दिल्ली में किसानों की चौथी दस्तक, माँगें अभी पहले पन्ने पर नहीं पहुँचीं

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संजय कुमार सिंह


दिल्ली में आज किसानों की रैली है और देश भर के किसान दिल्ली पहुंच गए हैं। आज संसद मार्च है। उनकी मांग है कि संसद का एक विशेष सत्र बुलाकर उनका मांग पूरी की जाए। इसमें फसल का वाजिब मूल्य, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार लागत का डेढ़ गुना करना, कर्जे माफ करना और फसल बीमा योजना से लाभ की बजाय ठगी होने की शिकायत मुख्य है। एक साल में यह दिल्ली में किसानों की चौथी दस्तक है। वे मोदी सरकार के आश्वासनों और घोषणाओं के कारण उम्मीद में थे और मांगे पूरी न होने के कारण अब परेशान लग रहे हैं। लेकिन मीडिया में उनकी मांग ठीक से नहीं आ रही है। इसलिए उनलोगों ने एक पर्चा भी बांटा है। भिन्न किसान संगठनों की यह साझी रैली है और इसमें लाल, पीला, हरा सब रंग प्रमुखता से दिख रहा है। पर खबर अभी पहले पन्ने पर नहीं पहुंची है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। लेकिन यह मांगों की नहीं किसानों के मार्च की खबर है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को पहले पेज पर आठ कॉलम में बॉटम बनाया है। शीर्षक है, “किसानों ने आत्महत्या की, बेटियां चाहती हैं की उनकी आवाज सुनी जाए”। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। द टेलीग्राफ ने पहले पेज पर रायटर द्वारा जारी छह लोगों की फोटो छापी है और बताया है कि देश भर के किसान नई दिल्ली में हैं और दो दिन के विरोध कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे है। इन लोंगों ने उन छह लोगों की तस्वीर ले रखी है जो भारी कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें चार मौतें नोटबंदी से पहले की हैं पर नोटबंदी का नुकसान यह हुआ कि खेती का काम थम सा गया और पैदावार की कीमतें कम हो गईं। आइए देखें, हिन्दी अखबारों में यह खबर कैसे छपी है।

दैनिक भास्कर में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। दिल्ली की खबरों के पन्ने, दिल्ली फ्रंट पेज पर यह खबर फोटो के साथ आठ कॉलम में टॉप पर है। एक फोटो लाल झंडे और लाल टी शर्ट वाले किसानों की है और दूसरी पीला झंडा लिए किसानों की रैली के कारण ट्रैफिक जाम की। आठ कॉलम का शीर्षक है, किसानों ने निकाला मार्च, आज रामलीला मैदान से संसद करेंगे कूच, संभलकर निकलें। खबर का इंट्रो है, आयोजकों का दावा है कि संसद कूच में करीब एक लाख किसान हिस्सा लेंगे। इसके साथ किसानों की मांग और ट्रैफिक पुलिस की सलाह – दोनों प्रमुखता से छपी है।

राजस्थान पत्रिका में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। आखिरी पेज पर यह खबर, “सरकार को जगाने पहुंचे अन्नदाता” शीर्षक से पांच कॉलम में है। इसके साथ तीन कॉलम में हरे कपड़े वाले किसानों की फोटो है जिसका कैप्शन है, तमिलनाडु के किसान अपने साथ खोपड़ी लेकर पहुंचे। दिल्ली आते ही उन्होंने स्टेशन पर रेल रोक दी। इस खबर का फ्लैग शीर्षक है,”दिल्ली में महासम्मेलन : मांग पूरी नहीं होने पर नग्न प्रदर्शन की धमकी, देवगौड़ा मिलने पहुंचे”। इसके साथ सिंगल कॉलम की खबर है, कोलकाता में भी सड़कों पर उतरे। मुख्य खबर के साथ चार कॉलम में एक और खबर है, “रफाल से बड़ा है प्रधानमंत्री फसल योजना घोटाला”। इस खबर के साथ पत्रकार और कृषि के जानकार पी साईनाथ का कोट है, इसमें कुछ नहीं मिलेगा। उनका कहना है कि रफाल सौदे में घोटाला हो तो भी आखिर में लड़ाकू विमान तो मिलेंगे पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को कुछ भी नहीं मिल रहा है।

नवभारत टाइम्स में पहले पन्ने पर लाल झंडे लिए किसानों के मार्च की फोटो टॉप पर है। फोटो के ऊपर शीर्षक है, “रामलीला मैदान आ पहुंचे हजारों किसान, आज संसद तक मार्च से जाम के आसार”। फोटो के नीचे तीन हिस्से में तीन बातें बताई गई हैं। किसान मार्च क्या है, उनकी क्या मांगें हैं और आज क्या करेंगे। तीसरे शीर्षक के तहत बताया गया है कि एक लाख किसान रामलीला मैदान से संसद तक मार्च करेंगे। कई इलाकों में ट्रैफिक जाम लगने के आसार हैं। अंदर पेज चार पर भी एक खबर है जिसका शीर्षक है, “रामलीला मैदान में हजारों किसान, आज संसद तक जाने की तैयारी”। उपशीर्षक है, “पर्चे बांटकर लोगों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगी, आज लग सकता है जाम”।

अमर उजाला में पहले पेज पर विज्ञापन है। खबरों के पहले पेज पर भी भरपूर विज्ञापन है और पहले पेज पर यह सूचना भर है कि खबर पेज 10 पर है। यहां आठ कॉलम में मार्च की फोटो है और पांच अन्य तस्वीरों के साथ लगभग आधे पन्ने में खबरें है। इनमें एक तस्वीर मार्च के कारण ट्रैफिक जाम की है। इस फोटो का कैप्शन है, “किसानों के मार्च निकालने से दिल्ली की यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई”। अखबार की मुख्य खबर का शीर्षक है, “सड़क पर किसान, भरी हक की हुंकार”। उपशीर्षक है, “देश भर से पहुंचे हजारों किसान, रामलीला मैदान में डाला डेरा, कई जगह यातायात व्यवस्था प्रभावित”।

नवोदय टाइम्स के पहले पेज पर आधे से ज्यादा विज्ञापन है। किसानों की कोई खबर पहले पन्ने पर नहीं है ना अंदर खबर होने की कोई सूचना। नवोदय टाइम्स में शहर के पन्नों पर दो कॉलम में एक खबर है, आज किसान रैली संभलकर निकलें। इसके साथ एक किसान की सिंगल कॉलम की फोटो है जिसने ‘अन्नदाता’ की तख्ती गले से लटका रखी है। पेज 3 पर इस खबर के साथ बताया गया है, संबंधित खबरें पेज 4 पर। अखबार ने दिल्ली की खबरों के इस पन्ने पर आधे से ज्यादा जगह किसानों को दी है। मुख्य शीर्षक है, राम लीला मैदान में देश भर के किसान। उपशीर्षक है, कर्ज माफी और कृषि सुविधाएं देने की मांग पर की रैली।

दैनिक जागरण ने पहले पन्ने पर दो कॉलम की फोटो के साथ दो कॉलम में खबर छापी है। शीर्षक है, दिल्ली में जुटे देश भर के किसान, आज संसद मार्च। हरी लुंगी और हरे गमछे वाले किसानों की फोटो का कैप्शन है, राम लीला मैदान में आत्महत्या करने वाले किसानों के कंकाल (नरमुंड लिखना चाहिए था) के साथ बैठे किसान। पेज छह पर किसानों के दिल्ली कूच से लगा जाम शीर्षक खबर होने की सूचना है। यह खबर तीन कॉलम में दो कॉलम की फोटो के साथ है। फोटो कैप्शन है – किसानों के मार्च के कारण जाम में फंसे वाहन। हालांकि, इसमें किसानों का कोई मार्च नहीं दिख रहा है और यह दिल्ली के जाम की आम दिनों जैसी फोटो ही लग रही है। इसके साथ एक सिंगल कॉलम की खबर भी है। इसका शीर्षक है, रामलीला मैदान में किसान की एम्स के डॉक्टरों ने जान बचाई।

दैनिक हिन्दुस्तान ने ही किसानों के दिल्ली पहुंचने की खबर को पहले पेज पर पांच कॉलम में टॉप पर कायदे से छापा है। अंदर भी एक पूरे पन्ने पर किसानों की खबर है। हालांकि, इनमें एक खबर ट्रैफिक जाम की भी है। शीर्षक है, चार कोनों से निकले मार्च ने दिल्ली की रफ्तार रोकी। पहले पन्ने की खबर के साथ तीन कॉलम में एक फोटो है जिसका कैप्शन है, नई दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाले किसानों के प्रदर्शन के लिए गुरुवार को देश भर से महिलाएं भी पहुंचीं, जिनके परिजनों ने आत्महत्या कर ली थी। ये महिलाएं अपने गले में मृत घरवालों की तस्वीर लटकाए हुए दिखीं। अखबार ने खबर का शीर्षक दिया है, “विरोध : दिल्ली पहुंचे देश भर के किसान, संसद कूच आज”। इस खबर के साथ प्रमुख मांगें और संसद नहीं जाने देने पर नग्न प्रदर्शन करने की चेतावनी भी है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं..