें मिली. इनमे से उसने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवामी पार्टी (हम ) पार्टी को सात सीटें दी हैं. जेडीयू ने जिन 115 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की उनमें 11 मुस्लिम हैं. 2015 के चुनाव में जेडीयू के पांच मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. जेडीयू ने उनमें से चार को इस बार भी टिकट दिया है. वे हैं : खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद (सिकटा), शरफुद्दीन (शिवहर), नौशाद आलम (ठाकुरगंज) और मुजाहिद आलम (कोचाधामन). जेडीयू से 2005 में विजयी पांचवें मुस्लिम उम्मीदवार जोकीहाट से सरफराज आलम थे. उन्होने 2018 में जेडीयू से इस्तीफा दे दिया था. वह अररिया लोकसभा सीट पर उपचुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में जीते थे.
इस बार के चुनाव में जोकीहाट सीट भाजपा को आवंटित हुई है. जेडीयू ने पास की अररिया सीट पर शगुफ्ता आजिम को टिकट दिया है. इस सीट पर 2015 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी. इसके अलावा जेडीयू ने राजद नेता इलियास हुसैन की पुत्री आसमा परवीन को महुआ सीट से टिकट दिया है. महुआ सीट से लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव वर्तमान विधायक हैं. हुसैन 2015 में देहरी सीट पर राजद के टिकट पर जीते थे. लेकिन तारकोल घोटाले में दोषी ठहराये जाने के बाद उन्हें सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था. पिछले वर्ष हुए उपचुनाव में उनके पुत्र फीरोज इस सीट पर राजद के टिकट पर चुनाव लडे पर हार गये. जेडीयू ने डुमरांव से पार्टी के बाहुबली वर्तमान विधायक ददन पहलवान की जगह अंजुम आरा को टिकट दिया है जो पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता हैं.
जेडीयू ने राजद से पार्टी में आए फराज फातमी को भी टिकट दिया है जो अभी केवटी से विधायक हैं. फातमी को दरभंगा ग्रामीण से टिकट दिया गया है. फराज फातमी के पिता एवम पूर्व केंद्रीय मंत्री , एमएए फातमी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजद से इस्तीफा देकर जेडीयू में शामिल हो गए थे.
महगठबंधन के दलो के मुस्लिम प्रत्याशियो की चर्चा हम अगले अंको में करेंगे. फिलहाल ये इंगित करना जरुरी है कि 2015 के पिछले चुनाव में कुल 24 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीते थे। इनमें से 13 राजद , 5 जेडीयू और 6 विधायक कांग्रेस के हैं.
एक बात साफ है कि भाजपा ने इस बार किसी भी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी न बना कर फिर साबित करने की कोशिश की है वह सभी राजनीतिक दलो से बिकुल भिन्न है. मुस्लिम युवा के हिंदू युवती से विवाह करने को ‘लव जिहाद‘ बता उसके खिलाफ घृणा-अभियान चलाने वाली भाजपा नही चाहती कि उस पर चुनाव में मुस्लिम तुष्टीकरण करने का कोई ‘कलंक’ लगे. ये दीगर बात है कि उसके उत्तर प्रदेश के नेता मुख्तार अब्बास नक़्वी ने ही नही बिहार के ही नेता सैय्यद शाहनवाज हुसैन ने भी हिंदू से प्रेम विवाह किया.
सीपी नाम से चर्चित लेखक चंद्रप्रकाश झा ,युनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से रिटायर होने के बाद तीन बरस से अपने गांव में खेतीबाड़ी करने और स्कूल चलाने के साथ ही स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन भी कर रहे हैं. उन्होने भारत की आज़ादी, चुनाव , अर्थनीति, यूएनआई का इतिहास आदि विषय पर कई ई-किताबे लिखी हैं. वह मीडिया विजिल के अलहदा चुनाव चर्चा के स्तम्भकार हैं. वह क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा मीडिया पुरस्कार की संस्थापक कम्पनी पीपुल्स मिशन के अवैतनिक प्रबंध निदेशक भी हैं, जिसकी कोरोना- कोविड 19 पर अंग्रेजी–हिंदी में पांच किताबो का सेट शीघ्र प्रकाश्य है.