पहला पन्ना: दिल्ली वाले शरमाये पर बंगाल का अख़बार बताता है कि ‘कमेंटबाज़ी’ भर है मोदी का भाषण!


अपने भाषण में उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए कई बार दीदी ओ दीदी कहा और व्यंगात्मक लहजे में कहा। अखबार ने लिखा है कि बंगाल में इस तरह का व्यंग “कमेंट मारा” कहा जाता है। अखबार ने प्रधानमंत्री की शैली की तुलना महिलाओं को सताने वाले पुरुषों की भाषा शैली और शब्दों से की है और बहुत बढ़ा-चढ़ाकर भी लिखा हो तो गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री के भाषण में ऐसा कुछ था। चर्चा करने लायक भी। 


संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


आज दिल्ली के अखबारों में दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार देने का कानून संसद में पास होने की खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से है। कहीं लीड, कहीं टॉप पर। दिल्ली के अखबारों में यह खबर होनी ही थी। इसलिए इसका शीर्षक महत्वपूर्ण है। आप भी देखिए

  1. हिन्दुस्तान टाइम्स

दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार देने से संबंधित कानून संसद में पास हुआ 

  1. द हिन्दू

राज्यसभा ने दिल्ली के उपराज्यपाल का सशक्तिकरण करने वाले विधेयक को मंजूर किया 

  1. टाइम्स ऑफ इंडिया

विपक्ष के वाकआउट के बीच राज्यसभा ने दिल्ली सरकार विधेयक को मंजूर किया, इंट्रो है, 83-45 वोट से एलजी की सर्वोच्चता साबित हुई

  1. इंडियन एक्सप्रेस

केंद्र ने दिल्ली विधेयक पेश किया तो विरोध करने के लिए 12 पार्टियां एकजुट हुईं; काला दिन : आप 

 

इसके अलावा आज के अखबारों में जो महत्वपूर्ण खबरें हैं वे इस प्रकार हैं 

  1. दिल्ली से केरल जा रही ईसाई ननों को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में ट्रेन से जबरन उतार कर परेशान करने का मामला कल सोशल मीडिया में था। इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर प्रमुखता से है। खबर के अनुसार, केरल के मुख्यमंत्री के विरोध करने पर केंद्रीय गृहमंत्री ने कार्रवाई का वादा किया है।
  2. टीकाकरण की रफ्तार संक्रमण के प्रसार से मुकाबले के लिए संघर्ष कर रही हैहिन्दुस्तान टाइम्स
  3. महिला पत्रकार प्रिया रमानी को बरी किए जाने के खिलाफ एमजे अकबर हाई कोर्ट मेंसिंगल कॉलम
  4. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रल बांड के दुरुपयोग पर चिन्ता जताई हिन्दू
  5. नीतिश को माफी मांगनी चाहिए हिन्दू

इन सबसे अलग, द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर जो लीड है वह आज यहां खासतौर से चर्चा के लायक है। इससे पहले आपको बताऊं कि पश्चिम बंगाल के संबंध में प्रधानमंत्री की बंगाल की रैलियों, जनसभाओं की खबरें कई दिनों से पहले पन्ने पर नहीं दिखीं। ठीक है कि बंगाल चुनाव की खबरों का दिल्ली में क्या काम है फिर भी प्रधानमंत्री अगर कुछ महत्वपूर्ण बोलेंगे, देश के स्तर का बोलेंगे तो छपना ही चाहिए। पर ऐसा हो नहीं रहा है। कल मैंने लिखा था कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इंटरव्यू की खबर पहले पन्ने पर थी लेकिन प्रधानमंत्री की रैली की खबर पहले पन्ने पर नहीं दिखी। आज हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर एक शीर्षक है- बंगाल का मुख्यमंत्री माटी का पूत होगा, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा इस शीर्षक से मुझे याद आया कि प्रधानमंत्री के भाषण धमाकेदार नहीं हो रहे हैं। आग लगाने वाले कपड़ों से पहचाने जाते हैंऐसा कोई डायलॉग आता को इधरउधर खबरें छपती रहती हैं। दिख ही जाती हैं। कुछ नहीं तो सोशल मीडिया पर छाया रहता है। अब बंगाल में यह कहना कि किसी को भी बाहरी नहीं कहा जा सकता हैप्रधानमंत्री के स्तर का नहीं है और ऐसा तो नहीं ही कि बंगाल में चुनाव में, दिल्ली में खबर छपे। बंगाल चुनाव को लेकर भाजपा के दावे अपनी जगह और जो दिखाई दे रहा है कि वह अपनी जगह। लेकिन प्रधानमंत्री के भाषण दिल्ली में (पहले पन्ने पर) छपें का मतलब है। 

इसका कारण टेलीग्राफ के आज के लीड से पता चलता है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री के बोलने के बाद लगता है जैसे साथियों से कहते हों, कैसा कमेंट मारा। स्कूली लड़के, लड़कियों के बारे में कुछ बोल कर ऐसे ही खुश होते हैं। मेरा ख्याल है अखबार ने कल के प्रधानमंत्री के भाषण की रिपोर्टिंग से यही कहना चाहा है. कहने की जरूरत नहीं है कि भाषण में कुछ और इससे ज्यादा खास होता तो शीर्षक उसी को बनाया जाता। क्योंकि पांच कॉलम की खबर में सिर्फ इतनी सी बात तो होगी नहीं। खबर में प्रधानमंत्री के बोलने के अंदाज को चित्रित करने की कोशिश की गई है। मुख्य बात यह है कि अपने भाषण में उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए कई बार दीदी दीदी कहा और व्यंगात्मक लहजे में कहा। अखबार ने लिखा है कि बंगाल में इस तरह का व्यंगकमेंट माराकहा जाता है। अखबार ने प्रधानमंत्री की शैली की तुलना महिलाओं को सताने वाले पुरुषों की भाषा शैली और शब्दों से की है और बहुत बढ़ाचढ़ाकर भी लिखा हो तो गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री के भाषण में ऐसा कुछ था। चर्चा करने लायक भी। 

अखबार ने लिखा है किदीदी दीदीसुनकर अमर प्रेम फिल्म में राजेश खन्ना के पुष्पा पुष्पा की याद आई। प्रधानमंत्री के भाषण में अभिनय का पुट होता है यह महत्वपूर्ण नहीं है पर उनका अभिनय बंगाल की जनभावना के अनुकूल नहीं है यह महत्वपूर्ण है क्योंकि वे पश्चिम बंगाल के भी प्रधानमंत्री हैं। अखबार ने यह भी लिखा है कि ममता बनर्जी अपने अंदाज में उनका जवाब देती हैं और इसमें वे कोई डरी हुई किशोरी नहीं हैं। वे उन्हें बड़ा झूठा, रावण, दाणव और दैत्य  कह चुकी हैं पर वे फूहड़ नहीं लगीं। अखबार ने यह भी लिखा है कि मोदी और ममता एकदूसरे का अपमान करने में ठीक हैं पर महिला पुरुष के साथ वैसे नहीं कर सकती जैसा पुरुष महिला के साथ कर सकता है। तो यह स्तर है और इसलिए खबरें पहले पन्ने पर नहीं हैं।       

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।