अख़बारनामा: विपक्षी एकजुटता से पड़ा पाला तो पीएम नाम की चिंता में दुबलाया अमर उजाला


राहुल गांधी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जिस तरह फर्जी अभियान चलता है (हाल में दुबई के आयोजन को लेकर भी चला) उससे लगता है कि नाम जानने का जोर ऐसे ही अभियान के लिए है।


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संजय कुमार सिंह

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारतीय जनता पार्टी और देश की मीडिया ने ऐसी तस्वीर बनाई है जैसे उनका कोई विकल्प ही न हो। मेरा मानना है कि वे बिना टीम के कप्तान हैं। पर उनके समर्थकों को यह नहीं दिखता। कल एक मित्र ने लिखा कि ममता की रैली में प्रधानमंत्री कौन होगा नहीं बताया गया। मुझे याद आया, 2004 में सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय हो गया था और शपथ ग्रहण ही रह गया। उस चुनाव में प्रधानमंत्री कौन बनेगा इसकी घोषणा नहीं हुई थी। न किसी ने पूछा था। मुझे नहीं लगता कि मतदाताओं को पता नहीं था। बहुमत पाने वाले दल द्वारा सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में चुन लिए जाने के बावजूद मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।

तब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देने वाले अब मनमोहन सिंह को “ऐक्सीडेंटल प्रधानमंत्री” बता कर खुश हो रहे हैं। मतलब जो रह चुका वह ऐक्सीडेंटल, जो हो सकता है वह पप्पू है और किसी से मुकाबला लगे तो हताशा साफ दिखने लगे। पार्टी की तो दिखे ही, अखबारों की भी। राहुल गांधी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जिस तरह फर्जी अभियान चलता है (हाल में दुबई के आयोजन को लेकर भी चला) उससे लगता है कि नाम जानने का जोर ऐसे ही अभियान के लिए है। क्या आपको पता है कि चुनाव के बाद बहुमत पाने वाले दल ने जब अपना नेता चुन लिया और सुषमा स्वराज व भाजपा के लोग कह रहे थे कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेंगी तो ये हो जाएगा, वो कर लूंगी उन्होंने बताया था कि प्रधानमंत्री कौन होगा? पर अभी जानना जरूरी है।

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि देश में प्रधानमंत्री का प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होता है। सांसदों का चुनाव होता है और बहुमत पाने वाला दल अपना नेता चुनता है। सबको पता है लेकिन अमर उजाला ने कल की कलकत्ता की रैली का शीर्षक लगाया है, “मोदी को हटाने पर विपक्ष एकजुट, पर पीएम कौन होगा – चुनाव के बाद तय करेंगे”। मुझे नहीं लगता कि यह रैली की सबसे महत्वपूर्ण सूचना है। आइए देखें और अखबारों में क्या हाल है। आज द टेलीग्राफ की बात बाद में पहले हिन्दी अखबारों की ही चर्चा कर लेता हूं। मुझे लगता है कि अमर उजाला के मुकाबले दैनिक भास्कर की रिपोर्टिंग और डिसप्ले बहुत शानदार है।

दैनिक भास्कर में मुख्य शीर्षक चार कॉलम में है, “वाह! क्या सीन है” और इसके साथ बाकी के चार कॉलम में लिखा है, “मिशन 2019 : चुनाव से तीन महीने पहले मोदी के खिलाफ विपक्ष की रैली मोदी का तंज, वाह क्या सीन है …. ”। इसके बाद अखबार ने सीन 1 की खबर दी है – “कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में ममता की यूनाइटेड इंडिया रैली में निशाने पर मोदी-शाह”। सीन 2, “सिलवासा और हजीरा से मोदी का जवाब”। इसके बाद दोनों जगहों की खबरों का शीर्षक है। सीन वन चार कॉलम में, “123 लोकसभा सांसदों वाले 22 दल बोले – पीएम बाद में तय कर लेंगे, पहले भाजपा को हराना है”। दूसरा शीर्षक है, “लोकतंत्र का गला घोंटने वाले कह रहे बचाओ-बचाओ : मोदी”।

आज अमर उजाला के मुकाबले आज दैनिक जागरण संतुलित लग रहा है। संयोग से अमर उजाला की ही तरह जागरण में भी ऊपर से नीचे चार कॉलम का विज्ञापन है और दोनों ही भास्कर की तरह आठ कॉलम का डिसप्ले नहीं दे सकते थे। लिहाजा दोनों का डिसप्ले एक जैसा होते हुए भी शीर्षक बिल्कुल अलग है। जागरण का मुख्य शीर्षक है, “आम चुनाव की मोर्चाबंदी तेज”। इसके नीचे दो खबरें हैं। एक का शीर्षक है, “कोलकाता में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की हुंकार” और दूसरी का, “देश का पैसा लूटने से रोका तो महागठबंधन बना लिया : मोदी”। जागरण में कहीं भी यह हाइलाइट नहीं किया गया है कि प्रधानमंत्री कौन होगा या यह नहीं बताया गया।

राजस्थान पत्रिका ने रैली की खबर छह कॉलम में छापी है। फ्लैग शीर्षक है, “मिशन 2019 : ममता की रैली में 23 दलों के नेताओं के पहुंचने का दावा, महागठबंधन की राह पर आगे बढ़े दल”। मुख्य शीर्षक है, “विपक्ष के पीएम प्रत्याशी का नाम चुनाव बाद”। अखबार ने लीड के साथ एक और खबर प्रमुखता से छापी है। दैनिक भास्कर में भी है। “ईवीएम पर आयोग से मिलेगा विपक्ष”। अखबार ने “भाजपा का पलटवार” एक कॉलम में छापा है, “वाह क्या सीन है”। यहां एक औऱ शीर्षक है, “दिल मिले न मिले हाथ मिलाते चलिए”। अखबार ने आठ कॉलम में रैली में मौजूद भिन्न दलों के नेताओं की फोटो छापी है और सबके नाम तथा पार्टी के नाम के साथ वोट का हिस्सा भी बताया है। लिखा है कि इन सभी दलों को मिलाकर 2014 के चुनाव में वोट का शेयर 55.99 प्रतिशत था।

पहले पन्ने पर विज्ञापन के मामले में आज नवोदय टाइम्स ने सबको पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, कुछ दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर इतना विज्ञापन है कि खबरों का पहला पन्ना तीसरे और पांचवे पन्ने को भी बनाया गया है। बड़ी खबर वाले दिन विज्ञापन बहुत परेशान करते हैं पर कोई चारा नहीं है। फिलहाल, नवोदय टाइम्स ने रैली की खबर इसी मजबूरी में तीन कॉलम में छापी है। फ्लैग शीर्षक है, “ममता की रैली में विपक्ष की हुंकार”। मुख्य शीर्षक है, “दिल्ली में बदल दो सरकार”। अखबार ने विज्ञापनों की इस भीड़ में भी नरेन्द्र मोदी की खबर पहले पन्ने पर ली है। खबर है, भ्रष्टाचार से रोका तो बना लिया गठबंधन मोदी। विस्तार अंदर के पन्ने पर होने की सूचना है।

नवभारत टाइम्स में भी आज ऊपर से नीचे तक चार कॉलम का विज्ञापन है। सभी अखबारों में यह विज्ञापन अलग संस्थानों, उत्पादों और सेवाओं का है। बाकी बचे चार कॉलम में अखबार ने रैली की खबर को विपक्ष का महाकुंभ शीर्षक से छापा है और वाह क्या सीन है का तंज भी पहले पन्ने पर रखा है। मुख्य शीर्षक के बाद अखबार ने दो कॉलम सात लाइन में इंट्रो लिखा है और फिर शीर्षक लगाया है, “एनडीए को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य, पीएम पर बाद में विचार को तैयार”। अखबार ने ममता के मेगा शो में शामिल हुए 15 दलों के साथ गैरहाजिर रहे पांच दलों के नाम भी छापे हैं। टेलीग्राफ ने फोटो में मौजूद 24 लोगों के नाम छापे हैं हालांकि इसमें भाजपा के ही तीन लोग हैं – यशंवत सिन्हा, अरुण शौरी और शत्रुघ्न सिन्हा।

हिन्दुस्तान ने भी ऊपर से नीचे तक चार कॉलम का विज्ञापन है। अखबार ने चार कॉलम में शीर्षक लगाया है, “मोदी ने स्वदेशी तोप निर्माण इकाई देश को सौंपी” और इसके नीचे साढ़े तीन कॉलम में फोटो है जिसका कैप्शन है, “सूरत के हजीरा में शनिवार को स्वचालित होवित्जर तोप की सवारी करते प्रधानमंत्री मोदी”। लीड इसके नीचे तीन कॉलम में है, “ममता के मंच से 18 दलों ने ताल ठोंकी”। फ्लैग शीर्षक है, “एकजुटता रैली में शामिल नेताओं ने ईवीएम पर उंगली उठाई”। हिन्दुस्तान में मुख्य खबर के साथ दो खबरें अंदर होने की सूचना है। अखबार ने इन्हें अगल-बगल छापा है। एक का शीर्षक है, “आपके साथ आए तो ठीक वरना सब चोर : ममता”। दूसरी खबर है, “विपक्ष का काम मुझे सिर्फ अपशब्द कहना मोदी”।

अंग्रेजी अखबारों में हिन्दुस्तान टाइम्स ने शीर्षक लगाया है, “ममता की रैली में विपक्ष ने मोदी सरकार को बाहर करने का प्रण किया”। चार कॉलम की इस खबर के मुकाबले मोदी की रैली की खबर एक कॉलम में है। इंडियन एक्सप्रेस में भी यह खबर चार कॉलम में है और शीर्षक है, “ममता की रैली में 25 विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार को बाहर करने का प्रण किया”। टाइम्स ऑफ इंडिया में खबरों के पहले पन्ने पर नीचे आठ कॉलम का विज्ञापन है। यह खबर चार कॉलम में लीड है। शीर्षक है, “रैली में कोरस : मोदी को निकालो पर साबित करना होगा कि हम कुछ कर सकते हैं”।

हालांकि, यहां इससे महत्वपूर्ण खबर सेकेंड लीड है, “हजारों करदाताओं को मामूली गलती के लिए नोटिस मिली”। अखबार ने इस खबर के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो छापी है जो मुंबई के नेशनल म्युजियम ऑफ इंडियन सिनेमा की है। इसके साथ लिखा है कि उन्होंने दादरा और नागर हवेली की रैली में कहा कि वे बचाओ, बचाओ और बचाओ सुन सकते हैं। आज टेलीग्राफ की बात क्या करना। उसका पहला पन्ना देख भर लीजिए। खबर तो यहां हो ही गई।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )