जनता दल युनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने 16 नवम्बर को करीब साढ़े चार बजे सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन कर भारत में सर्वाधिक बार इस पद पर विराजने का अपना ही रिकार्ड तोड डाला.
उन्होने सर्वाधिक पाँच बार मुख्यमंत्री बनने का भारत में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के संस्थापकों में शामिल ज्योति बसु के रिकार्ड की बराबरी 2015 में ही यूपीए महागठबंधन की साझा सरकार का मुख्यमंत्री बन कर ली थी. पाँच बार मुख्यमंत्री बनने वालो में सिक्किम के पवन चामलिंग और गोआ के प्रताप सिह राणे भी हैं.
नीतीश कुमार ने 2015 में बनी अपनी ही महागठबंधन सरकार को बरस भर के भीतर गिराने के बाद भाजपा से मिल कर नई सरकार बनाई. तब वह छठी बार मुख्यमंत्री बने, जो नया रिकार्ड था. उन्होने अपना ही वो रिकार्ड भी सोमवार को पटना में बिहार राजभवन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवम भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडनवीस आदि की उपस्थिति मे मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ ले कर तोड दी.
राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हे और उनके मंत्रिमंडल के 14 सदस्यो को शपथ दिलाई. इनमें भाजपा ‘कोटा‘ से पहले के एक उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की जगह दो उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (कटिहार से चौथी बार निर्वाचित विधायक) और रेणु देवी शामिल हैं. बिहार में पहली बार दो उपमुख्यमंत्री बनाये गये हैं जिसके औचित्य का प्रश्न कमोबेश अनुत्तरित है.
मंत्रियो में सात भाजपा के, पांच जदयू के और एक-एक नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में शामिल मल्लाह समुदाय के मुकेश सह्नी की विकासशील इंसान पार्टी ( वीआईपी ) और पूर्व मुख्य्मंत्री जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान अवामी मोर्चा ( हम ) के हैं. सबसे ज्यादा 5 मंत्री मिथिला के और दो मगध क्षेत्र के हैं. एक एक मंत्री चम्पारण, सीमांचल, शाहाबाद, तिरहुत, अंग और सारण क्षेत्र के हैं. दो महिला मंत्री हैं.
प्रशासनिक नियम के अनुसार बिहार विधान सभा में कुल 241 सदस्य होने के मद्देनज़र मंत्रिमंडल में अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं. भाजपा के एक बडे नेता ने इस स्तम्भ्कार को फोन पर बताया कि एनडीए में शामिल दलो के लिये हर सात विधायक पर एक-एक मंत्री बनाने का कोटा तय किया गया है. जाहिर है मंत्रिमंडल का बाद में विस्तार किया जायेगा.
कैबिनेट बैठक में राज्यपाल से राज्य की नई 17 वी विधान सभा का पाँच दिन का पहला सत्र 23 नवम्बर से बुलाने की अनुशंसा की गई. इस सत्र में सभी नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. उन्हे ये शपथ प्रोटेम स्पीकर दिलाएंगे जिसके लिये पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को नियुक्त किया गया है.
नीतीश कुमार की इस नई एनडीए सरकार की मंगलवार को प्रथम कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हो गया. मुख्यमंत्री ने अहम गृह विभाग खुद अपने पास रखा है, तारकिशोर प्रसाद को वित्त, वाणिज्य, पर्यावरण और वे सभी विभाग भी मिले हैं जिनका कार्यभार पहले सुशील कुमार मोदी के पास था.
उपमुख्यमंत्री रेणु देवी को कोई बडा विभाग देने के बजाय सिर्फ महिला कल्याण सौप दिया गया है. विभागो का बँटवारा निम्नवत है :
नीतीश कुमार – गृह
रेणु देवी – महिला कल्याण
मंगल पांडेय – स्वास्थ्य और पथ निर्माण
मेवालाल चौधरी – शिक्षा
अशोक चौधरी – भवन निर्माण, साइंस एंड टेक्नोलॉजी और अल्पसंख्यक कल्याण
विजय चौधरी- ग्रामीण विकास और ग्रामीण कार्य विभाग
संतोष सुमन- लघु जल संसाधन
शीला कुमारी- परिवहन
विजेंद्र यादव- ऊर्जा, निबंधन व उत्पाद
मुकेश साहनी- मत्स्य पालन और पशुपालन
जीवेश कुमार- पर्यटन, श्रम संसाधन, खनन
बहरहाल , नीतीश कुमार ने भारत के सियासी इतिहास में मुख्यमंत्रियो की सूची में अपना नाम अव्वल रखने का इंतजाम कर ही लिया. वे कितनी बार किन-किन के समर्थन से मुख्यमंत्री बने इस बारे में हमें ब्योरा देते वक़्त अज्ञेय की एक काव्य कृति का शीर्षक: ‘कितनी नावो में कितनी बार’ की याद आ गई .
नीतीश कुमार पहली बार 1985 में विधायक निर्वाचित हुए थे. उसके 15 बरस बाद वे पहली बार 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने. लेकिन उनकी पहली सरकार विधान सभा में बहुमत नहीं जुटा सकने के कारण सात दिन में ही गिर गई. वे दूसरी बार मुख्यमंत्री 24 नवम्बर 2005 को बने जब उस बार के बिहार चुनाव में उनकी पार्टी और भाजपा के एनडीए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिल गया.
वे 2010 के बिहार चुनाव में एनडीए की जबर्दस्त जीत के बाद 26 नवम्बर 2010 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस मुख्यमंत्रित्व काल में ही उनकी पार्टी भाजपा के विरोध की सियासत में एनडीए से अलग हो गई. वे भाजपा से अलग होकर भी विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत अन्य दलो के सहयोग से साबित करने में सफल रहे.
नीतीश कुमार ने 22 फरवरी 2015 को महागठबंधन की सरकार बना कर मुख्य्मंत्री पद की चौथी बार शपथ ली. तब जदयू से ज्यादा विधायक राजद के जीते थे. लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री पद के लिये नीतीश कुमार को ही आगे बढाया. उन्होने बाद में महागठबंधन की सरकार गिराने के लिये मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. मुख्यमंत्री के इस्तीफा से सरकार स्वत: गिर जाती है.
लेकिन नीतीश कुमार 20 नवम्बर 2015 को भाजपा के साथ मिल कर बनाई नई सरकार के फिर मुख्यमंत्री बन ही गये. इस बार उन्होने ज्योति बसु के रिकार्ड की बराबरी कर ली . उन्होने 27 जुलाई 2017 को एनडीए के नये नेता के रूप में नई सरकार बनाई. वे रिकार्ड तोड छठी बार मुख्यमंत्री बन गये. नीतीश कुमार जब अपनी ही सरकार गिरा सकते हैं तो अपना ही रिकार्ड क्योx नहीं तोड सकते हैं ? सो उन्होने 16 नवम्बर 2020 को सातवी बार मुख्यमंत्री बन अपना ही वो रिकार्ड भी तोड डाला.
बहरहाल , देखना है कि नीतीश कुमार बिहार मैं अपनी सातवी सरकार का विधान सभा में बहुमत कितनी आसानी से साबित कर पाते हैं. देखना तो यह भी है कि भाजपा के रहमोकरम पर ही टिकी ये सातवीं नीतीश कुमार सरकार कब तक और कैसे टिकी रहती है.