संजय कुमार सिंह
सीबीआई का मामला दिलचस्प होता जा रहा है। दो बड़े अधिकारियों की लड़ाई के बहाने उसके चौंकाने वाले कारनामे बाहर आ रहे हैं और इसका असर सीबीआई के साथ-साथ भारत की साख पर भी पड़ेगा। यही नहीं, सीबीआई सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन है तो आरोपों के छींटे वहां तक भी जाएंगे ही। द टेलीग्राफ का आज का शीर्षक ही है, “श्रीमान स्वच्छ की नाक के नीचे गंदे खेल।” सीबीआई में यह गंदा खेल लंबे समय से चल रहा है और कहा तो यही जाता रहा है कि प्रधानमंत्री के पसंदीदा अधिकारियों की तैनाती और उनके आपसी झगड़े का कारण यह सब हो रहा है। अब एक के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है, एक दूसरे अधिकारी को गिरफ्तार किया जा रहा है, कल नए आरोप जोड़े गए जो गुंड़ों के खिलाफ लगाए जाते हैं और इसका असर यह भी हो सकता है कि विजय माल्या लाभ उठा ले जाएं और भारत वापस भेजे जाने से बच जाएं या फिलहाल भारत वापस भेजना टल जाए।
मुमकिन है यह सब सुनियोजित हो – लेकिन इतनी महंगी कीमत पर!!
जो मामले सामने आ रहे हैं उससे लगता है कि जांच कराने वालों को जांच के तथ्य मालूम हैं और इसीलिए इसकी जरूरत नहीं महसूस की जा रही है। दूसरी ओर, अभी तक तो यही लग रहा है कि नंबर टू के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। इससे भले ही नंबर वन के खिलाफ नंबर टू के आरोप अनसुने रह जाएं पर नंबर टू को भी नहीं छोड़ने की छवि तो बनाई जा सकती है। खासकर, मतदान से पहले। दैनिक जागरण की खबर ऐसी ही है। राजनीति में कुछ भी हो सकता है। आइए देखें अखबारों में यह मामला कहां तक पहुंचा है।
नवभारत टाइम्स में यह खबर पहले पेज पर है, अस्थाना को कोर्ट से राहत, लेकिन छिन रहा है काम। अखबार ने अस्थाना के हाईप्रोफाइल मामलों की सूची भी इस खबर के साथ छापी है और इसी के नीचे एक और बॉक्स का शीर्षक है, सीबीआई ने कहा, सीबीआई में वसूली का धंधा। दैनिक हिन्दुस्तान ने भी इस खबर को प्रमुखता से छापा है। शीर्षक है, हैरतअंगेज : सीबीआई बोली, जांच के नाम पर हो रही थी उगाही। नवोदय टाइम्स ने इसे लीड बनाया है। शीर्षक है, अस्थाना गिरफ्तारी से बचे एफआईआर, जांच पर रोक। दैनिक भास्कर में यह खबर पहले पेज पर तो नहीं है। दैनिक जागरण में खबर लीड है और शीर्षक, “अस्थाना को कोर्ट से राहत, पीएमओ से नहीं” दिलचस्प और अनूठा है। फ्लैग हेडिंग है, सीबीआई के विशेष निदेशक की 29 अक्तूबर तक गिरफ्तारी नहीं। नीलू रंजन ने अपनी इस खबर में लिखा है, सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सोमवार को पीएमओ के सामने अब तक की कार्रवाई का ब्यौरा पेश किया। बताया जाता है कि पीएमओ ने उन्हें इस मामले में कानून सम्मत कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कहने की जरूरत नहीं है कि इसमें, “बताया जाता है” गौरतलब है।
अमर उजाला ने भी इसे पहले पन्ने पर बॉक्स बनाया है और शीर्षक है, अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी नहीं होगी निरस्त, गिरफ्तारी से फौरी राहत। ब्यूरो की यह सामान्य खबर है जिसमें रूटीन की सूचनाएं हैं जो दूसरे अखबारों में भी हैं। और इनका जिक्र पहले हो चुका है। हालांकि अखबार ने अंदर के पन्ने पर शरद गुप्ता की एक्सक्लूसिव खबर लगाई है। इसका शीर्षक है, आखिर किसके दम पर लड़ रहे सीबीआई योद्धा, सुब्रमण्यम स्वामी ने गैंग ऑफ फोर पर उंगली उठाई। इसके साथ बॉस और अस्थाना के बीच सीवीसी कर सकते हैं पहल, निदेशक को नियम से चलने की सलाह, अस्थाना को गुजरात भेजने पर फैसला जल्द – जैसी खबरें हैं।
अंग्रेजी अखबारों में इंडियन एक्सप्रेस में यह लीड है। “दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना को उनकी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है और उनके खिलाफ जांच जारी है” – इस लीड शीर्षक के तहत एक्सप्रेस ने एक खबर छापी है जिसका शीर्षक है, गिरफ्तारी के एक दिन बाद डिप्टी एसपी देवेन्दर कुमार को सात दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया। एक दूसरी खबर हाईकोर्ट का आदेश बताती है। शीर्षक है, हाईकोर्ट ने सीबीआई से कहा, अस्थाना पर 29 अक्तूबर तक यथास्थिति रखें। इस खबर में कहा गया है कि अस्थाना सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा से भिड़े हुए हैं और दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। सीबीआई ने अपने ही डिप्टी एसपी देवेन्दर कुमार को गिरफ्तार किया है उनपर अस्थाना से संबंधित रिश्वतखोरी के आरोप से संबंधित रिकार्ड में फर्जीवाड़े का आरोप है। इंडियन एक्सप्रेस ने सीबीआई पर ऋतु सरीन की एक और खबर छापी है जो बताती है कि हैदराबाद के एक कारोबारी सना सतीश बाबू ने अस्थाना और देवेन्दर कुमार पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है और अब इसी शिकायत पर देवेन्दर कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है और अस्थाना को उनकी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया जबकि शुरू में एजेंसी ने सना को गिरफ्तार करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। खबर में इस मामले का विस्तार और सना पर आरोपों का विवरण भी पर अभी वह मुद्दा नहीं है।
दिल्ली के अंग्रेजी अखबारों में हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस खबर को पहले पेज पर सेकेंड लीड बनाया है, शीर्षक है, अस्थाना सभी जिम्मेदारियों से मुक्त, अदालत ने गिरफ्तारी पर रोक लगाई। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक और सनसनीखेज है, एजेंसी का कहना है सीबीआई नंबर 2 जांच की आड़ में वसूली रैकेट चलाते थे। हालांकि, खबर की शुरुआत सिंगल कॉलम में तीन लाइन के एक शीर्षक से होती है जिसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट ने विशेष निदेशक के खिलाफ अवपीड़क कार्रवाई पर रोक लगाई। अखबार ने राकेश अस्थाना की तस्वीर के साथ एक बॉक्स में चार सूचनाएं छापी हैं। शीर्षक है, डीएसपी सात दिन की हिरासत में। इसमें एक तो यह है कि हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच रोकने से मना किया पर सीबीआई से कहा कि संतुलन को खराब न किया जाए। इसी में चौथा बिन्दु है, अस्थाना की समस्याएं विजय माल्या के खिलाफ मामले को कमजोर कर सकती हैं। यूके की अदालत में वे दावा कर सकते हैं कि उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जांच के आधार पर वापस भारत नहीं भेजा जा सकता है जो खुद सीबीआई का अभियुक्त है।
कोलकाता के अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने इसे सात कॉलम में छापा है। शीर्षक है, श्रीमान स्वच्छ की नाक के नीचे गंदे खेल। एक कॉलम में सोशल मीडिया पर वायरल एक फिल्म की खबर है जो राकेश अस्थाना से संबंधित है और मुख्य खबर का (उप) शीर्षक एक लाइन, चार कॉलम में है – एक्सटॉर्शन इन प्रोब गार्ब : सीबीआई (जांच की आड़ में वसूली : सीबीआई)। खबर शुरू होने से पहले भारतीय दंड संहिता की धाराओं 384, 388, 389, 468 और 471 का जिक्र है और बताया गया है कि ये धाराएं क्या हैं। फिर खबर शुरू होती है, जिसमें कहा गया है कि सीबीआई ने आज यह खुलासा किया कि जांच की आड़ में वसूली का धंधा चल रहा है और अपने ही एक अधिकारी पर ढेरों आरोप लगाए जो आमतौर पर “ठगों” के लिए आरक्षित हैं। अखबार ने अंग्रेजी में ठग लिखा है और यह हिन्दी के ठग से अलग, गुंडा होता है। अखबार ने लिखा है कि इस तरह सीबीआई ने खुद को एक अदालत के समक्ष नंगा कर लिया। ये सभी धाराएं मंगलवाल को सीबीआई के दूसरे नंबर के अदिकारी राकेश अस्थाना के खिलाफ दायर एफआईआर में जोड़े गए हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।