दास मलूका कौन हैं, यह जानने से ज़्यादा अहम यह जानना है कि हमारे समय में ऐसे लोग हैं जो दास मलूका जैसी दृष्टि रखते हैं। यह दृष्टि हमें उस ‘गोपन’ की यात्रा कराती है जो दृश्य में होते हुए भी अदृश्य है। दास मलूका बहुत दिनों से चुपचाप ज़माने की यारी-हारी-बीमारी पर नज़र रख रहे थे कि मीडिया विजिल से मुलाक़ात हुई और क़लम याद आया। अब महीने में दो बार गुफ़्तगू का वादा है – संपादक
दास मलूका
(बाद मरने के जाते होंगे हिंदू-मुसलमान, शिया-सुन्नी, आर्य-द्रविण, लिंगायत और वीरशैव अपने-अपने स्वर्ग और नरक, जन्नत और जहन्नुम, मगर हमारी कल्पना है कि उन ख़बरनवीसों, सहाफ़ियों, पत्रकारों और वुद्धिजीवियों के लिए कोई न कोई जन्नत-उल -फ़िरदौस ज़रूर होगी जहाँ शहादत के बाद उन्हें इकट्टा रखा जाता होगा। ज़हनी यकजहती उन्हें एक ख़ास किस्म की आज़ादी का अहसास कराती होगी, अगर ऐसा है तो शक नहीं कि कश्मीरी पत्रकार शुजात बुख़ारी और कर्नाटक वाली गौरी लंकेश की मुलाकात भी होती होगी। कैसी होगी ये मुलाकात और क्या होंगी बातें जब मिल बैठेंगे अपने मिशन के दीवाने दो…पेश है एक काल्पनिक साक्षात्कार)
गौरी लंकेश – अब इतने उदास भी न रहो शुजात, यहाँ आए कई दिन गुज़र गए…..अब यहां से दुनिया देखो, दुनिया की ‘जन्नत’ कश्मीर देखो, वैसे कैसा लग रहा है, तुम्हारी शहादत से बेचैन BJP ने महबूबा सरकार से तलाक ले लिया….!
शुजात बुख़ारी- (हल्की मुस्कान)…हुंह, इसके लिए मेरा मरना ज़रूरी थोड़ी था, ये तो मेरे ज़िन्दा रहते भी होता ही…अफसोस कि मैं भी एक बहाना बन गया।
गौरी- मतलब !!!….क्या गठबंधन का टूटना पहले से तय था ?
बुख़ारी- अब ये तो पता नहीं…..लेकिन जो हुआ उसे में अंग्रेज़ी में कहूंगा….instant divorce with mutual understanding….यानी आपसी मंज़ूरी से तत्काल तलाक….तुम्हें नहीं लगता ?
गौरी- अंSSS…..कह नहीं सकती यार, मैने कश्मीर इतना डीपली फॉलो नहीं किया…..कर्नाटक में ही इतना उलझ गई थी…. लेकिन Mutual Understanding कैसे कह सकते हो ?
बुख़ारी- कह नहीं सकता, कह रहा हूं भई….इतना तेज़ तो तीन तलाक़ भी नहीं होता…एक बात बताओ, कोई रिश्ता टूटता है तो खट-पट की आवाज़ें पहले सुनाई पड़तीं हैं या नहीं….पड़ती हैं नss…..यहां कुछ सुनाई पड़ा ? चंद रोज़ पहले ही राजनाथ गए थे श्रीनगर.. कोई तनातनी दिखाई पड़ी उनके महबूबा के बीच ? अरे औरों की छोड़ो दिल्ली में बैठे उन सहाफ़ियों को कानो-कान ख़बर नहीं थी जो बेखटक BJP के गलियारों में दनदनाते फिरते हैं।
गौऱी – ….लेकिन बात तो तुम्हारे बाद बिगड़ी न….वजह तुम नहीं बने ?
बुख़ारी- अरे यार क्या बात करती हो…..अगर मैं वजह था तो राम माधव की प्रेस कांन्फ्रेंस में मेरा ज़िक्र सबसे पहले आना था न ! ….आया क्या ? तमाम वजहें गिनाईं ,उनमें एक नाम मेरा भी ले दिया।
गौरी- हूंsss….लेकिन वो ‘म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग’ क्या थी ?
बुख़ारी- अब ये भी मैं ही बताऊँ…..तुम्हें यूँ ही नहीं कत्ल होना पड़ा गौरी, आगे-पीछे क्या चल रहा है इसका अंदाज़ा तो रखो !
गौरी- तो तुम ही कौन बच गए भला…..तुम्हें तो सिक्योरिटी मिली थी….तुम्हारे चक्कर में वो भी गए..!
बुख़ारी – दिल पे ले लिया तुमने तो…..खैर छोड़ो, तुमने गठबंधन टूटने के बाद के बयान तो सुने होंगे, क्या कहा गया ? BJP ने कहा ‘महबूबा ने जम्मू और लद्दाख को इग्नोर किया और सेपरेटिस्ट पर हल्का हाथ रखा’। महबूबा ने कहा -‘हमने धारा 370 को बचाया, पत्थरबाजों पर से केस वापस लिए, घाटी में डेवलेपमेंट किया’…..दोनो ने अपनी-अपनी कंस्टीटुएंसी को एड्रेस किया और रास्ते अलग। कोई और तल्खी कहीं दिखी ?
गौरी- बाकी तो सबने देखा-सुना……मगर गौर करने वाली बात ये ‘तल्खी’ का ‘लाउड’ न होना ही है…..यानि तुम भी मान रहे हो कि टार्गेट 2019 ही है !
बुख़ारी- अब इसमें न मानने को बचा क्या है…..2019 का लोकसभा चुनाव कश्मीर में ही लड़ा जाएगा, ये चुनाव कश्मीर में हो या न हो….कश्मीर पर ही होगा
गौरी- तुम्हें मरने से पहले इसका अंदाज़ा था…..?
बुख़ारी- कुछ-कुछ तो था, नहीं कश्मीर तो पाकिस्तान….और पाकिस्तान का ज़िक्र आता तो कश्मीर का कैसे नहीं आता….हाँ, ये बात मैं ज़िंदा रहते कह नहीं पाता और मरने के बाद कोई सुन नहीं पाएगा
गौरी-……सिगरेट पियोगे…?
बुख़ारी-….( हँसते हुए)…वो तो मैने धरती की जन्नत पर नहीं पी, ये तो फिर असल जन्नत है !…अच्छा एक बात बताओ मरने के बाद भी सिगरेट पीने का मन होता है ?
गौरी- सच बताऊं….एकदम नहीं !
बुख़ारी- तो फिर पीती क्यों हो….?
गौरी- देखो क़त्ल के बाद मरने का ख़ौफ तो चला गया…..मगर कहीं जन्नत के फ़रिश्तों के दिमाग़ से मेरा ख़ौफ़ न निकल जाए….उन्हें ये न लगे कि मैं उनकी पाबंद हो गई हूं….वन्स अ रेबेल ऑलवेज अ रेबेल…लिहाजा मेरे कोटे की जो सिगरेट आती है मुझे लेनी है…..।
बुख़ारी-….हाँ, वर्ना जन्नत के स्टोर में ‘सिगरेट स्कैम’ का भी ख़तरा पैदा हो जाएगा।
(दोनो हँसे… गौरी लंकेश ने सिगरेट के पहले कश का पहला पफ़ बाहर छोड़ा, एक छोटा सा वक्फ़ा और बातचीत फिर शुरु हुई )
बुख़ारी- अच्छा ये बताओ, तुम्हें इन दिनों कोई पॉलीटीशियन सौ फीसदी सच्चा और बेबाक दिखता है
गौरी- 100 फीसदी तो नहीं मगर एक आदमी है काफ़ी हद तक…!
बुख़ारी- कौन ?
गौरी- गेस करो…. BJP में ही है इन दिनों !
बुख़ारी- अब पहेलियां न बुझाओ….बताओ….!
गौरी- सुब्रह्मण्यम स्वामी !
बुख़ारी- कौन….अरे उसे BJP में ही सीरियसली नहीं लेते तुम उसे सच्चा और बेबाक बता रही हो !
गौरी- तुम्हारा सवाल ये नहीं था……लेकिन सही है, उससे सेफ डिस्टेंस रखना जरूरी है….प्रैक्टिकल पॉलिटिक्स तो यही कहती है!
बुख़ारी– पता नहीं, उसमें क्या दिख गया तुम्हें….!
गौरी- उसे फॉलो करो समझ में आ जाएगा….कुछ अक्ल के दुश्मन होते हैं, कुछ की अक्ल ही दुश्मन होती है…ये दूसरे किस्म वाला है
बुख़ारी- मतलब….?..!!
गौरी- अरे यार…चच्च….एक काम करो तुम द क्विंट पर उसका लेटेस्ट इंटरव्यू सुन लो….
बुख़ारी- क्या है उसमें, किसने किया है….?
गौरी- वो है न…..क्या तो नाम है….संजय पुगलिया हां…मगर तुम स्वामी को सुनो
बुख़ारी– ऐसा क्या कह दिया स्वामी ने…
गौरी- अरे ये बने बनाए नोशन निकाल फेंको तो समझ में आएगा…उसने साफ कहा ‘अच्छी इकॉनमी से चुनाव नहीं जीते जाते मोदी ! इसके लिए लोगों की भावना जगानी पड़ती है’….उसने तो ये भी बता दिया कि 2014 के चुनाव में RSS की रणनीति क्या थी, मोदी तो सिर्फ उस रणनीति पर चला हुआ एक ब्रांड भर था, मॉडल, एक स्टड, एक मूरत….जिसे सारे देश में घुमाया गया….उसने तो इशारा भी कर दिया कि 2019 की रणनीति क्या होगी….कश्मीर उसी डिजाइन का बड़ा हिस्सा है।
बुख़ारी- तो मैं क्या बकवास कर रहा था……!
गौरी – नहीं तुम कुछ ‘म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग’ की बात कर रहे थे।
बुख़ारी- अरे यार, अगर अलग नहीं होते तो जम्मू-कश्मीर में दोनों ही अपना कबाड़ा होता देख रहे थे….न महबूबा बचती न महबूब…!
गौरी- तो समझो इसके आगे की बात, स्वामी ने साफ-साफ कह दिया कि अब गठबंधन तोड़ कर कश्मीर के बहाने 2019 की जंग पूरे देश में लड़ी जाएगी !
बुखारी- ये भी मैं कह चुका हूं लेकिन तुमसे कौन जीता है भला….अच्छा, ये स्वामी भी तो तुम्हें गालियां देता था ना !
गौरी- क्या फर्क पड़ता है, ये तो जिंदा रहते देता होगा….अभी तो मरने के बाद भी दे रहे हैं वो भी असली वाली….इसी बहाने धरती पर गौरी लंकेश जिंदा तो है !
बुख़ारी- यही तो मेरा अफ़सोस है…..
गौरी- तुम्हारा क्या अफ़सोस ?
बुख़ारी – मुझे गालियाँ देने वाले, मेरी मौत के बाद खामोश हो गए गौरी…..और जिस तरह मेरी मौत का स्यापा हो रहा है, तय करना मुश्किल है कि मेरे क़ातिल किस गैब से आए थे….हर किसी को मेरे जाने का गम है…हर खित्ते में मेरी मौत का मातम है !
गौरी- अच्छा तुम्हें तो पता होगा तुम्हें किन लोगों ने मारा ?
बुख़ारी- (हँसते हुए)…मुझे उन सबने मिल कर मारा जो कश्मीर में इनसर्जेंसी को , जलते हुए कश्मीर को जिंदा रखना चाहते हैं……चलो उठो…अब अगली सिगरेट जलाओ….मुझे सिगरेट पीती लड़कियां बहुत अच्छी लगती हैं..!